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Lok Sabha Election 2019: पश्चिम बंगाल में तृणमूल की जन्मभूमि में दांव पर ममता की प्रतिष्ठा

बंगाल में लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच चुका है। जादवपुर कोलकाता दक्षिण सीट से ही राष्ट्रीय राजनीति में उतरती थी ममता।

By Edited By: Published: Tue, 14 May 2019 05:28 AM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 10:12 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: पश्चिम बंगाल में तृणमूल की जन्मभूमि में दांव पर ममता की प्रतिष्ठा
Lok Sabha Election 2019: पश्चिम बंगाल में तृणमूल की जन्मभूमि में दांव पर ममता की प्रतिष्ठा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच चुका है। राज्य में भाजपा ने सत्तारूढ़ तृणमूल काग्रेस को दक्षिण बंगाल के कोलकाता और उसके उपनगरीय इलाकों में मात देने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है।

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भगवा पार्टी के लिए यह बेहद कठिन चुनौती है क्योंकि यह इलाका तृणमूल की जन्मभूमि है। इसी इलाके से ममता बनर्जी की पार्टी ने अपनी शुरुआत की और बाद में अ‌र्द्धशहरी तथा ग्रामीण बंगाल में अपना कब्जा जमाया था। इसीलिए पार्टी जन्मभूमि में ही ममता की प्रतिष्ठा दांव पर है। अपने गढ़ को भाजपा से बचाने के लिए ममता ने भी तेवर कड़े कर लिए हैं। इससे राज्य का राजनीतिक पारा काफी गरम है। पीएम मोदी और ममता के बीच जुबानी जंग और ज्यादा तेज हो गई है। बंगाल सरकार ने जादवपुर में भाजपा चीफ अमित शाह को चुनावी रैली की अनुमति नहीं दी है। भाजपा ने इसके लिए ममता को घेरा है।

अंतिम चरण में जिन सीटों पर मतदान होना है, उसमें डायमंड हार्बर, जयनगर, मथुरापुर, जादवपुर, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर, दमदम, बारासात और बशीरहाट शामिल हैं। भाजपा के लिए छठा चरण महत्वपूर्ण था, लेकिन सातवें चरण में पार्टी की इस बात के लिए परीक्षा होगी कि वह शहरी और अ‌र्द्धशहरी मतदाताओं के बीच अपनी कितनी पकड़ बना पाती है। यह चरण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिष्ठा से जुड़ा है, इसलिए उन्होंने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक शहरी गरीबों का हमेशा से ही ममता की ओर झुकाव रहा है लेकिन यह चरण इस बात का फैसला करेगा कि भाजपा ममता के इस गढ़ में कितना सेंध लगा पाती है। इस चरण की सबसे महत्वपूर्ण सीट जाधवपुर और साउथ कोलकाता है।

यह ममता बनर्जी का गृहक्षेत्र है और यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। वर्ष 1984 में युवा नेता ममता बनर्जी ने उस समय माकपा के दिग्गज नेता रहे सोमनाथ चटर्जी को हराया था। इसी जीत के बाद वह पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आईं। इसके बाद उन्होंने खुद को साउथ कोलकाता शिफ्ट कर लिया।

ममता साउथ कोलकाता से छह बार सासद रहीं। वर्ष 1998 में ममता ने साउथ कोलकाता से तृणमूल काग्रेस की शुरुआत की थी। इसके बाद से तृणमूल इस सीट को करीब 50 फीसद वोटों के साथ जीत रही है। हालाकि वर्ष 2014 में मोदी लहर में उसका वोट शेयर कम हो गया था। पिछले चुनाव में तत्कालीन बीजेपी प्रत्याशी तथागत रॉय ने ममता बनर्जी के क्षेत्र भवानीपुर से बढ़त हासिल कर ली थी।

डायमंड हार्बर सीट पर भी देशभर की नजरें रहेंगी। यहा से तृणमूल काग्रेस के वारिस कहे जा रहे ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी चुनाव लड़ रहे हैं। उधर, भाजपा को उम्मीद है कि वह दमदम, बारासात और बशीरहाट में जीत हासिल कर सकती है।

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