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भाई-बहन का गठजोड़ टूटा, बसपा का लोसुपा से गठबंधन, अभय बाेले- ऐसे नहीं टूटता रिश्‍ता

हरियाणा में नया राजनीतिक समीकरण सामने आया है। बसपा ने इनेलो से अपना गठबंधन तोड़ने की घोषणा की है। बसपा ने अब राजकुमार सैनी की पार्टी के साथ गठबंधन किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 01:27 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 09:08 AM (IST)
भाई-बहन का गठजोड़ टूटा, बसपा का लोसुपा से गठबंधन, अभय बाेले- ऐसे नहीं टूटता रिश्‍ता
भाई-बहन का गठजोड़ टूटा, बसपा का लोसुपा से गठबंधन, अभय बाेले- ऐसे नहीं टूटता रिश्‍ता

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा की राजनीति में भाई और बहन का रिश्‍ता टूट गया है। इसके साथ ही राज्‍य में नया राजनीतिक समीकरण सामने आया है। इनेलोे के दावों के विपरीत बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने उसके साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया है। बसपा ने शनिवार को इंडियन नेशनल लोकदल से गठबंधन तोड़ने और भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (लोसुपा) से गठजोड़ करने का ऐलान किया। इनेलो नेता अभय चौटाला ने बसपा सु्प्रीमो मायावती से अपने रिश्‍ते की ओर इशारा करते हुए कहा कि भाई-बहन को रिश्‍ता नहीं टूटा करते।

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चुनाव से पहले बसपा से गठजोड़ टूटने से इनेलो को तगड़ा झटका लगा है। इससे पहले बसपा का दुष्‍यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर महागठबंधन बनने की चर्चाएं चल रही थीं। लेकिन चर्चाओं से अलग हरियाणा की राजनीति ने एक बार फिर करवट ली है।

सीटों का भी बंटवारा हुआ, लोकसभा में बसपा और विधानसभा में लोसुपा को अधिक सीटें

बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने शनिवार को चंडीगढ़ प्रेस क्‍लब में आयोजित प्रेस कांन्‍फेंस मेें इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ अपने समझौते को तोड़ने का ऐलान किया।  बसपा ने कुरुक्षेत्र से भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन करने की घोषणा की। यही नहीं, दोनों दलों ने लोकसभा एवं विधानसभा के लिए सीटों का भी बंटवारा कर दिया है।

गठबंधन का ऐलान करने के बाद बसपा नेताआें के साथ राजकुमार सैनी।

सीटों का भी हुआ बंटवारा, सैनी के खाते में मुख्यमंत्री पद

प्रदेश में गठबंधन ने राजकुमार सैनी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। शुक्रवार की देर रात तक नई दिल्ली में गठबंधन की शर्तों को लेकर बातचीत चलती रही। बसपा सुप्रीमो एवं यूपी की पूर्व सीएम कुमारी मायावती की गठबंधन पर मुहर लगने के बाद शनिवार को दोनों दलों के नेताओं ने चंडीगढ़ में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करके इसका ऐलान किया। सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार की रात ही मायावती ने इनेलो के साथ गठबंधन तोड़ने के फैसले को भी हरी झंडी दे दी थी।

इस संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में दोनों ही दलों लोसुपा और बसपा के नेताओं के फोटो लगे हुए थे और झंडे भी दोनों पार्टियों ने लगाए गए थे। इनेलो से नाता तोड़ने और लोसुपा के साथ जोड़ने का ऐलान भी बसपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी डॉ़ मेघराज ने किया। इस मौके पर राजकुमार सैनी के अलावा बसपा प्रदेशाध्यक्ष प्रकाश भारती और लोसुपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीपाल सैनी समेत कई नेता मौजूद रहे।

पुरानी यादें: अभय चौटाला को राखी बांधतीं बसपा सुप्रीमो मायावती। (फाइल फोटो)

इन शर्तों पर गठबंधन

हरियाण से लोकसभा की 10 में से आठ सीटों पर बसपा और दो सीटों पर लोसुपा अपने उम्मीदवार उतारेगी। सीटों का बंटवारा तो हो गया है, लेकिन इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि राजकुमार सैनी किन दो लोकसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारेंगे और किन पर मायावती की पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। हरियाणा विधानसभा की 90 में से 55 सीटें लोसुपा को दी गई हैं और बसपा के हिस्‍से में 35 सीटें आई हैं। इस बंटवारे के साथ ही, बसपा ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार राजकुमार सैनी होंगे।

