Lok Sabha Election : जानिए, 1996 में पोस्टल बैलेट की शीट क्यों चौड़ी करनी पड़ी थी
इलाहाबाद लोक सभा सीट से 73 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाए थे। वह वर्ष था 1996। आलम यह था कि सभी का नाम आ सके इसके लिए पोस्टल बैलेट की शीट को चौड़ा करना पड़ा था।
रमेश यादव, प्रयागराज : वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों की लंबी सूची ने मतदाताओं को परेशान किया था। चुनाव में 73 प्रत्याशियों के ताल ठोकने पर पोस्टल बैलेट की शीट चौड़ी करनी पड़ी थी, ताकि आसानी से सभी प्रत्याशियों का नाम उस पर आ सके।
पांच बार 20 से अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में रहे
इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में अब तक पांच बार ऐसा हुआ है कि चुनाव मैदान में 20 से अधिक प्रत्याशी रहे। चार बार 10 से कम, चार बार 10 से अधिक प्रत्याशी चुनाव लड़ चुके हैं। एक-एक बार 30 तथा 40 से अधिक और 70 से अधिक प्रत्याशी चुनावी दंगल में कूदे हैं।
पहले लोस चुनाव में मात्र पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे
आजादी के बाद पहले लोकसभा चुनाव (1951-52) में इलाहाबाद ईस्ट (इलाहाबाद) संसदीय सीट से पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। श्रीप्रकाश चुनाव जीतकर लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचे थे। दूसरे लोकसभा चुनाव (1957) में जब लाल बहादुर शास्त्री इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़े थे तो चार ही प्रत्याशी थे। तीसरे (1962) और चौथे (1967) लोकसभा में यह संख्या तीन-तीन ही थी।
1971 में पहली बार 11 प्रत्याशियों ने आजमाया था भाग्य
पांचवीं लोकसभा, यानी 1971 के चुनाव में पहली बार 11 प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया था। हेमवती नंदन बहुगुणा इस बार निर्वाचित हुए थे। छठें (1977) लोकसभा चुनाव में भी 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, तब जनेश्वर मिश्रा जीते थे। 1980 में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह चुनाव जीते थे तो 20 प्रत्याशी मैदान में थे। 1984 में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन इलाहाबाद सीट से जीते। इस चुनाव में 25 प्रत्याशी थे। 1989 में 24 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। जनेश्वर मिश्रा यहां से जीते थे।
90 के बाद आई प्रत्याशियों की बाढ़
1951-52 से लेकर 1989 तक के चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या 30 के ऊपर नहीं गई, उसके बाद प्रत्याशियों की बाढ़ आ गई थी। 1991 में इलाहाबाद सीट से 48 प्रत्याशी मैदान में थे। सरोज दुबे विजयी हुईं थीं। 1996 के चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या का नया रिकार्ड बना। इस बार 73 प्रत्याशी मैदान में थे। चुनाव में मुरली मनोहर जोशी विजयी हुए थे। दो साल बाद यानी 1998 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो प्रत्याशियों की संख्या 21 ही रह गई थी। 1999 में यह संख्या महज 10 रह गई। वर्ष 2004 और 2009 में फिर प्रत्याशियों की संख्या में इजाफा हुआ। क्रमश: 19 और 31 प्रत्याशी चुनाव लड़े और दोनों बार रेवती रमण सिंह सांसद हुए। 2014 में 23 प्रत्याशी चुनावी दंगल में थे। श्यामाचरण गुप्ता चुनाव जीते थे।
2004 में प्रयुक्त हुई थी ईवीएम
1951-52 से लेकर 1999 तक जितने लोकसभा चुनाव हुए थे, उसमें पोस्टल बैलेट से वोटरों ने वोट डाला था। 2004 के चुनाव में पूरे देश में सभी लोकसभा सीट पर ईवीएम का प्रयोग हुआ था। 2019 के चुनाव में प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाई जा रही है। इसमें वोटर देख सकता है कि उसने किस पार्टी को अपना वोट डाला है।
चुनाव और प्रत्याशी
वर्ष प्रत्याशियों की संख्या
1951-52 05
1957 04
1962 03
1967 03
1971 11
1977 11
1980 20
1984 26
1989 24
1991 48
1996 73
1998 21
1999 10
2004 19
2009 31
2014 23