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नक्‍सली हमले के बावजूद बस्‍तर में टूटा पोलिंग का रिकार्ड

बस्‍तर में चुनाव किसी जंग से कम नहीं है। वह भी तब जब चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद से नक्सल लगातार वोट न देने के लिए लोगों को धमकी दे रहे थे।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 07:37 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 07:37 PM (IST)
नक्‍सली हमले के बावजूद बस्‍तर में टूटा पोलिंग का रिकार्ड
नक्‍सली हमले के बावजूद बस्‍तर में टूटा पोलिंग का रिकार्ड

रायपुर, राज्‍य ब्‍यूरो। नक्‍सल प्रभावित क्षेत्र बस्‍तर में हुई ताजा नक्‍सली घटना ने देश-दुनिया का चौंका दिया था वहीं कम ही लोग यह जानते हैं कि यहां चुनाव जंग के समान है। छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित बस्तर संसदीय क्षेत्र में लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए हर वर्ष सुरक्षाबल से लेकर आम लोग तक बड़ी संख्या बलिदान देते हैं। 

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इन परिस्थितियों में वहां चुनाव किसी जंग से कम नहीं है। वह भी तब जब चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद से नक्सल लगातार वोट न देने के लिए लोगों को धमकी दे रहे थे। इन सब के बीच मतदान के ठीक दो दिन पहले दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों ने हत्या कर दी। इसके बावजूद वहां के वोटरों ने रिकार्ड मतदान कर पूरे देश को संदेश दिया।
बस्तर में इस बार रिकार्ड 65 फीसद से अधिक वोट पड़े हैं। बस्तर के संसदीय इतिहास में यह अब तक का सबसे ज्यादा मतदान है। इस संसदीय सीट में शामिल सभी आठों विधानसभा सीटें नक्सल प्रभावित हैं। आश्चर्यजनक रुप से सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा में पिछली बार की तुलना में इस बार 17 फीसद से अधिक मतदान हुआ है।

दंतेवाड़ा में भी लगभग 10 फीसद अधिक मतदान
दंतेवाड़ा में पिछले आम चुनाव में करीब 47 फीसद मतदान हुआ था, इस बार आंकड़ा सीधे 57 फीसद तक पहुंच गया है। यह स्थिति तब है, जब मतदान से दो दिन पहले नक्सलियों ने क्षेत्रीय विधायक भीमा मंडावी की हत्या कर दी थी। विधानसभा चुनाव में यहां करीब 61 फीसद मतदान हुआ था।

प्रत्याशियों के क्षेत्र 11 फीसद बढ़ा आंकड़ा
बस्तर संसदीय सीट से कांग्रेस ने चित्रकोट विधानसभा सीट से विधायक दीपक बैज को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने इसी सीट से विधायक रहे बैदूराम कश्‍यप को चुनाव मैदान में उतारा है। संभवत: इसी वजह से यहां पिछले आम चुनाव की तुलना में करीब 11 फीसद अधिक मतदान हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में चित्रकोट में 66.15 फीसद मतदान हुआ था। इस बार आंकड़ा 77.20 फीसद तक पहुंच गया है।

सर्वाधिक नक्सल खौफ वाले क्षेत्रों में भी बढ़ा आंकड़ा
बीजापुर और कोंटा (सुकमा) इस वक्त बस्तर संभाग की सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से यहां वोटिंग का ट्रेंड बदला है। नक्सल धमकी को दरकिनार कर लोग वोट डालने निकल रहे हैं। यही वजह है कि मतदान का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। इस बार बीजापुर में करीब 42 और कोंटा में 47 फीसद मतदान हुआ है। पिछले आम चुनाव में क्रमश: 33 और 30 फीसद मत पड़े थे, जबकि विधानसभा चुनाव में 47 और 55 फीसद वोट पड़े थे।

संभागीय मुख्यालय में भी 10 फीसद मतदान
बस्तर संभाग का मुख्यालय जगदलपुर है। वहां इस बार 77 फीसद वोट पड़ा है। पिछले आम चुनाव में आंकड़ा 67 फीसद से कुछ अधिक था। लगभग 10 फीसद अधिक मतदान हुआ है।

  • वर्षवार मतदान
  • 2004 43.32
  • 2009 47.33
  • 2014 59.32
  • 2019 65. 04

तीन चुनावों में बस्तर संसदीय सीट में मतदान के आंकड़े

विधानसभा लोस 2014 लोस 2019 वोट बढ़े

  • कोंडागांव 71.37 78.41 7.04
  • नारायणपुर 63.50 67.00 3.5
  • बस्तर 75.68 81.30 5.62
  • जगदलपुर 67.57 77.11 9.54
  • चित्रकोट 66.15 77.20 11.05
  • दंतेवाड़ा 46.79 56.63 9.84
  • बीजापुर 32.69 41.72 9.03
  • कोंटा 29.63 47.21 17.58
  • नोट- आंकड़े फीसद में।

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