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General Election 2019: कांग्रेस-AAP में गठबंधन नहीं होने से भाजपा को होगा ये बड़ा फायदा

पिछले लोकसभा चुनाव (2014) की स्थिति का आकलन करें तो दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ ही सीधा मुकाबला हुआ था, जिसमें भाजपा को 46 फीसद वोट मिले थे।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 02:36 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 02:43 PM (IST)
General Election 2019: कांग्रेस-AAP में गठबंधन नहीं होने से भाजपा को होगा ये बड़ा फायदा
General Election 2019: कांग्रेस-AAP में गठबंधन नहीं होने से भाजपा को होगा ये बड़ा फायदा

नई दिल्ली, जेएनएन। आगामी लोकसभा चुनाव (General Election 2019) में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन से मना करने के बाद दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। इसका फायदा भाजपा को मिलने के आसार हैं। भाजपा का प्रयास रहा है कि एंटी मोदी वोट बंट जाए। अब अपने इस उद्देश्य में भाजपा सफल होती नजर आ रही है।

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पिछले लोकसभा चुनाव (2014) की स्थिति का आकलन करें तो दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ ही सीधा मुकाबला हुआ था, जिसमें भाजपा को 46 फीसद वोट मिले थे। AAP के लिए यह पहला लोकसभा चुनाव था। AAP को 33 फीसद वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस बहुत पीछे चली गई थी। कांग्रेस को केवल 15 फीसद वोट मिले थे। AAP इसे आधार बनाकर कांग्रेस से गठबंधन करने का प्रयास कर रही थी, जिससे कि एंटी मोदी वोट न बंटे। दिल्ली में इस समय आम आदमी पार्टी की सरकार है।

सरकार की उपलब्धियों से उसे फायदा होगा। पार्टी का आकलन है कि मोदी का ग्राफ नीचे गया है। 46 फीसद पर रहने वाली भाजपा इस बार 35-36 फीसद से ऊपर नहीं जा पाएगी, जबकि AAP का ग्राफ बढ़ा है। जनता दिल्ली सरकार का कामकाज देख रही है, ऐसे में AAP मान रही है कि दिल्ली में उसका ग्राफ कम से कम भी रहा तो 36 फीसद से ऊपर ही जाएगा।

यदि कांग्रेस का 15 फीसद वोट AAP के साथ आता है तो कुल वोट फीसद 51 फीसद पर पहुंच जाएगा। यदि 2014 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से भी देखें तो AAP के 33 फीसद और कांग्रेस के 15 फीसद वोट मिलकर 48 फीसद हो जाते हैं। ऐसे में भी AAP और कांग्रेस मिलकर चुनाव जीत जाएंगी। यही वह कारण था जिसके लिए केजरीवाल ने गठबंधन के लिए कांग्रेस की ओर हाथ बढ़ाया था।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी राहुल गांधी से बात की थी। जिसमें इस बात का जिक्र भी हुआ था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी तोड़ने के लिए गठबंधन जरूरी है, मगर राहुल गांधी ने तीन दिन पहले गठबंधन से साफ इनकार कर दिया है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ता भी हैरान हैं कि AAP से पार्टी आलाकमान क्यों गठबंधन नहीं कर रहे हैं।


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