दिल्ली-NCR की इन सीटों पर 'पूर्वाचल' का दबदबा, मतदाताओं को ऐसे साध रही हैं पार्टियां
दिल्ली में पूर्वांचल मूल के मतदाताओं की संख्या जहां 30 फीसद से भी अधिक है वहीं फरीदाबाद गुरुग्राम और सोनीपत में यह संख्या लगभग 10 फीसद है।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। दिल्ली-एनसीआर की कई लोकसभा सीटों पर पूर्वांचल के मतदाताओं की भी अहम भूमिका होगी। अभी अाधिकारिक रूप से भले ही कुल संख्या का ऐसा कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन अनुमान के मुताबिक दिल्ली की सात और दिल्ली से सटी हरियाणा की तीन लोकसभा सीटों पर पूर्वांचल के मतदाताओं की संख्या लगभग 20 फीसद है।
पूर्वांचल से जुड़े संगठनों की मानें तो दिल्ली में पूर्वांचल मूल के मतदाताओं की संख्या जहां 30 फीसद से भी अधिक है, वहीं फरीदाबाद, गुड़गांव (गुरुग्राम) और सोनीपत में यह संख्या लगभग 10 फीसद है। औसत लगभग 20 फीसद है। हरियाणा में सबसे अधिक संख्या फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में है। गुड़गांव और सोनीपत सीट पर भी पूर्वांचल का दबदबा है।
चुनाव में पूर्वांचल के लोगों की अहम भूमिका
हरियाणा की कुछ अन्य सीटों पर भी मूल निवासी बन चुके पूर्वांचल के लोग अहम भूमिका निभाते हैं। पूर्वांचल के मतदाताओं की अहम भूमिका को देखते हुए ही विभिन्न दलों के नेताओं ने उन लोगों से निकटता बढ़ाना शुरू कर दिया है, जिनका पूर्वांचल के लोगों पर सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव है। बिहार और उत्तर प्रदेश मूल के मतदाताओं को साधने के लिए सभी प्रमुख दलों ने बिहार व उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं की सेवाएं लेने की योजना बनानी शुरू कर दी हैं।
मतदान की तारीख निकट आने के साथ ही बिहार के स्टार प्रचारक हरियाणा में भी अपनी-अपनी पार्टियों के लिए प्रचार करते नजर आएंगे। पूर्वांचल में बिहार के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले शामिल हैं।
क्या कहते हैं पूर्वांचल के लोग?
पूर्वांचल समिति गुरुग्राम के प्रधान उपेंद्र राय का कहना है कि समय के साथ लोगों में जागरूकता आ रही है। पहले पूर्वांचल के लोगों की जितनी संख्या थी उतनी संख्या मतदाताओं की नहीं थी, लेकिन अब लोगों ने खुद को मतदाताओं के रूप में पंजीकृत करवाया है। कुछ नगर निकायों व ग्राम पंचायतों में पूर्वांचल के लोगों को प्रतिनिधित्व करने का मौका भी मिल चुका है।
वहीं पूर्वोत्तर छठ समिति रेवाड़ी के राजीव यादव ने बताया कि जहां-जहां औद्योगिक विस्तार हुआ है वहां पर पूर्वांचल के लोगों ने काफी मेहनत से अपनी जगह बनाई है। हजारों लोग अब यहां के स्थायी निवासी बन चुके हैं। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, पूर्वोत्तर के लोग मतदान करने की अपनी जिम्मेदारी बढ़चढ़ कर निभाते हैं।