Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: सियासत में शुचिता, आज के दौर में ये हैं मिसाल

Lok Sabha Election 2019. राजनीति में ऐसे नेता भी आए जिन्‍होंने शुचिता के उदाहरण पेश किए। लोग आज भी इन्हें श्रद्धा भाव से देखते हैं। सामाजिक सरोकारों से इनका गहरा जुड़ाव रहा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 01:59 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 01:59 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: सियासत में शुचिता, आज के दौर में ये हैं मिसाल
Lok Sabha Election 2019: सियासत में शुचिता, आज के दौर में ये हैं मिसाल

रांची, [प्रदीप सिंह] । Lok Sabha Election 2019 राजनीति समाजसेवा का माध्यम है। इसके जरिए हम सामाजिक बदलाव और सुधार की नींव रख सकते हैं। ऐसे वाक्य वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में सिर्फ आदर्श और किताबी ज्ञान के रूप में शुमार की जा सकती है लेकिन कुछ सक्रिय राजनीतिक व्यक्तित्व ऐसे भी हैं जिन्होंने राजनीति को नितांत आदर्श का विषय बनाए रखा।

loksabha election banner

वे इसकी चकाचौंध में कभी नहीं फंसे और समाजसेवा के जुनून में घर-परिवार तक की चिंता नहीं है। ऐसे लोग आज श्रद्धाभाव से देखे जाते हैं और लोग उन्हें अपना आदर्श भी मानते हैं। भारतीय राजनीति में शुचिता के आग्र्रही लोगों की तादाद भले ही कम हो लेकिन ऐसे लोगों ने राष्ट्र और समाज को खासा प्रभावित किया है। कई मायने में उन्होंने समाजसेवा के भी काम किए और सामाजिक रूढिय़ों के खिलाफ भी खड़ा होकर लोगों को संघर्ष करने को प्रेरित किया।

सांसद-विधायक रहे पर कभी वेतन नहीं लिया, पेंशन भी दान कर दिया एके राय ने
धनबाद के पूर्व सांसद एके राय राजनीति में एक अलहदा इंसान हीं कहे जाएंगे। वामपंथी धारा की राजनीति इन्होंने सक्रियता से की। राजनीति में स्वच्छता और इमानदारी इस कदर बनाए रखी कि न तो इनके पास अपना मकान है और न हीं बैंक बैलेंस। वे अपने संगठन माक्र्सवादी समन्वय समिति के एक कार्यकर्ता के घर पर रहते हैं। लगभग 90 वर्ष के इस वयोवृद्ध शख्सियत ने तीन बार लोकसभा में धनबाद का प्रतिनिधित्व किया। वे एकीकृत बिहार में सिंदरी से विधायक भी रहे। हाल ही में इन्हें डकैतों ने निशाना बनाया था। डकैतों को इनके पास से एक पुरानी घड़ी और 2600 रुपये हीं मिल पाए। आज के समय में जब राजनीति में पैसे की पैठ कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है, एके राय ने पूर्व सांसदों को मिलने वाला पेंशन तक राष्ट्रपति राहत कोष में दान कर रखा है।

अपने हाथों से खेतों में काम करती हैं जोबा मांझी
सिंहभूम जंगल आंदोलन के कद्दावर नेता देवेंद्र मांझी की पत्नी जोबा मांझी को भी राजनीति की चकाचौंध प्रभावित नहीं कर पाई। पति जमीनी आंदोलन से जुड़े थे और उनके निधन के बाद इन्होंने उनकी जगह ली। चुनावी राजनीति में हाथ आजमाया तो सफलता के लिए हाथ-पांव नहीं मारना पड़ा। झारखंड सरकार में मंत्री रह चुकी हैं और फिलहाल ओडि़शा की सीमा से सटे मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं।

पहनावा अति साधारण और वैसे तमाम घरेलू कामकाज वह खुद अपने हाथ से निपटाती हैं जो सामान्य आदिवासी महिलाएं करती हैं। चमकदमक ने उन्हें कभी आकर्षित नहीं किया। खुद खेतों में काम करती हैं और लोकल हाट में सब्जियां तक बेचती हैं। क्षेत्र में सम्मान ऐसा कि राजनीतिक विरोधी भी इन्हें श्रद्धाभाव से देखते हैं।

लोकनाथ को लोगों की फिक्र, पत्नी बेचती हैं सब्जी
आज जब मुखिया और निचली प्रतिनिधि संस्थाओं के प्रतिनिधि चमचमाती गाडिय़ों में फर्राटा भरते हैं, बुर्जुग लोकनाथ महतो को देखकर कोई कह नहीं सकता कि वे तीन टर्म विधायक रह चुके हैं। साधारण कुर्ता-पायजामा और पैरों में हवाई चप्पल इनकी पहचान है।

कंधे पर अंगोछा रख ये लगातार लोगों के सुखदुख में शामिल होते हैं। पारंपरिक तौर से खेतीबारी हीं इनका पेशा है। इनकी पत्नी मौलनी देवी सब्जियां तौलती हजारीबाग के बड़कागांव के बाजार में नजर आती हैं। लोकनाथ बाबू के दामन पर कभी दाग नहीं लगे। भाजपा से जुड़े हैं लेकिन इनकी लोकप्रियता दलों की सीमा से परे है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.