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अधिकारीगण कृपया ध्यान दें, चुनाव से पहले किसी नेता से नातेदारी पड़ सकती है भारी

मध्य प्रदेश में अफसरों को नेताओं से नातेदारी भारी पड़ने लगी है। भाजपा-कांग्रेस दोनों अपने खास अधिकारियों को नजदीक रखना चाह रही हैं। वहीं दूसरी पार्टी के चहेते अफसरों का ट्रांसफर।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 11:45 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 11:45 AM (IST)
अधिकारीगण कृपया ध्यान दें, चुनाव से पहले किसी नेता से नातेदारी पड़ सकती है भारी
अधिकारीगण कृपया ध्यान दें, चुनाव से पहले किसी नेता से नातेदारी पड़ सकती है भारी

वैभव श्रीधर, भोपाल। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद मध्य प्रदेश में अफसरों को नेताओं से नातेदारी भारी पड़ने लगी है। शिकवा-शिकायत का सिलसिला तेज हो गया है। चुनाव आयोग भी इस मामले में काफी संवेदनशीलता दिखा रहा है। इसी कड़ी में भाजपा ने उमरिया कलेक्टर और सिंगरौली पुलिस अधीक्षक की शिकायत की तो उनका तबादला कर दिया गया।

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भाजपा उपाध्यक्ष विजेश लूणावत की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने कुछ दिनों पहले ही उमरिया कलेक्टर अमरपाल सिंह को लेकर शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि वह पूर्व विधायक प्रमिला सिंह के पति हैं और कांग्रेस के पक्ष में काम कर रहे हैं।

ऐसी ही शिकायत सिंगरौली के पुलिस अधीक्षक हितेष चौधरी के लिए की गई थी। हितेष कालापीपल से कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी के छोटे भाई हैं। इन दोनों अधिकारियों को मैदानी पदस्थापना मिले ज्यादा वक्त भी नहीं बीता था। ठीक इसी तरह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए राजगढ़ पुलिस अधीक्षक सिमाला प्रसाद (भिंड सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद की पुत्री), विशेष सशस्त्र बल में कमांडेंट आरएस मीणा (पूर्व भाजपा विधायक ममता मीणा के पति) और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर अभिषेक राजन (पूर्व सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग के साढू भाई) की शिकायत करके उन्हें हटवाया था।

इसके अलावा द्वितीय और तृतीय श्रेणी कार्यपालक अधिकारियों की नेताओं से रिश्तेदारी को लेकर ढेरों शिकायतें की गई थीं। भाजपा हो या कांग्रेस, चुनाव आयोग ने दोनों की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए अधिकारियों को बदलने में बिल्कुल भी देर नहीं लगाई। उधर, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि हमारा काम निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है। यदि किसी अधिकारी विशेष की वजह से पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं तो फिर आयोग निर्णय लेता है।

रिश्तेदार अफसर को अलग कैटेगरी में रखकर ट्रीट करना ठीक नहीं : केएस शर्मा
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि रिश्तेदार अफसर को अलग कैटेगरी में रखकर ट्रीट करना ठीक नहीं है। अधिकारी संविधान की शपथ लेकर आता है और उसी के प्रति आस्था रखकर काम करता है। वहीं, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लूणावत का कहना है कि हमारे पास कई और अधिकारियों की सूची है और आने वाले दिनों में अन्य नाम भी सामने आएंगे।


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