गणतंत्र युग में भी कायम है यहां राजा-रानियों का क्रेज, कई रानियां उतरी चुनावी मैदान में
Lok Sabha Election 2019 गणतंत्र युग से भले ही राजतंत्र योग खत्म हो गया है मगर राज परिवारों का अपनी प्रजा के प्रति मोह खत्म नही हुआ है।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। राजतंत्र के जरिए राज्य की शासन डोर पहले राजा संभालते थे प्रजा के दुख-सुख में खड़े होते थे मगर राजतंत्र समाप्त हो गया है, अब गणतंत्र चल रहा है। इसमें भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं कभी राज्य के राजा एवं रानी रहने वाले परिवार के लोग। प्रजा की सेवा में खुद को नियोजित करने के लिए राज परिवार के सदस्य चुनाव मैदान में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। 2019 आम चुनाव में कई रानियां मैदान में हैं। गणतंत्र युग से भले ही राजतंत्र योग खत्म हो गया है मगर राज परिवार के सदस्यों का अपनी प्रजा के प्रति प्रेम आज भी देखा जा सकता है और यही कारण है कि प्रजा के साथ उनके संपर्क को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस बार कई रानियों को चुनाव मैदान में उतारा है।
आगामी 18 अप्रैल को दूसरे चरण का चुनाव होगा। इस चुनाव में बलांगीर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पाटणा की रानी संगीता सिंहदेव को चुनाव मैदान में उतारा गया है। रानी चुनाव प्रचार में भी लग गई है। हालांकि रानी के लिए इस बार चुनाव नया नहीं है। इससे पहले प्रजा के आशीर्वाद
से वह तीन बार इस लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुकी हैं। उनका कहना है इस बार भी वह अपनी प्रजा के लिए चुनाव लड़ रही हैं। पाटणा की रानी संगीता कुमारी सिंह देव का कहना है कि राज परिवार पर आज भी लोगों की आस्था है।
हम अपने कर्तव्य को कर रहे हैं और लोग अपना कर्तव्य करेंगे। इसी तरह से राजनीति में आई हैं धराकोट की रानी नंदिनी देवी। वह 2014 चुनाव में सानखेमुंडी विधानसभा से बीजू जनता दल की टिकट पर विधायक चुनी गई थी। इस बार भी वह चुनाव जीतकर जनसेवा करना चाह रही हैं। धराकोट के राजा किशोर चंद्र्र सिंहदेव के आकस्मिक निधन के बाद लोगों के अनुरोध पर राजनीति में सक्रिय होने की बात उन्होंने कही है। उन्होंने कहा है कि लोगों के सम्मान की रक्षा के लिए मैं राजनीति में आई और विधायक बनने के बाद कई कार्य किए और अभी कई काम बाकी हैं।
नीलगिरी की रानी मनोजा मंजरी देवी भी चुनाव मैदान में हैं। राजा-प्रजा के बीच की दूरी को भूल कर राज प्रसाद की बहू बनने के बाद से ही महिलाओं के विशेष अधिकार के लिए वह लगातार काम कर रही हैं, इसीलिए उन्होंने राजनीति को चुना है। रानी इस बार नीलगिरी विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में है। उनका कहना है कि प्रजा से कभी राजा दूर नहीं हुए थे हर समय उनके पास थे। मैं महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए काम करूंगी।
इनके अलावा राज्य की राजनीति में अन्य एक चर्चित रानी में से चिकिटी की रानी ऊषा देवी का नाम भी शामिल है। प्रजा के आशीर्वाद से वह 5 बार विधायक और मंत्री रही चुकी हैं। इस बार भी वह बीजू जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। हालांकि अस्वस्थता के कारण वह चुनाव प्रचार में कम ही दिख रही हैं।
2019 चुनाव में राजनीति में नए तौर पर इस बार पारला की राजकुमारी कल्याणी गजपति को भी देखा जा सकता है। वह इस बार बीजू जनता दल से चुनाव लड़ रही हैं और उन्हें भी अपनीप्रजा से आशीर्वाद मिलने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि गणतंत्र से राजतंत्र भले ही विलुप्त हो गया है मगर राजा एवं रानियों का क्रेज आज भी कायम है।
रानियों की तरह राजा एवं राज परिवार के सदस्यों के भी ओडिशा में राजनेता बनने के कई उदाहरण है। इनमें कामाख्या प्रसाद सिंह देव, वी सुज्ञान देव, अनंग उदय सिंह देव तथा उनके बेटे कलिकेश एवं अाकाश सिंह देव, प्रताप देव, पुष्पेंद्र सिंहदेव, नितेश गंगदेव प्रमुख नाम हैं।