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दिल्ली में सभी पार्टियों का हर कदम महत्वपूर्ण, अब भी है गठबंधन की आस!

दिल्ली में AAP की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल कई बार कह चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को आप से गठबंधन की पेशकश स्वीकार करनी चाहिए।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 08:38 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 08:55 AM (IST)
दिल्ली में सभी पार्टियों का हर कदम महत्वपूर्ण, अब भी है गठबंधन की आस!
दिल्ली में सभी पार्टियों का हर कदम महत्वपूर्ण, अब भी है गठबंधन की आस!

नई दिल्ली [किशोर झा]। प्रतिष्ठा की प्रतीक मानी जाने वाली दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर वर्चस्व कायम करने के लिए राजनीतिक दल फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहे हैं। भाजपा का फोकस जहां जिताऊ उम्मीदवार पर केंद्रित है, वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) का ध्यान अब भी गठबंधन की संभावना को देखने-परखने पर है। कांग्रेस में दो तरह से प्रत्याशियों की सूची बनाई जा रही है। पहली सूची में अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हो रही है तो दूसरी सूची गठबंधन के मद्देनजर तीन सीट कांग्रेस, तीन आप और एक पर साझा उम्मीदवार उतारने को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। भाजपा अपने दम पर ताल ठोक रही है। वह एक-एक सीट पर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों की तलाश में जुटी हुई है।

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इस दौरान दिल्ली निवासी क्रिकेटर गौतम गंभीर सहित कई दिग्गजों के नाम चर्चा में हैं। सत्तारूढ़ दल उन्हीं नामों पर मुहर लगाना चाहता है, जिनमें चुनाव जीतने का माद्दा हो। उधर कांग्रेस व आप में भाजपा से मुकाबले के लिए गठबंधन की संभावना पर मंथन होता रहा है। अब भी इस चर्चा पर पूरी तरह से विराम नहीं लगा है। हालांकि, गठबंधन की मुख्य पैरोकार आप ने छह सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा कर एक तरह से संकेत दे दिया है कि वह अकेले भी लड़ सकती है। इसे उसकी गठबंधन की कोशिश के तहत दबाव की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।

कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की चर्चा का मुख्य आधार दिल्ली की प्रतिष्ठित सीटों पर जीत सुनिश्चित करना है। आप की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल कई बार कह चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को आप से गठबंधन की पेशकश स्वीकार करनी चाहिए। इस बीच आप की ओर से छह सीटों के लिए प्रत्याशियों की रणनीतिक घोषणा का जवाब देने के लिए कांग्रेस की ओर से भी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने साफ कर दिया है कि वे गठबंधन के ही खिलाफ हैं।

इस राह में शीला दीक्षित सहित कई नेता रोड़ा बने हुए हैं। उधर, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन का मानना है कि अगर कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनाव लड़ती हैं तो मत विभाजन होगा और इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। पार्टी के प्रदेश प्रभारी पीसी चाको भी गठबंधन के पक्ष में हैं। अत: दोनों पार्टियों की अलग राह के बावजूद यह चर्चा सरगर्म है कि गठबंधन अभी भी संभव है।

बता दें कि पिछली बार दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया था। भाजपा को 46.63 फीसदी वोट मिले थे तो कांग्रेस को 15.22 फीसदी वोट, वहीं आप को 33.08 फीसद वोट मिले।


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