राहुल की रैली ने ताजा की पुराने दिनों की याद, इस बहाने कांग्रेस आंकेगी बिहार में औकात
काल चक्र पूरा एक चक्कर घूम चुका है। 30 साल पहले पटना में कांग्रेस की रैली को राजीव गांधी ने संबोधित किया था। अब तीन फरवरी को यह जिम्मेदारी उनके बेटे राहुल निभाने जा रहे हैं।
पटना [एसए शाद]। तीन फरवरी को गांधी मैदान में आयोजित कांग्रेस की जन आकांक्षा रैली पुराने दिनों की याद भी ताजा करेगी। करीब 30 साल पूर्व 1989 में कांग्रेस ने अपने बूते यहां गांधी मैदान में रैली की थी। इस रैली के माध्यम से कांग्रेस बिहार में अपनी औकात का भी अंदाजा लगाएगी।
विदित हो कि 20 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बोफोर्स सौदे के कारण उभरे बड़े विवाद के बीच रैली को संबोधित किया था। बिहार के लिए 5700 करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी। अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उफान से हाशिए पर आई कांग्रेस में नई जान फूंकने की मुहिम के साथ उनके पुत्र राहुल गांधी जन आकांक्षा रैली को संबोधित करेंगे।
कामयाब थी राजीव की रैली, पर बदल गया माहौल
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हरखू झा की मानें तो राजीव गांधी की रैली में जुटी भीड़ देख कहीं से भी यह अंदाजा नहीं था कि पार्टी अगला चुनाव हार जाएगी। बिहार में तो फिर पार्टी अकेले कभी सत्ता में नहीं आई। बोफोर्स की काली छाया और भाजपा के राम मंदिर मुद्दे को लेकर आक्रमक रुख के बावजूद राजीव गांधी की रैली एक बहुत कामयाब थी। मगर फिर कुछ ही दिनों बाद शिला पूजन, भागलपुर दंगे आदि के कारण हवा का रुख बदल गया। 5700 करोड़ का विशेष पैकेज भी काम नहीं आया। अगले चुनाव में दो सांसदों की भाजपा 85 पर जा पहुंची।
बिहार में धीरे-धीरे कमजोर होती गई पार्टी
राहुल गांधी के लिए भी परिस्थिति कुछ वैसी ही है। फर्क यह है कि 1985 में 404 सीटों के साथ कांग्रेस की आजतक की सबसे बड़ी जीत दर्ज करा कर प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी के सामने पार्टी कमजोर होती चली गई। वहीं, राहुल गांधी अभी 2014 में भाजपा की अकेले 282 सीटों के साथ हुई बड़ी कामयाबी के कारण लगभग अचेत अवस्था में आ गई कांग्रेस में नई जान फूंकने में लगे हैं। उन्हें सफलता भी मिल रही है।
राहुल की रैली को सफल बनाने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा कहते हैं कि अध्यक्ष बनने और तीन राज्यों में पार्टी की सरकार बना लेने में कामयाब होने के बाद राहुल गांधी पहली बार बिहार आ रहे हैं। यहां कांग्रेसी ठीक उसी तरह से उनके स्वागत को तैयार हैं, जिस प्रकार लंका दहन के बाद अयोध्या लौटे भगवान राम का स्वागत हुआ था। पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता पूरी इमानदारी के साथ रैली को सफल बनाने में लगा है।
रैली में नहीं बुलाए जा रहे बाहरी नेता
पार्टी सूत्रों ने इस बीच बताया कि रैली के बहाने कांग्रेस जमीन पर अपनी ताकत का अंदाजा भी कर लेना चाहती है। इसी कारण, पिछले दिनों हुई ममता बनर्जी की रैली के विपरीत जन आकांक्षा रैली में महागठबंधन के किसी राष्ट्रीय नेता को बुलाने की संभावना बहुत कम है। गठबंधन में शामिल घटक दलों जैसे राजद, राष्ट्रीय लोक समजा पार्टी (रालोसपा), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (माकपा), भाकपा (माले) एवं विकासशील इंसान पार्टी के बिहार के मुख्य नेता मौजूद रहेंगे।