Lok Sabha Election 2019: दिल्ली के मतदाताओं के लिए जरूरी खबर, यहां मिलेगी सारी जानकारी
देशभर में सबसे अधिक और सशक्त जागरूकता अभियान तो दिल्ली में ही चल रहा है। तमाम एफएम चैनलों पर हमारे रेडियो जिंगल चल रहे हैं। जगह-जगह सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बजते ही दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) का कार्यालय भी पूरी तरह सक्रिय हो गया है। बेशक, दिल्ली में मतदान 12 मई को छठे चरण में होना है, लेकिन यहां का सियासी पारा अभी से चढ़ने लगा है। खासकर, लोगों के पास जाने वाली वह कॉल चर्चा में है, जिसमें लोगों को बताया जा रहा है कि उनके नाम मतदाता सूची से काट दिए गए हैं। कॉल सेंटरों से आ रहीं इस तरह की झूठी कॉल में तो सीईओ कार्यालय पर भी अंगुली उठाई जा रही है। इसी को लेकर दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता संजीव गुप्ता ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. रणबीर सिंह से लंबी बातचीत की। 1991 बैच के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी डॉ. सिंह पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त भी रह चुके हैं। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंशः-
1. दिल्ली में लोकसभा चुनाव की तैयारियों की क्या स्थिति है?
- चुनाव की तैयारियां जोरों पर चल रही है। मतदाता सूची को लगातार अपडेट किया जा रहा है। अधिकाधिक लोगों के नाम मतदाता सूची में जोड़ने का काम चल रहा है। हमारी कोशिश यही है कि कोई भी मतदाता मताधिकार से वंचित न रह जाए। ईवीएम और वीवीपैट के प्रयोग को लेकर कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। मतदाताओं की सुविधा के लिए 2,696 पोलिंग स्टेशनों पर 13,816 बूथ बनाए जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से मतदान के लिए 34,953 बैलेट यूनिट, 19,002 कंट्रोल यूनिट और 20,435 वीवीपैट की सहायता ली जाएगी जबकि मतगणना के लिए सातों लोकसभा क्षेत्रों में एक-एक केंद्र बनाए जाएंगे। हर निर्वाचन क्षेत्र में एक मॉडल मतदान केंद्र होगा और महिला मतदाताओं के लिए एक-एक महिला मतदान केंद्र बनाया जाएगा।
2. क्या मतदाता जागरूकता अभियान अभी ठीक से नहीं चल रहा है? बहुत अधिक गतिविधि नहीं दिखाई दे रही।
- देशभर में सबसे अधिक और सशक्त जागरूकता अभियान तो दिल्ली में ही चल रहा है। तमाम एफएम चैनलों पर हमारे रेडियो जिंगल चल रहे हैं। जगह-जगह सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। ऑल इंडिया रेडियो और समाचार पत्रों के माध्यम से भी लोगों को अपने वोट बनवाने और डालने के लिए जागरूक किया जा रहा है। आउटडोर पब्लिसिटी के तहत क्रिकेटर ऋषभ पंत और टेनिस खिलाड़ी मोनिका बत्र के संदेश वाले विज्ञापन भी विभिन्न जगहों पर देखे जा सकते हैं।
3. ऐसी जानकारी मिल रही है कि दिल्ली में युवा मतदाताओं की संख्या करीब पांच लाख होनी चाहिए, जबकि यह एक लाख के आसपास ही है। इस अंतर को पूरा करने के लिए क्या किया जा रहा है?
- यह बात बिल्कुल सही है। इसके लिए यथासंभव प्रयास भी किए जा रहे हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह में दो दिवसीय विशेष शिविर लगाया गया था तो 84 जगहों पर मतदाता जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। हर तरह से युवाओं के वोट बनवाने की कोशिश की जा रही है। इसी का नतीजा है कि पिछले करीब 15-20 दिनों में युवा मतदाताओं की संख्या एक लाख 80 हजार तक पहुंच गई है। युवाओं के अलावा पिछले दो महीनों में करीब दो लाख से ज्यादा लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया गया है। अब कुल मतदाताओं की संख्या एक करोड़ 38 लाख 98 हजार 141 हो गई है। करीब एक लाख लोगों ने फॉर्म 6 भरकर आवेदन किए हैं, जिन्हें जल्द ही निपटाया जाएगा। इसके साथ ही पहली बार मतदाता बनने वाले लोगों से अपने नाम सूची में शामिल कराने के लिए अधिकतम 12 अप्रैल तक आवेदन करने के लिए कहा जा रहा है।
4. मतदाता सूची से नाम कटने को लेकर मतदाताओं के पास जो झूठी कॉल आ रही हैं, उस संबंध में क्या कार्रवाई की जा रही है?
- पहले इन शिकायतों की जांच का जिम्मा दिल्ली पुलिस को दिया गया था, लेकिन अब चुनाव आयोग ने इसकी जांच स्वयं करने का निर्णय लिया है। एक विशेष सीईओ की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। इसी कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई तय की जाएगी।
5. आमतौर पर आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर सीईओ कार्यालय को जो शिकायतें की जाती हैं, उन पर कार्रवाई नहीं होती। क्या यह सही है?
- बिल्कुल नहीं। सभी शिकायतों पर कार्रवाई की जाती है। जब से आचार संहिता लागू हुई है, सभी जगह से तमाम बैनर-पोस्टर भी हटा दिए गए हैं। स्थानीय निकायों को नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने का भी निर्देश है। इसके अतिरिक्त पहली बार सी विजिल एप की भी मदद ली जा रही है। अगर कोई प्रत्याशी या पार्टी का कार्यकर्ता मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने का प्रयास करता है तो उसका वीडियो बनाकर इस एप पर डाला जा सकता है। सीईओ कार्यालय उस वीडियो पर तुरंत संज्ञान लेगा और महज 15 मिनट के अंदर स्क्वॉयड मौके पर पहुंच जाएगा। 100 मिनट के अंदर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस कार्रवाई के लिए 210 स्क्वॉयड बनाए गए हैं।
6. चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न दलों के प्रत्याशियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए क्या व्यवस्था की गई है?
- एक तो इसके लिए सी विजिल एप है। इसके अलावा चुनाव परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के भीतर प्रत्याशी को अपने दैनिक चुनाव खर्च और उसके बिल का ब्यौरा जिला निर्वाचन अधिकारी को देना होगा। ऐसा न करने वाले प्रत्याशी को जनप्रतिनिधि कानून की धारा 10ए के तहत अयोग्य ठहराया जा सकता है। वहीं, राजनीतिक विज्ञापनों के बाबत जिला स्तरीय आचार संहिता निगरानी समिति और राज्य स्तरीय एमसीएमसी से मंजूरी लेनी होगी।