Loksabha Election 2019 : ग्राउंड रिपोर्ट घोसी : मिजाज भांपना मुश्किल
ग्राउंड रिपोर्ट घोसी प्रत्याशी शून्य हैं मुख्य मुकाबला स्पष्ट तौर पर मोदी और गठबंधन में है।
घोसी (मऊ) [हरिशंकर मिश्र]। कभी कम्युनिस्टों का गढ़ रहे घोसी संसदीय क्षेत्र में अजब विरोधाभास है। लोग सांसद से नाराज हैैं, लेकिन मोदी के नाम पर वोट उसे ही देंगे। मुकाबले में बसपा है लेकिन उसका प्रत्याशी क्षेत्र से ही गायब है। फिर भी गठबंधन के नाम पर उसे वोट मिलेगा। यानी प्रत्याशी शून्य हैं, मुख्य मुकाबला स्पष्ट तौर पर मोदी और गठबंधन में है। अब इसमें जो वोटों की सेंधमारी रोक पाएगा, उसी की राह आसान होगी।
आजमगढ़ सीमा खत्म होते ही मुहम्मदाबाद गोहना तिराहे पर पहुंचते ही सड़क चौड़ी होती है और ड्राइवर बताता है-'मऊ आ गया है।' अपने शहर को लेकर इन्हीं चार वाक्यों में गर्वोक्ति जैसी है। मुख्यालय की ओर जाने वाली फोरलेन को दिखाते हुए वह कहता है-'अब मुख्यालय तक ऐसी ही सड़क मिलेगी। आजमगढ़ से आ रही है।' उसका आशय यह कि विकास हो रहा है। हालांकि चुनावी चर्चाएं शुरू होते ही मऊ के विकास की बातें गायब हो जाती हैैं। तिराहे पर ही अपने दोस्तों के साथ खड़े राजू स्पष्ट तौर पर कहते हैैं-'हम हाथी को वोट देंगे।' कौन लड़ रहा है बसपा से? इस सवाल पर वह अपने दोस्तों की ओर देखने लगते हैैं। दोस्तों को भी प्रत्याशी का नाम नहीं मालूम है।
घोसी संसदीय क्षेत्र के चुनाव में यह अजब कहानी देखने को मिलती है। लोग भाजपा प्रत्याशी का नाम जानते हैैं, लेकिन यह कहने में संकोच नहीं करते कि पार्टी ने किसी और को लड़ाया होता तो बेहतर होता। भाजपा ने सांसद हरि नारायण राजभर को ही इस बार भी चुनाव मैदान में उतारा है। लोग नाराजगी जताते हैैं, लेकिन कहते हैैं कि वोट तो उन्हें देना ही होगा, मोदी का मामला है। दूसरी ओर सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में है। बसपा ने अतुल राय को टिकट दिया है, जिनके खिलाफ एक महिला ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया है और इसकी वजह से वह क्षेत्र में नहीं घूम पा रहे। लेकिन, सपा-बसपा के लोग खुलकर यह कहते हैैं कि वोट तो हम उन्हें ही देंगे। उनकी आस्था अखिलेश यादव और मायावती में है। कांग्रेस ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को खड़ा किया है। उनकी कोशिश मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की है।
घोसी में पांच विधानसभा क्षेत्र हैैं मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद गोहना व मऊ। इसके अलावा बलिया की एक सीट रसड़ा भी इसी क्षेत्र में शामिल हैैं। इन सभी सीटों पर जातीय समीकरणों की जोड़तोड़ और मोदी की वजह से उभरे राष्ट्रवाद से तगड़ी टक्कर है। रसड़ा विधानसभा क्षेत्र के नदौली गांव के प्रधान जयराम चौराहे पर पप्पू यादव के साथ मिलते हैैं। दोनों पूरी ठसक के साथ कहते हैैं कि हमारा गांव गठबंधन को वोट देगा। वहीं रसड़ा कस्बे में दिनेश बताते हैैं कि जातियों में भी सेंध लग रही है। मऊ सदर पहुंचने पर जिला पंचायत सदस्य और वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज राय इस दावे को और आगे बढ़ाते हैैं। वह दावा करते हैैं कि मोदी के चेहरे ने जातियों की जंजीरे इस बार तोड़ दी हैैं। वह भाजपा की जीत के समीकरण बताते हैैं कि युवाओं में मोदी का का क्रेज है और चुनाव की कमान उन्होंने संभाल रखी है। साथ ही मनोज जोड़ते हैैं कि योगी का काम भी यहां फैक्टर है।
घोसी के राजनीतिक इतिहास में कभी वामपंथियों का दबदबा था और इसे पूर्वांचल के केरल की संज्ञा दी जाती थी, लेकिन अब लाल झंडा पूरी तरह बिखरा नजर आता है। हालांकि सीपीआइ की ओर से अतुल कुमार अनजान इस बार भी मैदान में हैैं। मधुबन विधानसभा क्षेत्र के मर्यादपुर डुमरी में महेंद्र राजभर की सभा के लिए लगभग सौ लोग जमा हैैं। वह सुभासपा के प्रत्याशी हैैं। यह पूछने पर कि क्या यह जीतेंगे, एक समर्थक दावा करता है, वोट तो काटेंगे ही। किसका? जवाब मिलता है-'आप समझ लीजिए।'
आगे लगभग सोलह किमी क्षेत्रफल में फैला काल रतोय फतेहपुर है। यहां के उस्मान अली कहते हैैं इधर गठबंधन का जोर अधिक है। दूसरी ओर गोंठाबाजार में अपनी पत्नी के साथ एक दुकान पर खड़े रमेश कुमार कहते हैैं-'मोदी के नाम के आगे सब फेल है।' मधुबन कस्बे में एक छोटी सी चौपाल सी लगी नजर आती है। चार-पांच लोगों की। राम प्रकाश, शोभित राजभर, राधेश्याम और अजीत आदि नाम हैैं। वह कहते हैैं कि पुराने सांसद को लड़ाकर भाजपा ने अपने वोट कम कर लिए। हालांकि जीतेंगे वही। क्योंकि चुनाव मोदी के नाम पर है।
घोसी में मऊ विधानसभा क्षेत्र पर सबकी निगाहें हैैं। यहां से मुख्तार अंसारी विधायक हैैं। बुनकर बहुल इस क्षेत्र में मुस्लिमों की संख्या अधिक है लेकिन उनकी बदहाली चुनाव का मुद्दा नहीं। अंधा मोड़ भीटी पर सराफा की दुकान के बाहर खड़े सुरेश कुमार यह स्वीकार करते हैैं कि मऊ के मुस्लिम गठबंधन के साथ ही रहेंगे। लेकिन साथ ही यह भी जोड़ते हैैं कि थोड़ा-बहुत कांग्रेस को भी जा सकते हैैं। तीन तलाक के मुद्दे की वजह से कुछ महिलाओं के वोट भाजपा को भी मिल सकते हैैं। दूसरी ओर थोड़ा आगे बढऩे पर युवा शादाब दावा करते हैैं-'हमारे यहां लोग मुख्तार भाई के साथ हैैं। जहां कहेंगे, वोट उधर जाएगा।'
बड़े नेताओं की लगातार आवाजाही ने चुनाव को गरमाहट दी है लेकिन यह तय है कि घोसी का चुनाव एकतरफा नहीं होने जा रहा। मुकाबला तगड़ा होगा। जैसा की दोहरीघाट पर खादी भवन उत्पत्ति केंद्र पर शिवनंदन कहते हैैं-'मतगणना से पहले यहां का मिजाज शायद ही कोई भांप पाए।'
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