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Loksabha Election 2019 : 'गठ' में पड़ी गांठ और टूट जाएगा 'बंधन' : डॉ. दिनेश शर्मा

उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा महागठबंधन को पारिभाषित करते हैैं कहते हैं कि महा हुआ नहीं गठ में गांठ है और बंधन टूट जाएगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 07:17 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : 'गठ' में पड़ी गांठ और टूट जाएगा 'बंधन' : डॉ. दिनेश शर्मा
Loksabha Election 2019 : 'गठ' में पड़ी गांठ और टूट जाएगा 'बंधन' : डॉ. दिनेश शर्मा

लखनऊ [अजय जायसवाल]। प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा मानते हैैं कि सपा-बसपा गठबंधन से भाजपा का कोई नुकसान नहीं होने वाला। वह कहते हैैं कि मोदी-योगी की आइडियल कॉम्बिनेशन वाली डबल इंजन सरकार की वजह से ही विपक्ष एकजुट होने को मजबूर हुआ। एक शिक्षक की तरह वह महागठबंधन को पारिभाषित भी करते हैैं कि 'महा' हुआ नहीं, 'गठ' में गांठ है और 'बंधन' टूट जाएगा। चुनाव के अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच ही उन्होंने राज्य ब्यूरो प्रमुख से लंबी बातचीत की-

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- चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती कौन है? गठबंधन या कांग्रेस?

कहीं कोई चुनौती नहीं है। वैसे तो कांग्रेस, गठबंधन से अलग लड़ती दिख रही है लेकिन वास्तव में बी टीम के रूप में वह दिल से सपा-बसपा गठबंधन के साथ है। एक बात बता दूं कि वे सब चाहे मिल कर लड़ते या अलग-अलग लड़ें, दोनों ही स्थिति में उनकी जबरदस्त हार होनी है क्योंकि जनता के बीच इनका असली रूप उजागर हो चुका है। सत्ता में रहते इन दलों ने क्या-क्या गुल खिलाएं हैैं, किसी से छिपा नहीं है।

- ...तो क्या महागठबंधन से मुकाबला है?

अरे, महागठबंधन रहा कहां? कांग्रेस हो या निषाद पार्टी के अलग लड़ने से महा तो पहले ही नहीं रहा। गठ, गांठ में तब्दील हो गई है। अब केवल अपने अस्तित्व को बचाने का बंधन रह गया है। वह भी टूट जाएगा क्योंकि यह गठजोड़ लोकसभा चुनाव के लिए नहीं बल्कि अगले विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी का सफाया करने के लिए है।

- लेकिन गठबंधन का गणित तो सपा-बसपा-रालोद के पक्ष में दिखता है।

देखिए, हम गठबंधन में सिर्फ 'प्लस' ही क्यों देखते हैैं। आखिर गठबंधन से जो उपेक्षित हुए हैैं, उनसे क्या 'माइनस' नहीं होगा। हमें दोनों को देखना चाहिए। साफ दिख रहा है कि गठबंधन का कोई असर नहीं होने वाला है बल्कि हमें तो उन्हें बड़ा नुकसान होते दिख रहा है।

- भाजपा को प्रदेश से कितनी सीटें मिलती दिख रही हैैं?

सभी सीटें भाजपा को मिलेंगी। अबकी अमेठी-रायबरेली भी जीतेंगे और आजमगढ़-कन्नौज में भी भाजपा का परचम लहराएगा। नेताजी (सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव) ही अपनी मंशा को पूरा करने के लिए लहरवा देंगे। नेताजी कह चुके हैैं कि मोदी को सभी मिलकर भी नहीं हरा पाएंगे। मोदीजी की सरकार बनने के लिए वह ईश्वर से प्रार्थना भी कर चुके हैैं जिसका असर पूरे प्रदेश में दिखेगा।

- तब क्या मोदी सरकार की वापसी हो रही है?

इसमें संदेह कहां है? पिछली बार देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी बेहतरीन परफार्मेंस को देखकर वोट दिया था। अब तो प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी के शानदार कार्यों और ऐतिहासिक फैसलों को भी जनता देख रही है। पूर्व में यूपीए की 10 वर्ष की सरकार जहां हर मोर्चे पर असफल रही थी, वहीं मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के पांच वर्ष में दुनिया में भारत का यश तो बढ़ा ही हैै, विकास के नए-नए रिकार्ड भी बने हैैं जिससे विपक्ष भयाक्रांत और चिंतित है।

- कांग्रेस को आप लोग राष्ट्र विरोधी बता रहे हैैं?

कांग्रेस के घोषणा पत्र और राहुल गांधी के केरल के वायनाड में रोड शो के दौरान लहराते हरे झंडे देखकर क्या ऐसा नहीं लगता? देश के टुकड़े करने के नारे लगाने वालों को बिरयानी खिलाने का काम कांग्रेस कर सकती है लेकिन भाजपा ऐसा कतई नहीं करेगी। विघटनकारी चीजों को बढ़ावा देने वाली कांग्रेस एक तरह से वह भाषा बोल रही है जो आजादी से पहले मुस्लिम लीग की थी। हमारा नारा सबका साथ, सबका विकास है। हम जाति व संप्रदाय के आधार पर नहीं चलते क्योंकि हम वोट की राजनीति नहीं करते। हमारे लिए राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में और फिर व्यक्ति का सिद्धांत है।

- कहीं यह ध्रुवीकरण की कोशिश तो नहीं है?

