इलेक्शन एक्सप्रेस : ...दुनिया वाले कुछ भी कहें, मानना पड़ेगा बंदे में दम है
लोगों में कुछ देर इधर- उधर की बातें हुई इसी बीच रेवाड़ी के श्यामलाल सोनी ने सवाल उछाला। भाई आजकल तो हर ओर मोदी- मोदी की गूंज है।
गुरुग्राम [महावीर यादव]। सुबह 9:30 बजे का समय। रेवाड़ी रेलवे स्टेशन पर लोगों का हुजूम दिल्ली की तरफ जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा है। 9:58 पर जैसलमेर से आने वाली 14660 इंटरसिटी का एनाउंसमेंट हुआ तो एक दूसरे को ठेलते हुए लोग ट्रेन के कोच की ओर दौड़ने लगे। सभी को हड़बड़ी थी कोच में पहुंचकर सीट कब्जाने की। हम ने भी दौड़ लगा दी, खैर ट्रेन आई और किसी तरह हम कोच के अंदर पहुंच गए। कोच में भीड़ अधिक नहीं थी, जिसे जहां जगह मिली उसने आसन जमा लिया। एक सीट हमारे कब्जे में भी आ गई। लोगों में कुछ देर इधर- उधर की बातें हुई इसी बीच रेवाड़ी के श्यामलाल सोनी ने सवाल उछाला। भाई आजकल तो हर ओर मोदी- मोदी की गूंज है। उनके पास बैठे राजेश गोयल ने तपाक से जवाब दिया, मोदी ने काम भी तो किया है। उन्हें एक मौका और देना चाहिए।
एक सज्जन से नहीं रहा गया, बीच में टोकते हुए बोले, ऐसा नहीं है, सिर्फ मीडिया ने हवा दे रखी है। चुनाव परिणाम आएंगे तब देखना। कोच में बैठे विनीत नरायन ने एक नया सवाल उछाला, भाजपा इस बार किस प्रदेश में बढ़त ले रही है। लगता है कि पहले के मुकाबले हर प्रदेश मे भाजपा को घाटा ही होगा, इस पर कुछ लोग शर्त लगाने को उतावले हो गए।
10:23 पर ट्रेन पटौदी पहुंची। यहां एक बार फिर भीड़ का रेला कोच में सवार होता है। एक अधेड़ उम्र के सज्जन ने राव का जिक्र छेड़ दिया। भाई हमारा इलाका तो हमेशा से राव बिरेंद्र का रहा है। यहां से तो राव इंद्रजीत ही जीतेंगे। 11 बज कर 5 मिनट पर ट्रेन गुरुग्राम स्टेशन पर पहुंचती है, इस बीच सियासत पर चर्चा जारी है। गुरुग्राम के पंकज ने अपना दर्द बयां किया, भाई वोट किसी को भी दे दो। हमें तो ट्रेन में ही धक्के खाने है। इस रूट पर ट्रेनों का इतना बुरा हाल है कोई सुध लेने वाला नहीं। 11:22 पर ट्रेन पालम स्टेशन पहुंची।
कुछ लोग वहां उतरते- उतरते यह कहते रहे कि 5 साल में इस रूट की ट्रेनों के बारे में किसी ने नहीं सोचा। राव इंद्रजीत केंद्र में मंत्री हैं। पर ट्रेनों में सफर करने वालों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। 11:32 पर ट्रेन दिल्ली कैंट पहुंची। हम भी वहीं उतर लिए। शाम को 2:37 पर दिल्ली कैंट स्टेशन पर डीएमयू 74003 आई। हम उस में सवार हुए उसमें भीड़ कुछ कम थी। पर लोगों में चर्चा वही चुनाव की।
एक सज्जन ने जुमला उछाला, कांग्रेस को तो वोट देने से कोई फायदा नहीं। कांग्रेस ने 70 सालों में इस देश के लिए क्या किया। मोदी के आने के बाद कम से कम घोटाले तो बंद हो गए। दूसरे सज्जन उनकी हां में हां मिलाते हुए कहते हैं के भाई यह बात तो है कि भ्रष्टाचार पर तो लगाम लग गई बीजेपी की सरकार में। अब किसी विभाग में काम के लिए जाओ तो पहले की तरह बाबुओं की हां- हजूरी नहीं करनी पड़ती। पास में बैठे एक अन्य सज्जन ने भी उसकी हां में हां मिलाई,साथ ही कहा, कि अभी इससे काम नहीं चलेगा।
बहुत सुधार करना बाकी है। कोच में ही बैठे दिल्ली में पढ़ाई करने वाले विनीत ईयरफोन कान में लगाए कुछ सुनने में व्यस्त थे। अचानक उन्होंने कान से लीड निकाली और कहा। हम तो पहले से ही कह रहे थे, कि मोदी में दम तो है। सेना के लिए जितना काम कर दिया वह किसी के बस की बात नहीं थी। पहले देश में आतंकवादी हमले होते रहते थे और हमारी सेना को केंद्र सरकार से आदेश मिलने का इंतजार रहता था। अब देखिए, सेना ने दुश्मन को उसके घर में ही जाकर मारा है। हमने दिखा दिया है कि जो पीठ पीछे से वार करेगा हम उसे करारा जवाब देंगे। वह भी सामने से। पीछे से आवाज आई। भाई बंदे में दम तो है।
जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है चुनावी रंग गहरा होता जा रहा है। इसे और चटख करने के लिए मंगलवार को हम निकल पड़े रेवाड़ी से दिल्ली को जाने वाली पैसेंजर ट्रेन की यात्रा पर। पैसेंजर ट्रेन को इसलिए चुना, क्योंकि सियासत पर असली बहस तो यहां ही होती है। रेवाड़ी से लगभग 80 किलोमीटर की इस यात्रा में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर तीखी बहस भी हुई और नेताओं के सियासी वादों पर तर्क- वितर्क भी। कुल मिलाकर रिजल्ट यही निकला कि अभी हवा का रुख पांच साल पुराना वाला ही है।