Lok Sabha Election 2019: जनता का दर्द नेता कहां समझ रहे हैं...
मधुबन व आसपास के क्षेत्रों में रोजगार शिक्षा व अन्य विकास के लिए क्या हुआ अरे साहब कुछ भी तो नहीं। स्थानीय लोगों का दर्द नेता कहां समझ रहे हैं। जो काम करेगा वही इनाम पाएगा।
पारसनाथ, दीपक मिश्रा। सुबह के सात बजे हैं। गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थल पारसनाथ के मधुबन इलाके में स्थित शिवमंदिर के समीप चाय दुकान पर हम पहुंचे है। मकसद यही कि चुनावी मिजाज परखा जाए। रंजीत बरनवाल कई दशक से यह दुकान चला रहे हैं। शानदार चाय के लिए यह मधुबन में प्रसिद्ध हैं। तीर्थस्थल होने के कारण वाहन चालक, ट्रेवल्स संचालक, अन्य दुकानदार, तीर्थयात्री यहां चाय का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं। मधुबन के अलावा डुमरी, गिरडीह व दूसरे राज्य से आए तीर्थयात्री दुकान चाय पीने पहुंचते हैं।
जब शनिवार को हम पहुंचे तो चुनावी चौपाल सज गई थी। क्षेत्र के ही राधेगोविंद कह रहे हैं कि अस्सी के दशक के आखिरी चरण से गठबंधन सरकारों का दौर शुरू हुआ। अब भी दिख रहा है। यह देश की राजनीति के लिए ठीक नहीं है। इस पर रामकुमार बोले बात तो ठीक है। खिचड़ी सरकार चलाने में दिक्कतें आती हैं। बात शुरू हुई तो बढ़ चली। कांग्रेस व भाजपा के घोषणापत्रों पर चर्चा होने लगी। एक युवक बोला घोषणापत्र महज छलावा है। कोई जीते कुछ होनेवाला नहीं है। तब तक चाय की चुस्की ले रहे सुनील बरनवाल चर्चा में घुस पड़े। कहने लगे ऐसी बात नहीं है। इससे लोगों को पता चलता है पार्टी किन किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है।
जिन मुद्दों पर वह कन्नी काटती है तो जनता उस पर अपना फैसला चुनाव में दे देती है। तभी नरेश महतो बोले क्या भाजपा सांसद ने कभी अपने क्षेत्र का पूरा दौरा भी किया है। उनको कई गांव का नाम तक पता नहीं होगा। वहां की समस्या को क्या दूर करेंगे। जीतने के बाद कभी चेहरा दिखाने नहीं पहुंचे। पार्टी ने तभी उन्हें टिकट नहीं दिया। जो काम करनेवाले हैं वही चुन कर आएंगे। उनकी बात में दीपक कुमार ने हां में हां मिलाई। बेसाख्ता बोल उठे इसमें कोई दो मत नहीं। उसे ही सांसद बनाना है जो क्षेत्र के लिए काम करे।
पास ही रहने वाले राजकिशोर महतो ने तर्क देने लगे पीएम आवास योजना व उज्ज्वला योजना चल रही है। लेकिन इन योजनाओं और गैस कनेक्शन दे देने से क्या हो जाता है। आज भी गांवों में जाकर देखिए समस्या जस की तस है। समस्या दूर कर हर हाथ को काम दो तो योजना की क्या जरूरत। मधुबन व आसपास के क्षेत्रों में रोजगार, शिक्षा व अन्य विकास के लिए क्या हुआ, अरे साहब कुछ भी तो नहीं। स्थानीय लोगों का दर्द नेता कहां समझ रहे हैं। जो काम करेगा वही इनाम पाएगा।