Lok Sabha Election 2019: कांग्रेस के सीटें छोड़ने पर क्यों भड़कीं मायावती, ये हैं वजहें
लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक प्रतिद्वंदिता इतनी हावी है कि सपा-बसपा को कांग्रेस की दरियादिली भी रास नहीं आई। इसके पीछे एक-दो नहीं कई वजहें हैं जो भविष्य की राजनीति तय करेगी।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। लोकसभा चुनाव 2019 की सोमवार (18 मार्च 2019) को पहले चरण के नामांकन के साथ शुरूआत हो चुकी है। इसी के साथ राजनीतिक पार्टियों में जुबानी जंग भी तेज हो गई है। आलम ये है कि मायावती को कांग्रेस की दरियादिली भी रास नहीं आ रही है। कांग्रेस ने रविवार को यूपी में गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ने का ऐलान किया तो मायावती बिफर पड़ीं। उन्होंने तुरंत कांग्रेस पर पलटवार किया। इसकी कोई एक-दो नहीं, बल्कि की वजहें हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे कड़ा मुकाबला 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में है। सपा-बसपा-रालोद यहां गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस भी गठबंधन का हिस्सा बनना चाहती थी, लेकिन मायावती और अखिलेश ने झटका दे दिया। बावजूद कांग्रेस ने उदारता दिखाते हुए रविवार को घोषणा की कि यूपी में वह गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ेगी। मतलब कांग्रेस इन सात सीटों पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
इस बयान से तिलमिलाई मायावती ने तुरंत ट्वीटर पर पलटवार कर कांग्रेस को नसीहत दी कि वह गठबंधन का हिस्सा दिखने का भ्रम न फैलाए। मालूम हो कि यूपी लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और आरएलडी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा 38 और सपा 37 सीटों पर गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। दो सीटें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (अमेठी) व उनकी मां सोनिया गांधी (रायबरेली) के लिए छोड़ी गई हैं। इसके अलावा बाकी बची तीन सीटें गठबंधन में शामिल आरएलडी को दी गई हैं।
कांग्रेस ने इस सीटों को छोड़ने का किया था ऐलान
रविवार को कांग्रेस नेता राजबब्बर ने एक प्रेस कांग्रेस में कहा था कि उनकी पार्टी यूपी में सपा-बसपा और आरएलडी गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ेगी। कांग्रेस इन सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इसमें वो सीटें शामिल हैं, जहां से सपा परिवार के सदस्य मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव व डिंपल यादव, बसपा सुप्रीमों मायावती, रालोद नेता अजीत सिंह व जयंत सिंह चुनाव लड़ेंगे। इसी में सपा की प्रमुख सीटें मैनपुरी, कन्नौज व फिरोजाबाद भी शामिल है।
मायावती का पलटवार
कांग्रेस के सीट छोड़ने की घोषणा के कुछ देर बाद ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने पलटवार किया। मायावती ने ट्वीट कर कहा 'बीएसपी एक बार फिर साफ तौर पर स्पष्ट कर देना चाहती है कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में कांग्रेस पार्टी से हमारा कोई भी किसी भी प्रकार का तालमेल व गठबंधन आदि बिल्कुल भी नहीं है। हमारे लोग कांग्रेस पार्टी द्वारा आये दिन फैलाये जा रहे किस्म-किस्म के भ्रम में कतई ना आयें।' थोड़ी देर बाद मायावती ने एक और ट्वीट किया 'कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहाँ की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े आर्थात हमारा यहाँ बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है। कांग्रेस जबरदस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रान्ति ना फैलाये।'
अखिलेश ने भी किया समर्थन
मायावती के इस रुख का सपा ने भी समर्थन किया है। मायावती के बाद अखिलेश यादव ने भी ट्वीट किया 'उत्तर प्रदेश में एसपी, बीएसपी और आरएलडी का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है। कांग्रेस पार्टी किसी तरह का कन्फ़्यूज़न ना पैदा करे!'
प्रियंका ने ऐसे दिया जवाब
मायावती के पलटवार पर प्रयागराज से वाराणसी तक बोट यात्रा कर रहीं प्रियंका गांधी ने भी जवाब दिया है। प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे (कांग्रेस) अंदर कोई कन्फ्यूज (संशय) नहीं है। हम इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ रहे हैं।
इसलिए मायावती को रास नहीं आयी उदारता
- मायावती नहीं चाहती हैं कि यूपी में गठबंधन को लेकर किसी तरह की भ्रम की स्थित बने।
- यूपी में भ्रम की स्थिति बनने पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है।
- भ्रम की स्थिति बनने या वोटों का बंटवारा होने का सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा।
- मायावती के खास सिपहसलार रहे बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दिकी पार्टी से निकाले जाने के बाद अब कांग्रेस में हैं। पार्टी से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन ने मायावती पर टिकट बेचने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। नसीमुद्दीन ही बसपा के चंदे का हिसाब-किताब रखते थे। इसलिए भी मायावती कांग्रेस से नाराज हैं।
- गठबंधन की सरकार बनने पर मायावती बसपा को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर दिखा, पीएम पद की दावेदारी कर सकती हैं।
- मायावती मौजूदा गठबंधन के जरिए लोकसभा के बाद यूपी विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को हटाने के लिए ताल ठोंक सकती हैं।
- भविष्य में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में गठबंधन की स्थिति मजबूत होने पर मायावती मुख्यमंत्री की प्रबल दावेदार होंगी।
- मायावती कांग्रेस को झटका देकर बाकी राज्यों में भी अपनी पार्टी का कद बढ़ाना चाहती हैं। यही वजह है कि उन्होंने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस संग गठबंधन नहीं किया था।
- लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर अलग-अलग राज्यों में हो रहे गठबंधन में भी राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही हैं।
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