देखिए, वे बहुसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर अल्पसंख्यकों को यूनाइट करने का सपना देख रहे हैैं लेकिन उसे अब अल्पसंख्यक ही पूरा नहीं होने देंगे। अल्पसंख्यकों की समझ में सबकुछ आ गया है क्योंकि मोदी-योगीजी के राज में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है। वे भारत में अच्छे नागरिक की तरह व्यवहार कर सकून की जिंदगी जी रहे हैैं।

- सपा व अन्य के घोषणा पत्र का भी जनता पर क्या असर देख रहे हैैं?

अब क्या बताया जाए, जो खुद 37-38 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैैं वे भारत के भविष्य के निर्धारण का ख्वाब देख रहे हैैं। ऐसे में मैैं तो एक ही बात कहना चाहता हूं कि 'न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी'। वैसे ये घोषणा पत्र नहीं एक तरह से विभाजन का पत्र है जो इनकी छोटी सोच को दर्शाता है।

- प्रियंका फैक्टर चुनाव में कितना काम करेगा?

जितना पिछले तीन लोकसभा चुनाव में किया था उससे कम ही करेगा। पिछले चुनाव में 46 सभाएं की थी जिससे दो सीटें मिली थी लेकिन अबकी शायद वह भी मुश्किल है। हार के डर से राहुल गांधी, अमेठी छोड़ चुके हैैं।

- टिकट काटने से उपजे अंसतोष का नुकसान नहीं होगा भाजपा को।

टिकट काटना कहना ठीक नहीं है। भाजपा कैडर बेस पार्टी है। यहां दूसरे दलों की तरह प्रत्याशी नहीं कमल और संगठन लड़ता है। दायित्वों में परिवर्तन स्वाभाविक प्रक्रिया है। मुझे ही ले लीजिए। मैैं पहले संगठन में उपाध्यक्ष बनाया गया, उससे पहले महापौर और अब उप मुख्यमंत्री। हमारे यहां व्यक्ति की योग्यता और आवश्यकता के आधार पर एक व्यक्ति या परिवार नहीं बल्कि सामुहिक निर्णय लिया जाता है। यही प्रक्रिया हमें सपा-बसपा-कांग्रेस से अलग भी करती है।

- बेरोजगारी के मोर्चे पर आपको फेल बताया जा रहा है ?

विपक्ष के पास आरोप लगाने के सिवाय है ही क्या? स्टार्टअप, स्किल इंडिया, मेकअप इंडिया, मुद्रा लोन के जरिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर दिए गए हैैं। विकास के जितने काम हुए है उससे क्या रोजगार नहीं मिले? डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश, मेट्रो, डिफेंस कॉरीडोर, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, स्मार्ट सिटी आदि से रोजगार को ही तो बढ़ावा मिलेगा।

- सरकारी नौकरियां तो नहीं मिल रही हैैं?

पूर्व की सरकारों में नौकरियां देने में अनियमितता और भ्रष्टाचार व्याप्त था जिससे तमाम मामले कोर्ट में लंबित हैैं। चुनाव खत्म होने दीजिए, नौकरियों के बंपर अवसर मिलने वाले हैैं। रिक्त पदों को तेजी से भरा जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में खाली पदों पर भी नियुक्तियां की जाएंगी।

- आपको नहीं लगता किसान परेशान है?

बिल्कुल नहीं, सरकार बनते ही किसानों का ऋण माफ किया गया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पी.एम.-किसान) योजना के तहत किसानों के खाते में छह हजार रुपये दिए जा रहे हैैं। किसानों को बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाया गया है। गन्ना किसानों का रिकार्ड भुगतान किया है। किसानों का जितना ख्याल भाजपा सरकार ने रखा है, उतना आज तक किसी और सरकार ने नहीं।

- नगरीय निकायों को क्यों नहीं अधिकार दे रहे हैैं ?

आप जानते हैैं कि मैैं लखनऊ का लगभग दस वर्ष तक महापौर रहा हूं। यूपी मेयर काउंसिल का अध्यक्ष रहते मैैं खुद निकायों को अधिकार देने की लड़ाई लड़ता रहा। मेरी सरकार ने शहरवासियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने देने के लिए महापौरों के अधिकार बढ़ाए हैैं। नागरिकों और निकायों की बेहतरी के लिए आगेे भी जो कुछ करना होगा, वह निश्चित तौर पर किया जाएगा।

- विपक्ष कह रहा है कि मोदी जी ने सबको चौकीदार बना दिया।

अब क्या बताया जाए कि वह चौकीदार का मतलब क्या समझते हैैं? चौकीदार का मतलब चौकन्ना रहकर कहीं भी गलत काम न होने देना है। चाहे कोई आइएएस हो या फिर नेता। वह भी तो गलत काम होने से रोकने के लिए उस पर नजर रख एक तरह से चौकीदार की ही भूमिका तो निभा रहा है। 


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