Loksabha Election 2019: आखिर कैसे तैयार होते है EXIT POLL, देखें वीडियो
Loksabha Election Exit Poll 2019 आज शाम से एग्जिट पोल के आंकड़ें भी सामने आने शुरू हो जाएंगे। उससे पहले CNX के निदेशक भावेश झा से जानिए- आखिर कैसे एग्जिट पोल करवाए जाते हैं...
नई दिल्ली, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे 23 मई को घोषित होंगे, लेकिन उससे पहले इंतजार है EXIT POLL का, जो आज शाम वोटिंग के बाद आना शुरू हो जाएंगे। कहा जाता है कि EXIT POLL के नतीजों में चुनाव की तस्वीर साफ हो जाती है। एग्जिट पोल में वोटर्स से बातचीत कर चुनाव परिणाम का मूड पता लगाने की कोशिश की जाती है। चुनाव खत्म होने के साथ ही एग्जिट पोल के आंकड़ें जारी होने शुरू हो जाएंगे और अंदाजा लगाया जाएगा कि आखिर इस बार केंद्र में किसकी सरकार बनने जा रही है। इससे पहले जानते हैं आखिर ये एजेंसी किस तरह यह डेटा तैयार करती हैं...
वहीं, एग्जिट पोल करवाने वाली एजेंसी सीएनएक्स के निदेशक भावेश झा ने जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत में बताया कि कैसे एग्जिट पोल पर काम किया जाता है और फाइनल डेटा तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि सर्वे सैंपलिंग का फॉर्मूला सबसे अहम होता है और फील्ड वर्क के दौरान भी कई तरह की चुनौतियां होती हैं, जिसमें किसी भी मतदाता से सही जानकारी हासिल करना आदि शामिल है।
साथ ही उन्होंने बताया कि 'भले ही सैंपल साइज छोटा हो, लेकिन उसका डिस्ट्रीब्यूशन ज्यादा अहम होता है। दरअसल, हर क्षेत्र में जाति, धर्म, क्षेत्र के लोगों के आधार पर उसका डिस्ट्रीब्यूशन करना होता है। हमारा सैंपल साइज 15 हजार होता है, लेकिन कई इससे ज्यादा का सैंपल साइज रखते हैं। वहीं संसदीय सीट में जो फैक्टर होते हैं उनके आधार पर इंटरव्यू किए जाते हैं।' उन्होंने यह भी बताया कि जो मैथड बिहार में अप्लाई किया जाता है, वो ही मैथड दिल्ली में अप्लाई नहीं किया जा सकता है।
वोट शेयर को सीटों में बदलना है चुनौती
भावेश झा ने बताया कि वोट प्रतिशत के आधार पर सीटों को आंकड़ा निकलना काफी मुश्किल होता है। हर राज्य के आधार पर इसका निर्धारण किया जाता है। वोट शेयर को सीट में कंवर्ट करने का सबका अलग-अलग मैथड है। जिस वक्त पोल चला रहा है, उसी दिन एग्जिट पोल करना होता है। इसमें आखिरी चरण के मतदान को भी अहम माना जाता है और 3 बजे तक डेटा लेकर 6 बजे तक फाइनल रिपोर्ट तैयार की जाती है।
क्या होते हैं एग्जिट पोल?
चुनावी सर्वे से होकर ही एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आते हैं। एग्जिट पोल में एक सर्वे के माध्यम से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि आखिर चुनाव परिणाम किसके पक्ष में आ रहे हैं। एग्जिट पोल हमेशा वोटिंग पूरी होने के बाद ही दिखाए जाते हैं। इसका मतलब यह है कि सभी चरण के चुनाव होने के बाद ही इसके आंकड़े दिखाए जाते हैं। ऐसा नहीं है कि हर चरण के बाद एक्जिट पोल दिखा दिया जाए। वोटिंग के दिन जब मतदाता वोट डालकर निकल रहा होता है, तब उससे पूछा जाता है कि उसने किसे वोट दिया। इस आधार पर किए गए सर्वेक्षण से जो व्यापक नतीजे निकाले जाते हैं, इसे ही एग्जिट पोल कहते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 15 फरवरी 1967 को पहली बार नीदरलैंड में इसका इस्तेमाल किया था।
कितने होते हैं सच?
एग्जिट पोल के रिजल्ट और वोटिंग के असली रिजल्ट कभी कभी समानांतर चलते हैं तो कभी बिल्कुल अलग हो जाते हैं। तमिलनाडु चुनाव 2015, बिहार विधानसभा 2015 में यग गलत साबित हुए थे। वहीं साल 2004 लोकसभा चुनाव में सभी एग्जिट पोल फेल हुए और कांग्रेस ने सरकार बनाई। उसके बाद साल 2014 में सही साबित हुए, क्योंकि लोक सभा चुनाव में मोदी लहर का अनुमान एग्जिट पोल्स में दिखा था।
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