Lok Sabha Election 2019: BIG ISSUE: स्नातक के आगे पढ़ने के लिए छोड़ना पड़ता अपना घर
बात जब शिक्षा की आती है तो गिरिडीह अंतिम पायदान पर नजर आता है। यहां न तो उच्च शिक्षा की सुविधा है और न ही तकनीकी शिक्षा की।
गिरिडीह, ज्ञान ज्योति। करीब 25 लाख से अधिक की आबादी। 4 अनुमंडल, 13 प्रखंड, 6 विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्र (गिरिडीह और कोडरमा) में विभक्त गिरिडीह जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से बड़ा जिला है। देश-विदेश में भी इसकी पहचान रही है।
कालांतर में अबरख और कोयला तो हाल के वर्षों में लौह उद्योग के कारण गिरिडीह जिला राष्ट्रीय पटल पर अपनी छाप छोड़े हुए है। इसी जिला की धरती पर जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पारसनाथ होने के कारण भी इस जिले की ख्याति विदेशों तक है, लेकिन बात जब शिक्षा की आती है तो गिरिडीह अंतिम पायदान पर नजर आता है। यहां न तो उच्च शिक्षा की सुविधा है और न ही तकनीकी शिक्षा की। यहां के युवक-युवतियां किसी तरह इंटर और स्नातक तो करते हैं, लेकिन इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें दूसरे शहरों और राज्यों की ओर रुख करना पड़ता है। हजारों युवाओं के भविष्य और हित से जुड़े इस मुद्दे को किसी भी राजनीतिक दल ने अपना चुनावी एजेंडा नहीं बनाया है।
नामांकन के लिए होती मारामारी: बता दें कि गिरिडीह जिले में सात डिग्री कॉलेज हैं, जिनमें तीन सरकारी और चार अर्धसरकारी हैं। आबादी और क्षेत्रफल के अनुसार यहां डिग्री कॉलेजों की भी संख्या पर्याप्त नहीं है, जिस कारण मैट्रिक के बाद इंटर और इंटर के बाद स्नातक में नामांकन कराने के लिए मारामारी होने लगती है। कॉलेजों में पर्याप्त सीट नहीं रहने के कारण ऐसी स्थिति होती है। काफी छात्र-छात्राएं नामांकन लेने से वंचित रह जाते हैं या फिर उन्हें बाहर जाना पड़ता है।
शिक्षकों और संसाधनों का भी अभाव: यहां के कॉलेजों में शिक्षकों और संसाधनों का भी घोर अभाव है। इससे कॉलेजों में सही से पढ़ाई नहीं हो पाती है। इस कारण विद्यार्थियों की उपस्थिति भी कॉलेजों में कम रहती है। अंतत : इसका खामियाजा विद्यार्थियों को ही भुगतना पड़ता है। वे सही से परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाते हैं और उनका रिजल्ट खराब होता है।
तकनीकी शिक्षा की ओर बढ़ रहा रुझान: वर्तमान में युवाओं का रुझान तकनीकी शिक्षा की ओर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन यहां इसकी व्यवस्था नहीं है। तकनीकी और उच्च शिक्षा हासिल करने सपना संजोए युवक-युवतियों को निराशा ही हाथ लगती है। गिरिडीह कॉलेज में मात्र तीन विषयों में ही पीजी की पढ़ाई की व्यवस्था है। गिरिडीह में हर साल करीब 10 हजार विद्यार्थी स्नातक करते हैंं। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें सोचना पड़ता है। संपन्न और आर्थिक रूप से सक्षम विद्यार्थी तो बाहर जाकर उच्च व तकनीकी शिक्षा हासिल करने का सपना पूरा कर लेते हैं, लेकिन गरीब विद्यार्थियों और लड़कियों के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं हो पाता है। वे चाह कर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।
कई छोटे राज्यों से भी पिछड़ा है झारखंड: प्रो. डॉ अनुज कुमार बताते हैं कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश सहित कई छोटे-छोटे राज्यों में मेडिकल, पारा मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि कॉलेज खोले जा रहे हैं, लेकिन झारखंड इस मामले में काफी पीछे है। गिरिडीह की स्थिति तो और खराब है। पैसे वाले परिवारों के बच्चे बाहर जाकर तकनीकी शिक्षा हासिल कर ले रहे हैं, लेकिन गरीब छात्र पीछे रह जा रहे हैं।
छात्रों में रोष: बता दें कि गिरिडीह में तकनीकी व उच्च शिक्षा, पर्याप्त शिक्षक व संसाधन आदि की व्यवस्था करने की मांग को लेकर हमेशा आवाज उठाते रहे हैं। इसके लिए कई आंदोलन भी किए हैं, लेकिन परिणाम सिफर ही रहा है। इससे छात्रों में रोष है। छात्र अभिनव कुमार ने कहा कि सरकार और जनप्रतिनिधि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। चुनाव में वोट मांगने तो सभी आते हैं। तब बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन बाद में सब भूल जाते हैं। राकेश कुमार वर्मा ने कहा कि तकनीकी और उच्च शिक्षा किसी भी दल के एजेंडे में शामिल नहीं है। सभी दलों के नेता केवल झूठे आश्वासन देते हैं। इस मुद्दे को राजनीतिक दलों को चुनावी मुद्दा बनाकर इस पर अमल भी करना चाहिए।