किसे फायदा, किसे नुकसान

लोसुपा और बसपा का यह गठबंधन अगर जारी रहता है तो लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को इसकी वजह से बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। कांग्रेस के एससी वोट बैंक में भी गठबंधन सेंधमारी करेगा। हिसार सांसद दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के लिए भी यह तगड़ा झटका है, क्‍योंकि उसका बसपा से गठअंधन होने की चर्चाएं चल रही थीं। मौजूदा स्थिति में सबसे अधिक और सीधा नुकसान इनेलो को हुआ है।

एक साथ सियासी लड़ाई की शुरूआत पानीपत से

गठबंधन की घोषणा के साथ ही बसपा-लोसुपा ने अपनी साझी सियासी लड़ाई की शुरूआत पानीपत से करने का ऐलान किया। दोनों दलों के नेताओं ने मिलकर 17 फरवरी को पार्टी के संयुक्त कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए पानीपत में चुना है। इस सम्मेलन में दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के अलावा पचास हजार से अधिक कार्यकर्ताओं के जुटने का दावा किया गया है। कुल मिलाकर यह नया गठबंधन अब पानीपत से लोकसभा चुनावों का आगाज करेगा।

मायावती ने इनेलाे के समक्ष गठबंधन जारी रखने को रखी थी मुश्किल शर्त

बता दें कि इससे पहले बसपा का इनेलो से गठबंधन था, लेकिन जींद उपचुनाव के बाद इसके टूटने की चर्चाएं चलने लगीं। नया गठबंधन 17 फरवरी को पानीपत में संयुक्‍त रैली करेगा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन जारी रखने के लिए इनेलो के सामने ऐसी शर्त रख दी जिसे मानना वर्तमान हालत में उसके लिए संभव नहीं था। मायावती ने कहा था कि इनेलो और उससे टूट कर बनी जेजेपी फिर से एकजुट हो जाए तभी गठबंधन जारी रखा जा सकता है।

'मौका दिया था मगर एक नहीं हो सका चौटाला परिवार'

'' हम इनेलो के साथ गठबंधन तोड़ने के पक्ष में नहीं थे। हालात ही ऐसे बन गए कि बसपा को अपना निर्णय बदलना पड़ा। जब हमने गठबंधन किया था तो चौटाला परिवार एक था लेकिन परिवार टूटने के बाद बड़ा राजनीतिक नुकसान हुआ। परिवार में विघटन के बाद भी हमने जींद को ट्रायल के तौर पर लिया। जींद के नतीजों ने यह साफ कर दिया कि परिवार की टूट का फायदा भाजपा को हो रहा है। इसीलिए बसपा ने इनेलो के साथ नाता तोड़कर लोसुपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला लिया। हमने चौटाला परिवार को एक होने का मौका दिया था, लेकिन वे एक नहीं हो पाए।
                                                                                              - डाॅ. मेघराज, प्रभारी, हरियाणा बसपा।

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बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ इनेलो नेता अभय चौटाला। (फाइल फोटो)

'बहन-भाई का रिश्ता कभी टूटा नहीं करता'

'' मैं बसपा द्वारा समझौता तोड़े जाने से हैरान हूं, क्योंकि हमारी पार्टी में बसपा कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान दिया गया। बहरहाल, कारण तो वे ही बता सकते हैं, लेकिन भाई-बहन का रिश्ता कभी टूटा नहीं करता। वह कायम रहता है। जो गठबंधन तोड़ता है, नुकसान भी उसी का ही होता है। गठबंधन टूटने से इनेलो को कोई भी नुकसान नहीं हुआ है।
                                                                                         - अभय सिंह चौटाला, नेता विपक्ष, हरियाणा।


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'जीरो प्लस जीरो बराबर जीरो, यानी भाजपा को कोई चिंता नहीं'

'' लोसुपा और बसपा के समझौते का हरियाणा की राजनीति पर कोई फर्क नहीं प़ड़ता, क्योंकि दोनों पार्टियां जीरो हैं। जीरो और जीरो आपस में मिलकर जीरो ही होती हैं। यानि जीरो प्‍लस जीरो बराबर जीरो। ऐसे में भाजपा को इससे कोई चिंता नही है। भाजपा को इससे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन यह भी सत्य है कि जो राजकुमार सैनी अपनी भाजपा पार्टी का नहीं हो सका, वह बसपा या लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का कैसे हो सकता है।
                                                                                     - प्रो. रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री, हरियाणा।

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