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Loksabha Election : बड़े दलों की गणित बिगाड़ने में लगे छोटे दल, इनकी अपनी अलग तैयारी

सपा से अलग होने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने अपने संगठन के विस्तार में जितनी तेजी दिखाई वही उनकी ताकत भी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 10:51 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 05:01 PM (IST)
Loksabha Election : बड़े दलों की गणित बिगाड़ने में लगे छोटे दल, इनकी अपनी अलग तैयारी
Loksabha Election : बड़े दलों की गणित बिगाड़ने में लगे छोटे दल, इनकी अपनी अलग तैयारी

लखनऊ [अमित मिश्र]। यह तो नतीजे आने पर ही सामने आएगा कि परिवार के बाद पार्टी में आए बिखराव से जन्मी शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव में क्या हासिल कर पाएगी लेकिन, इतना तय है कि यह नवजात पार्टी कई सीटों पर जीत के या तो नए समीकरण बनाएगी या बने-बनाए समीकरण बिगाड़ देगी। पार्टी अपनी इस ताकत को पहचानती भी है, इसीलिए उसने अपनी तैयारियों को सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ाया है। सिर्फ वही नहीं रघुराज प्रताप सिंह व अन्य नेताओं के दल भी अपने प्रभाव क्षेत्र में पांव मजबूत करने में जुटे हुए हैं।

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सपा से अलग होने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने अपने संगठन के विस्तार में जितनी तेजी दिखाई, वही उनकी ताकत भी है। चुनाव में अपनी पैठ बनाने के लिए उन्होंने बूथ कमेटियों को आगे किया है। प्रसपा की योजना अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में छोटे दलों का कुनबा साथ लेकर आगे बढऩे की है। अपनी इसी तैयारी के क्रम में उन्होंने साठ से भी अधिक छोटे दलों का मोर्चा बनाया है। इसके साथ ही पार्टी सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हुई है। प्रसपा ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अधिक फोकस किया है। संगठन में भी मुस्लिम पदाधिकारियों को आगे किया गया है।

वामदलों ने इस बार बूथ के बाहर से चुनाव लडऩे की तैयारी की है। हालांकि अभी सीपीएम व अन्य दलों में इसे लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है लेकिन, एक बात पर वे पहले से सहमत हैैं कि चुनाव में भाजपा को हराने के लिए काम करना है। सीपीएम के राज्य सचिव मंडल के सदस्य प्रेमनाथ राय के मुताबिक सीपीएम जानती है कि चुनाव जीतना उसके लिए मुश्किल है, पार्टी न तो खुद चुनाव में उतरेगी और न ही किसी एक दल को समर्थन देगी। वामदल की रणनीति भाजपा को हराने की है, इसलिए भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ जिस सीट पर जो मजबूती से लड़ रहा होगा, उसे ही समर्थन देकर जिताने का प्रयास किया जाएगा।

आम आदमी पार्टी भी किसी और दल से समझौता करने की बजाए अकेले चुनाव में उतरने के लिए चुनिंदा सीटें फाइनल कर रही है। उधर अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) सहित अन्य छोटे राजनीतिक दल भी अब चुनाव में अपनी संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैैं तो पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने कांग्रेस में संभावनाएं टटोली हैं। 


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