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Lok Sabha Election 2019: जमीन पर गठबंधन की गांठ पड़ी कमजोर... वोट शिफ्टिंग पर नहीं जोर

चुनाव तक यही स्थिति बनी रही तो बड़े स्तर पर वोट शिफ्टिंग का जो फार्मूला तैयार कर गठबंधन हुआ था उसका जमीन पर परिणाम आशातीत नहीं मिलेगा। यह बात अब सहयोगी दल के नेता भी मान रहे हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 11:33 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 11:33 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: जमीन पर गठबंधन की गांठ पड़ी कमजोर... वोट शिफ्टिंग पर नहीं जोर
Lok Sabha Election 2019: जमीन पर गठबंधन की गांठ पड़ी कमजोर... वोट शिफ्टिंग पर नहीं जोर

बोकारो, बीके पाण्डेय। लोकसभा चुनाव के लिए पार्टियों के  केंद्रीय स्तर पर तैयार गठबंधन जमीन पर हठबंधन के तौर पर दिख रहा है। समन्वय की बैठक में सब एकजुट दिखते हैं। बावजूद जमीन पर जिस दल का प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है, उस दल को छोड़ दें तो सहयोगी दल के कार्यकर्ता व नेता अब तक रौ में नहीं आए हैं। कहीं न कहीं उनमें यह फांस  है कि चुनाव लड़ रहा दल कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दे रहा है। आपसी समन्वय में एनडीए की स्थिति कुछ ठीक है तो महागठबंधन में बिखराव जिला से बूथ स्तर तक दिख रहा है। गिरिडीह में यह समस्या कुछ कम है। बावजूद धनबाद लोकसभा क्षेत्र के बोकारो व चंदनकियारी विधानसभा में गठबंधन की गांठ साफ दिख रही है।

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चुनाव तक यही स्थिति बनी रही तो बड़े स्तर पर वोट शिफ्टिंग का जो फार्मूला तैयार कर गठबंधन हुआ था उसका जमीन पर परिणाम आशातीत नहीं मिलेगा। यह बात अब सहयोगी दल के नेता भी मान रहे हैं।

सिर्फ बैठकों में दिख रहा गठबंधन : धनबाद लोकसभा के बोकारो व चंदनकियारी में महागठबंधन केवल बैठक तक ही दिख रहा है। गांव-गली में न तो बंधन है और नही बंधन को बांधने वाले घर से निकल रहे हैं। रही बात चुनाव लड़ रही कांग्रेस की तो पार्टी में नेता अधिक व कार्यकर्ता कम हैं। कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी झामुमो के नेताओं को अब तक एक साथ नुक्कड़ की सभाओं में किसी ने नहीं देखा। दूसरे झाविमो की बात करें तो उसके नेता अब तक किसी बड़े कार्यक्रम में नहीं दिखे, राजद व वाम मोर्चे का भी यही हाल है। कई कार्यकर्ता दबे स्वर में कहते हैं कि लगता है कि इनको कांग्रेस की ओर से विशेष न्योते का इंतजार है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने दिया टास्क : गांठ को खोलकर सभी दलों के लोगों को एक करने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर और सभी को टास्क दिया है। इस टास्क पर जितना काम होगा, उसी पर जीत-हार का अंतर भी निर्भर करेगा। गिरिडीह में बेरमो विधानसभा से पूर्व विधायक राजेन्द्र ङ्क्षसह तो महागठबंधन के साथ हैं लेकिन दूसरे विधानसभा क्षेत्र में संगठन के लोग कितने कारगर ढंग से लगेंगे यह देखने वाली बात होगी।

गिरिडीह में बना है समन्वय पर धनबाद में दिख रही कमी : एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर गिरिडीह लोकसभा में आजसू प्रत्याशी का चुनाव भाजपा के नेता लड़ रहे हैं। यहां बहुत हद तक आजसू के रणनीतिकार समन्वय बनाने में सफल रहे हैं। वहीं धनबाद लोकसभा में भाजपा व आजसू के नेता तो एक साथ घूम रहे हैं। बावजूद सहयोगी लोजपा, जदयू के नेता गांव व मोहल्ले में दिख नहीं रहे हैं। हालांकि इस चुनाव में दोनों दलों के समर्थकों की संख्या कम नहीं है। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस गांठ को सुलझाने के लिए चिराग पासवान और जद यू के नेताओं को लाने की तैयारी है। दूसरी ओर राजद के विक्षुब्ध नेताओं को मनाने के लिए तेजस्वी यादव को बोकारो लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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