Loksabha Election 2019 :चुनाव लड़ने के बारे में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा-वाराणसी से लड़ूं क्या
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चुनाव लडऩे पर खुले तौर पर तो नहीं बोला लेकिन इशारा किया कि उन्हें मौका मिले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाराणसी सीट पर मुकाबला कर सकती हैं।
लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में गठबंधन के रायबरेली व अमेठी से अपना प्रत्याशी न उतारने की घोषणा के बाद भी कांग्रेस में बेचैनी है। कांग्रेस महासचिव तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा दो दिन से अमेठी के साथ रायबरेली के दौरे पर थीं। इसी दौरान उनसे कांग्रेस के कार्यकर्ता ने रायबरेली से चुनाव लडऩे की बाबत पूछा तो उन्होंने कहा कि वाराणसी से लड़ूं क्या।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने चुनाव लडऩे पर खुले तौर पर तो कुछ नहीं बोला लेकिन उन्होंने इशारा किया कि उन्हें मौका मिले तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाराणसी सीट पर मुकाबला कर सकती हैं। रायबरेली में पार्टी कार्यकर्ता उनसे इस सीट से चुनाव लडऩे की मांग कर रहे थे। इसी दौरान प्रियंका ने कहा कि क्यों वाराणसी से चुनाव लड़ूं क्या।
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प्रियंका गांधी कल पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रही थीं। इस दौरान कार्यकर्ता उनसे रायबरेली सीट से चुनाव लडऩे की मांग करने लगे। रायबरेली सीट से उनकी मां सोनिया गांधी चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में प्रियंका का यह कहना कि क्या वाराणसी से चुनाव लड़ूं क्या? उनकी इस बात से संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस यदि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उम्मीदवार बनाती है तो वह पीछे नहीं हटेंगी। प्रियंका के चुनाव लडऩे पर कांग्रेस ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। गांधी परिवार से राहुल गांधी और सोनिया गांधी पहले से ही चुनाव मैदान में हैं। प्रियंका गांधी ने रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हुए कहा कि उनकी मां सोनिया गांधी थोड़ी परेशान थीं, क्योंकि वह खुद आप सभी से मिलने नहीं आ सकीं। इस पर वहां मौजूद कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए कहा। हंसते हुए प्रियंका ने जवाब दिया, 'वाराणसी से क्यों नहीं'।
प्रियंका वाड्रा के दिनभर के कार्यक्रम के बाद कल देर शाम सोशल साइट पर एक उद्गार चलने लगा, जिसमें यह कहा गया कि प्रियंका वाड्रा ने कार्यकर्ताओं के उनके चुनाव लडऩे की बात पर कह दिया कि 'क्या मैं बनारस से लड़ जाऊं' इस बयान की असलियत जानने की खातिर जब कांग्रेस के नेताओं से बातचीत की गई तो उन्होंने ऐसे किसी भी बयान को नकार दिया। कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता व प्रोफेशनल विंग के जिलाध्यक्ष विनय द्विवेदी से सवाल हुआ कि सच्चाई क्या है? आप तो दिनभर वहीं थे। द्विवेदी का कहना था कि ऐसी कोई बात प्रियंका द्वारा नहीं की गई है। तथाकथित बयान कहां से उड़ा, किसने उड़ाया यह मुझे नहीं पता।
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इससे पहले भी प्रियंका ने बुधवार को कहा था कि पार्टी यदि उनसे चुनाव लडऩे के लिए कहेगी तो वह इसके लिए तैयार हैं और यदि वह चुनाव नहीं भी लड़ीं तो पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती रहेंगी।
भाजपा का लक्ष्य अमेठी
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा अमेठी को लक्ष्य बनाए हुए है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी में ही घेरने के लिए स्मृति ईरानी के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता लगे हैं। यहां पर विकास कार्य भी कराए गए। शिलान्यास और लोकार्पण के जरिए वोटरों को लुभाने की कोशिश कितनी कारगर होगी यह तो वक्त बताएगा लेकिन, स्थानीय नेताओं में घबराहट बनी है। व्यापारी नेता सुरेश कंसल का कहना है कि जितने विकास कार्य गत दो वर्ष में हो गए उतना दशकों में नहीं हुआ। कांग्रेस में अमेठी को लेकर घबराहट अधिक होने की वजह गत विधानसभा चुनाव भी है। क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में एक भी कांग्रेस को नहीं मिल सकी थी। चार पर भाजपा और एक पर सपा उम्मीदवार विजयी हुआ था। अमेठी को भाजपा भी रायबरेली की अपेक्षा साफ्ट टारगेट मानती है। वहीं राहुल गांधी के निकटस्थ माने जाने वाले हारून रशीद का प्रियंका के दौरे से पहले पार्टी छोडऩे से सिद्ध होता है कि संगठन में सब कुछ सामान्य नहीं है।
रायबरेली में सोनिया गांधी की जीत का अंतर भी अधिक था। कांग्रेस के दो विधायक बड़े अंतर से विजयी हुए थे और भाजपा के दो व सपा का एक विधायक जीता था। कांग्रेस संगठन में उठापटक भी नेतृत्व की बेचैनी की वजह है। विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह व उनके भाई अवधेश प्रताप सिंह कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुके है। दिनेश के भाई तथा हरचंदपुर के कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह का कल प्रियंका गांधी की बैठक में शामिल न होना भी खतरे की घंटी है।