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भाजपा में भी बगावत के सुर, साक्षी महाराज के साथ इलाहाबाद के सांसद को टिकट कटने का डर

लोकसभा चुनाव 2019 में टिकट कटने का अंदेशा होते ही सांसद बगावती सुर में हैं। प्रयागराज में कल सांसद श्यामाचरण गुप्त के बाद आज उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने भी बड़ा कदम उठाया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 05:38 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 05:47 PM (IST)
भाजपा में भी बगावत के सुर, साक्षी महाराज के साथ इलाहाबाद के सांसद को टिकट कटने का डर
भाजपा में भी बगावत के सुर, साक्षी महाराज के साथ इलाहाबाद के सांसद को टिकट कटने का डर

लखनऊ, जेएनएन। अनुशासन के साथ ही पार्टी विद डिफरेंस की बड़ी बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी में भी बगापत के सुर उठने लगे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में टिकट कटने का अंदेशा होते ही सांसद बगावती सुर में हैं। प्रयागराज में कल सांसद श्यामाचरण गुप्त के बाद आज उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने भी बड़ा कदम उठाया है।

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साक्षी महाराज ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय को पत्र लिखा है। उनका पत्र सोशल मीडिया में वायरल भी हो रहा है। प्रयागराज में सांसद श्यामाचरण गुप्त के पुत्र विदुप ने धमकी दी है कि पिता को दोबारा टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़कर बदला लूंगा।

उत्तर प्रदेश में वर्तमान सांसदों के टिकट कटने की चर्चाओं के बीच फायरब्रांड नेता तथा उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज को अपने टिकट कटने का डर इतना सता रहा है कि उन्होंने भाजपा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को एक चेतावनी भरा पत्र भी लिख दिया है। पत्र में साक्षी महाराज ने कहा है कि अगर उनका टिकट काटा गया, तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे।

डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय को साक्षी महाराज ने यह पत्र बीते सात मार्च को लिखा है। उन्होंने इस पत्र में अपने संसदीय क्षेत्र के जातीय समीकरण बताते हुए खुद को इकलौता ओबीसी चेहरा करार दिया है। साक्षी महाराज ने लिखा है कि बीते पांच साल में मैंने अपने संसदीय क्षेत्र में दिन-रात कड़ी मेहनत करके करोड़ों रुपये लगाकर पार्टी की स्थिति को बहुत मजबूत किया है। इसके साथ ही अन्य सांसदों की तुलना में मैं अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाने में सफल रहा हूं। ऐसे में अगर उन्नाव से मेरे संबंध में पार्टी कोई अन्य निर्णय लेती है तो इससे मेरे प्रदेश और देश के करोड़ों कार्यकर्ताओं के आहत होने की पूरी संभावना है, और इसका परिणाम सुखद नहीं रहेगा।

आचार्य महामंडलेश्वर होने के नाते सभी जाति, धर्म व वर्गों में पैठ का दावा करने के साथ साक्षी महाराज ने पत्र में यह भी विनती की है कि लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्नाव सीट से उन्हें मौका मिले।

साक्षी महाराज ने यह भी कह दिया कि वह उन्नाव के अलावा किसी और सीट से चुनाव नहीं लडऩा चाहते हैं। 2014 चुनाव नतीजों के आंकड़े बताते हुए साक्षी महाराज ने लिखा कि उन्होंने तीन लाख पंद्रह हजार मतों से जीत दर्ज की थी और सपा व बसपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। महाराज ने कहा कि इस बार यह सीट सपा के खाते में गई है, जिससे अरुण कुमार शुक्ला या किसी दूसरे ब्राह्मण उम्मीदवार के चुनाव लडऩे की संभावना है। खुद को उन्नाव जिले का इकलौता ओबीसी नेता बताते हुए साक्षी महाराज ने संसदीय क्षेत्र में अपने समाज के वोटरों की संख्या भी गिनाई और खुद को जीत का सबसे प्रबल उम्मीदवार बताया। साक्षी महाराज का यह पत्र उन चर्चाओं के बीच सामने आया है, जिसमें ये कहा जा रहा है कि भाजपा यूपी में दो दर्जन से ज्यादा सांसदों के टिकट काट सकती है।

श्यामाचरण गुप्ता के बेटे की धमकी

इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से सांसद श्यामाचरण गुप्त के बेटे विदुप अग्रहरि इसी सीट से निर्दलीय लोकसभा चुनाव मैदान में उतरेंगे। उन्होंने प्रेसवार्ता में इसकी घोषणा की। एक समाचार पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उनके पिता को दोबारा भाजपा से टिकट मिलना नामुमकिन दिखाई दे रहा है। ऐसे में पार्टी से उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह स्वतंत्र चुनाव लड़ेंगे।

विदुप ने दावा किया कि उनके पिता की निष्ठा, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर कभी कोई उंगली नहीं उठी। उन्होंने पूरा कार्यकाल क्षेत्र के विकास में लगाया। उस विकास की गति को आगे बढ़ाने में मैं सहायक होना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि वह पिता के हर चुनाव में बराबर सहभागी रहे। उसी अनुभव के आधार पर वह अलग राजनीतिक सफर शुरू कर रहे हैं। पिता-पुत्र के एक ही सीट पर चुनाव लडऩे के सवाल पर कहा कि अगर पिता यहां से खड़े हुए तो वह बांदा से लड़ेंगे, लेकिन दोनों के राजनीतिक सफर अब अलग हो गए।

इस पूरे मामले में भाजपा सांसद श्यामाचरण गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने पुत्र की बगावत की किसी खबर की जानकारी से इनकार कर दिया, सांसद ने तर्क दिया कि बेटा फार्म हाउस में रहता है। इलाहाबाद से भाजपा सांसद श्यामाचरण गुप्ता बीते पांच वर्ष तक पार्टी से अलग राय रखने के कारण विख्यात थे। चुनाव की बेला में उनके पुत्र विदुप अग्रहरि ने इस आशंका में पिता की ही सीट पर ही निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। 


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