मोदी लहर तो है, लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र में रूठों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती
भाजपा की टिकट की घोषणा के साथ ही पार्टी की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। मोदी लहर के बावजूद पदाधिकारियों के लिए रुठों को मनाना बड़ी चुनौती होगी।
पानीपत/करनाल, [अश्विनी शर्मा]। मुख्यमंत्री की मनोहर कृपा से संजय भाटिया को करनाल लोकसभा का टिकट तो मिल गया है, लेकिन उनके सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। यदि वे रूठों को मनाने में कामयाब हो जाते हैं तो ही चुनावी वैतरणी पार होगी। मोदी लहर के चलते करनाल से टिकट लेने के लिए कई महारथी दौड़ में थे। करनाल के साथ-साथ पानीपत के भी कुछ नेता उन्हें टिकट देने का विरोध संगठन के समक्ष कर चुके हैं।
सीएम मनोहर लाल करनाल पहुंचकर रूठों के घर दस्तक देंगे। वे उन नेताओं से भी संपर्क साधेंगे जिनकी जनता पर पकड़ है। वह अपने समकक्ष प्रदेश महामंत्री एडवोकेट वेदपाल के आवास पर जाएंगे। वेदपाल भी टिकट की दौड़ थे। वे मेयर रेणुबाला गुप्ता के आवास पर भी दस्तक देंगे।
निगम चुनाव की खामियां करनी होंगी दूर
नगर निगम चुनाव के समय करनाल में विपक्ष एकजुट हो गया था। उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल के ऐनवक्त पर कमान संभालने से रेणुबाला को जीत मिली थी। इस चुनाव में करनाल में सरकार विरोधी नाराजगी होने की बात भी सामने आई थी। अब भाटिया को यह भी ध्यान रखना होगा कि करनाल निगम के कुछ गावों में भाजपा को उम्मीद अनुसार निगम चुनाव वोट नहीं मिले थे। इसी तरह के और गावों को भी चिह्नित कर लोगों की नाराजगी को भी दूर करना होगा।
ब्राह्मण के साथ अन्य वोटों पर रखना होगा ध्यान
चूंकि संसदीय चुनाव में प्रत्येक बिरादरी के वोट अहम हो जाते हैं। जातीय समीकरण को साधते हुए आगे बढ़ाना भी भाटिया के लिए बेहद अहम हैं। पंजाबी बिरादरी में उनकी पैठ है, लेकिन सिर्फ इसके सहारे नहीं रहा जा सकता। संसदीय क्षेत्र में प्रभाव रखने वाली बिरादरियों के वोट बैंक को भी साथ लेना होगा, क्योंकि यदि कांग्रेस ब्राह्माण नेता को प्रत्याशी बनाती है तो ब्राह्माण वोटों पर ध्यान देना होगा। सॉफ्ट सीट पर नाराजगी अहम करनाल लोकसभा सीट भाजपा के लिए सॉफ्ट सीट मानी जा रही है, लेकिन अपनों की नाराजगी भारी पड़ सकती है। संजय भाटिया कृष्ण मंदिर सेक्टर 14 में करनाल विधानसभा के पार्टी के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वह पार्टी के सामान्य कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात करेंगे।
रह चुके हैं जिला प्रभारी, जानते हैं एक-एक कार्यकर्ता को
संजय भाटिया के हक में एक बात और जाती है कि वे स्थानीय कार्यकर्ताओं के लिए नया चेहरा नहीं है। वे प्रदेश में भाजपा सरकार की सरकार बनने से पहले करनाल जिले के संगठन को मजबूत करने के काम में जिला प्रभारी के नाते अपना दायित्व निभा चुके हैं। प्रत्येक बैठक में उनकी उपस्थिति रहती थी। लिहाजा कार्यकर्ता भी उनसे परिचित हैं और वह कार्यकर्ताओं से। जो अब काम आएगा।
कार्यालय करनाल होगा या पानीपत, अभी संशय
संगठन स्तर पर अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि संजय भाटिया अपना चुनावी कार्यालय करनाल में बनाएंगे या पानीपत में। इस पर संशय है। चूंकि संसदीय क्षेत्र का मुख्यालय करनाल है। लिहाजा अब तक जितने भी प्रत्याशियों ने संसदीय चुनाव लड़ा है, उनमें से अधिकतर का कार्यालय करनाल में ही रहा। दूसरी बार मिला पानीपत के नेता को मौका यह दूसरा मौका है, जब पानीपत से भाजपा ने किसी नेता को टिकट दिया है। इससे पहले 1991 में काग्रेस के पंडित चिरंजी लाल के सामने भाजपा ने पानीपत के फतेहचंद विज को टिकट दिया था। विज ने अपनी सहुलियत के लिए अपना कार्यालय पानीपत में ही बनाया था। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।