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छिंदवाड़ा से CM कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ दोनों कांग्रेस के उम्मीदवार, दिलचस्‍प है मुकाबला

मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री कमलनाथ और उनके पुत्र नकुलनाथ दोनों ही छिंदवाड़ा सीट से चुनावी मैदैन में हैं। कमलनाथ विधानसभा के लिए और पुत्र लोकसभा के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 08:30 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 08:43 AM (IST)
छिंदवाड़ा से CM कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ दोनों कांग्रेस के उम्मीदवार, दिलचस्‍प है मुकाबला
छिंदवाड़ा से CM कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ दोनों कांग्रेस के उम्मीदवार, दिलचस्‍प है मुकाबला

भोपाल, जेएनएन। मध्‍य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिचलस्‍प है। 9 बार इस सीट से जीत दर्ज कर चुके राज्‍य के वर्तमान मुख्‍यमंत्री कमलनाथ की अनुपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी अपनी संभावनाएं देख रही है। हालांकि 1980 से लेकर अभी तक सिर्फ एक बार कमलनाथ को 1997 के उपचुनाव में दिग्गज भाजपा नेता सुंदरलाल पटवा के हाथों पटखनी खानी पड़ी थी। उसके बाद से वे लगातार इस सीट से जीतते आ रहे हैं। इस बार उनके पुत्र नकुलनाथ मैदान में है। ऐसे में इस सीट के प्रति लोगों की दिलचस्‍पी और बढ़ गई है। उनके जेहन में बड़ा सवाल यह है कि क्‍या छोटे नाथ अपने पिता की विरासत को बचा पाएंगे?

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पिता विधानसभा और पुत्र लोकसभा का लड़ रहे हैं चुनाव
दिलचस्‍प तथ्‍य यह है कि इस चुनाव में पिता कमलनाथ और पुत्र नकुलनाथ दोनों मैदान में हैं। दोनों एक ही सीट से चुनाव पड़ रहे हैं, हालांकि पिता विधानसभा के लिए और पुत्र लोकसभा के लिए। दोनों साथ-साथ प्रचार कर रहे हैं और विकास ही दोनों के मुद्दे हैं। मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर कमलनाथ के लिए विधायक बनना जरूरी है। इसीलिए छिंदवाड़ा के कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना ने इस्तीफा देकर कमलनाथ के लिए यह सीट खाली की है।

2014 की क्‍या थी तस्‍वीर?
2014 के 16वें लोकसभा चुनाव में कमलनाथ को अच्‍छे अंतर से जीत मिली थी। उन्होंने भाजपा के चौधरी चंद्रभान सिंह को शिकस्‍त दी थी। कमलनाथ को जहां 5,59,755 (50.54 फीसदी) वोट मिले थे, वहीं सिंह को 4,43,218 (40.02 फीसदी) वोट मिले थे. जीत और हार का अंतर 1,16,537 वोटों का था.

शानदार रही है कमलनाथ की राजनीतिक यात्रा
कमलनाथ 1980 में पहली बार यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। उसके बाद एक उपचुनाव को छोड़कर वे यहां से लगातार जीतते रहे हैं। 1996 के संसदीय चुनाव में हवाला मामले में फंसे होने के कारण कांग्रेस ने उनके बदले उनकी पत्‍नी अलका नाथ को टिकट दिया था और वे भी कमलनाथ के करिश्‍मे की वजह से जीतने में सफल रही थीं। हालांकि हवाला मामलों में बरी होने के बाद अलका नाथ ने अपने पति को संसद पहुंचाने के लिए लोकसभा की सदस्‍यता से त्‍यागपत्र दे दिया। लेकिन उनका यह दांव उल्‍टा पड़ गया और 1997 में हुए उपचुनाव में भाजपा के मुख्‍यमंत्री रह चुके सुंदरलाल पटवा से कमलनाथ शिकस्‍त खा गए।

उनकी जीत के क्‍या रहे हैं कारण
कमलनाथ एक प्रख्‍यात पंजाबी खत्री (व्‍यापारी) परिवार से आते हैं। उन्‍होंने अपने परिवार के बिजनेस को और बढ़ाया। यही कारण है कि कभी वे केंद्रीय कैबिनेट में सबसे अमीर मिनिस्‍टर थे। छिंदवाड़ा कभी काफी पिछड़ा इलाका माना जाता था, लेकिन आज यह राज्‍य के सबसे विकसित शहरों में एक है। शहर में आज कई नामी कंपनियों की फैक्ट्री और शोरूम हैं. छिंदवाड़ा के पास आज एक विकास मॉडल है. शहर में न सिर्फ सड़कों का जाल है, बल्कि यह एजुकेशन हब भी बन चुका है। यहां पर 56 किलोमीटर लंबा रिंग रोड है। कॉल सेंटर, मॉडल रेलवे स्टेशन बनवाया है. यहां कई सारे स्किल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी स्‍थापित किए गए हैं। इंदौर और भोपाल जैसे शहरों को छोड़ दें तो प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा जिला होगा, जहां छिंदवाड़ा जितने टॉप कंपनियों के शोरूम हैं।

पिता की तरह उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त हैं नकुलनाथ
44 वर्षीय नकुल नाथ ने भी पिता की तरह प्रख्‍यात दून स्‍कूल से पढ़ाई की है। उन्होंने अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई भी की है. वे पिता के बिजनेस को भी आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस समर्थकों के अनुसार, स्‍थानीय लोग भी उनमें पिता का अक्स देख रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ उनके विरोधियों के अनुसार, पिता की तरह का राजनीतिक व्‍यक्तित्‍व बनाने में उन्‍हें लंबा समय लगेगा।

छिंदवाड़ा की प्रोफाइल
2011 की जनगणना के अनुसार शहर की जनसंख्या 20,90922 है. यहां की 75.84 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। इस लोकसभा क्षेत्र में 11.11 फीसद लोग अनुसूचित जाति और 36.82 फीसद अनुसूचित जनजाति से आते है. यहां मतदाताओं की संख्‍या 14 लाख से भी अधिक हैं। इनमें लगभग सात लाख महिलाएं और लगभग 7.5 लाख पुरुष मतदाता हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 79.03 फीसद मतदान हुआ था. यहां पहला लोकसभा चुनाव साल 1951 में हुआ, जिसमें कांग्रेस के रायचंद भाई शाह जीते थे। 1957 और 1962 के चुनावों में बीकूलाल लखमिचंद कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. इसी तरह 1967, 1971 और 1977 के चुनावों में गार्गीशंकर मिश्रा को यहां से जीत मिली थी। और फिर 1980 से कमलनाथ का दबदबा रहा है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं- जुन्नारदेव, सौंसर, पंधुरना, अमरवारा, छिंदवाड़ा, चुरई,पारसिया यहां की विधानसभा सीटें हैं. सभी 7 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।


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