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LokSabha Elections 2019: चुनावी रण में एएमयू आरक्षण भी...

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के बाबे सैयद (मुख्य प्रवेश द्वार) से अंदर कदम रखने के बाद राजनीतिक आवाजें थम सी जाती हैैं यहां तालीम में तल्लीन छात्रों के नजारे हैैं।

By Edited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 01:30 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 01:31 PM (IST)
LokSabha Elections 2019: चुनावी रण में एएमयू आरक्षण भी...
LokSabha Elections 2019: चुनावी रण में एएमयू आरक्षण भी...

अवधेश माहेश्वरी, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के बाबे सैयद (मुख्य प्रवेश द्वार) से अंदर कदम रखने के बाद राजनीतिक आवाजें थम सी जाती हैैं, यहां तालीम में तल्लीन छात्रों के नजारे हैैं। हां, तेज धूप संग बाहर एएमयू पर सियासत खूब उबाल ले रही है। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने के वादे के बाद तो यह अहम मुद्दा हो गया है। चुनाव में मुस्लिमों के एकतरफा वोट और हरे वायरस जैसे बयानों के बीच एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरूप और वहां अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण पर खूब सवाल उठ रहे हैैं।

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सियासतदानों के तरकश से खूब चले तीर
वर्ष 1920 में स्थापित एएमयू केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैैंकिंग फ्रेमवर्क सूची में देश में 11वां श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान है। सरकार कहती है कि यह अल्पसंख्यक नहीं, लेकिन एएमयू प्रशासन इसे खारिज कर देता है। मुद्दे में सियासी खाद है, ऐसे में सियासतदानों के तरकश से तीर भी खूब चलते हैैं। एक साल पहले सांसद सतीश गौतम ने विवि में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर आपत्ति उठाई, तो विवि के नाम में मुस्लिम जुड़ा होने और आरक्षण का मसला भी गर्म हो गया।

सरकार रोजगार का मुद्दा उठाए
एएमयू में आरक्षण को लेकर अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहे इमरान अली गुस्से में कहते हैैं कि आरक्षण की जगह यहां से पढऩे वालों को रोजगार का मुद्दा क्यों नहीं उठाते, एएमयू में प्रवेश से भेदभाव किससे होता है। यह अल्पसंख्यक संस्थान है, जिसमें उस तबके के छात्र आते हैैं, जो देश में सबसे पिछड़ा है, फिर उनके विकास में क्यों अड़ंगा डालना चाहिए। हालांकि छात्र नेता सोनवीर सिंह इस पर आपत्ति उठाते हैैं कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है। वह कहते हैैं कि केंद्र सरकार कोर्ट में सब बता चुकी है।

50 फीसद आरक्षण की व्यवस्था
मुरादाबाद से आकर यहां मानवाधिकार में शोध कार्य कर रहे तहजीब आलम कहते हैैं कि विवि में कभी यह महसूस नहीं किया कि यहां प्रवेश आरक्षण पर बहस की जरूरत है। आंतरिक छात्रों के लिए ग्रेजुएशन स्तर पर 50 फीसद आंतरिक आरक्षण की व्यवस्था है, फिर हर प्रतिभा के पास मौका है। हर अल्पसंख्यक संस्थान में प्रवेश का यही उसूल है।

सुप्रीम कोर्ट का होगा आखिरी फैसला
विवि की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में पढ़ाई में व्यस्त आजमगढ़ के फरहान आजमी कहते हैैं कि एएमयू के नाम में मुस्लिम और आरक्षण का मुद्दा नेताओं तक ही खत्म हो जाता है। पश्चिम बंगाल से आकर पढ़ाई कर रहे वसीम कहते हैैं कि आरक्षण किसी को भी दीजिए, कौन मना करता है। सब जानते हैैं कि आखिरी फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है, लेकिन नेताओं को सियासत भी तो करनी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो चुनावी सभाओं में साफ कहते हैैं कि  एएमयू में आरक्षण दिलाएंगे।

एएमयू ने सौंपा था दो हजार पेज का जवाब
एएमयू के राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रो.आफताब आलम भी मानते हैैं कि आरक्षण संस्थान के लिए मुद्दा नहीं। तल्खी स्वर के साथ बोले कि अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे और आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल सिर्फ राजनीतिक वजह से उठते हैैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया ने एएमयू को नोटिस जारी किया था, तो दो हजार पेज का जवाब सौंपा। वह सवाल करते हैैं कि इसके बाद कोई आदेश जारी क्यों नहीं हुआ।

सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर हो अमल
वहीं लाइब्रेरी प्रभारी डॉ. अमजद अली का सवाल उठता है कि एससी-एसटी के आरक्षण की बात इस संस्थान के संदर्भ में ही क्यों उठाई जाती है? सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को देखिए मुल्क के मुसलमानों की आर्थिक और सामाजिक हालात सब कुछ शीशे की तरह बता रही है। देश में 20-25 करोड़ की आबादी वाले मुस्लिम भारतीय प्रशासनिक सेवा में दो प्रतिशत भी नहीं। शीर्ष उद्योगपतियों में एक को छोड़कर कोई ऐसा नाम बताइए, जो मुस्लिम हो। ऐसा नहीं कि मुस्लिमों में उद्योग को आगे ले जाने की काबिलियत नहीं है लेकिन उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति आगे नहीं बढऩे देती।

वक्त की अदालत पर छोडि़ए कुछ फैसले
वैसे आरक्षण पर अब फैसला कुछ भी हो लेकिन एएमयू में 29 वर्ष से जूस कॉर्नर चला रहे मोहम्मद शब्बीर की यह बात मौजूं है कि संस्थान के अल्पसंख्यक स्वरूप और आरक्षण के लाभ से परेशानी किसे है। लेकिन, यह सियासत है। कुछ फैसले वक्त की अदालत पर छोड़ दीजिए।

उठाता रहूंगा आवाज
सांसद सतीश गौतम का कहना है कि देश की जनता के पैसे से संचालित संस्थान को लेकर हम यह सोच सकते हैैं कि उसमें एससी और पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रवेश में आरक्षण नहीं मिले। यह उनका हक है। मैैं यह आवाज उठाता रहूंगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला होगा मान्य
एएमयू छात्रसंघ अध्यक्ष सलमान इम्तियाज का कहना है कि एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरूप का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट का फैसला मान्य होगा। संसद से एएमयू एक्ट पास हुआ है। जिसमें एएमयू एक अल्पसंख्यक संस्थान है।


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