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CM योगी आदित्यनाथ ने कहा- हम तो चाहते हैं कांग्रेस भी शामिल हो गठबंधन में और हमसे लड़े

सीएम योगी आदित्यनाथ मतदाताओं को मोदी लहर में बहता महसूस कर रहे हैं। यह विश्वास उन्हें 2022 के चुनाव तक पहुंचाता है और वह विपक्ष को चुनौती देते हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 10:18 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 05:29 PM (IST)
CM योगी आदित्यनाथ ने कहा- हम तो चाहते हैं कांग्रेस भी शामिल हो गठबंधन में और हमसे लड़े
CM योगी आदित्यनाथ ने कहा- हम तो चाहते हैं कांग्रेस भी शामिल हो गठबंधन में और हमसे लड़े

लखनऊ (जेएनएन)। लोकसभा चुनाव 2019 में आधी से ज्यादा सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है और सीएम योगी आदित्यनाथ मतदाताओं को मोदी लहर में बहता महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी नामक सुनामी 74 से ज्यादा सीटों तक पहुंचेगी।

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यह विश्वास उन्हें 2022 के चुनाव तक पहुंचाता है और वह विपक्ष को चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा कि हम तो चाहते हैं कि 2022 में कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल होकर हमसे लड़े। अब तक हुए चुनाव पर मुख्यमंत्री से दैनिक जागरण चुनाव डेस्क के हरिशंकर मिश्र, प्रियम, नीरज सिंह, रवि तिवारी (मेरठ), अभिषेक पांडेय (बरेली), समन्वय पांडेय (मुरादाबाद) और राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल ने बातचीत की।

सवाल : पांच चरणों का चुनाव हो चुका है। आपका आकलन क्या है। गठबंधन और कांग्रेस को बतौर प्रतिद्वंद्वी कैसे देखते हैं।

अच्छा परिणाम आएगा। भाजपा उत्तर प्रदेश और देश के अन्य प्रदेशों में भी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। उप्र में हमारा लक्ष्य 74 प्लस का है और हम इसे पूरा करेंगे। शुरुआती चार चरणों में 39 सीटों पर जो चुनाव हुआ है, उसमें भाजपा 35-36 सीटों पर आगे है। इतना जरूर है कि तीसरा चरण हमें सबसे ज्यादा चुनौती भरा लग रहा था मगर उस चरण में भी बेहतर प्रदर्शन हुआ।

सवाल : आप दावा कर रहे हैं कि अमेठी, रामपुर, कन्नौज, बदायूं...जीत रहे हैं ?

ये मोदी नाम की सुनामी है। आप देखिएगा भाजपा कहीं कम नहीं होने जा रही है। देश के साथ यूपी भी इस बार 2014 से बेहतर परिणाम देगा।

सवाल: गठबंधन को कहां आंक रहे हैं आप?

गठबंधन पहले ही फेल हो चुका है। हौव्वा ज्यादा खड़ा किया गया था। मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि गठबंधन के अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आने वाले। चुनाव अंकगणित का खेल नहीं है। किसी को अगर गलतफहमी है कि जाति विशेष का ठेका मैंने ले लिया है, वोट थोक के भाव में कहीं डायवर्ट कर लूंगा तो यह उसकी समस्या है। गठबंधन सच्चाई से इतर है।

सवाल : किस आधार पर गठबंधन को फेल मानते हैैं?

गठबंधन इसलिए भी फेल हो गया है, क्योंकि पब्लिक का वोट चार महीने पहले ही तय हो चुका था। अंडर करंट है। कौन ऐसा गरीब है जिसे किसी न किसी योजना में लाभ न मिला हो। भाजपा का सबसे बड़ा सपोर्टर मध्यम गर्व का था। उसके लिए आयकर की सीमा ढाई से बढ़ाकर पांच लाख कर दी गई। मेरा मानना है कि हर वर्ग को हम साध सके हैं और कहीं कोई नकारात्मकता नहीं है।

सवाल : सपा-बसपा का साथ क्या 2022 तक टिकेगा?

23 मई को जब परिणाम आएंगे, आप देखना बुआ और बबुआ किन शब्दों का प्रयोग एक-दूसरे के लिए करेंगे। मैं तो चाहूंगा कि 2022 के चुनाव में सपा-बसपा के साथ कांग्रेस भी गठबंधन कर ले। चुनाव मैदान में हमारे सामने तो आए सभी लोग, उन्हें पता लग जाएगा कि उनकी कितनी जमीन बची है।

सवाल : यूपी में सात चरणों में चुनाव हो रहा है। आप के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण चरण आपके कौन सा माना जाए?

सामाजिक समीकरणों के लिहाज से सबसे चुनौतीपूर्ण तीसरा चरण था। पहले और दूसरे चरण में केवल एक सीट है, जिस पर थोड़ी कड़ी लड़ाई है। तीसरे चरण में 10 सीटों पर चुनाव हुए उनमें चार सीटों पर भाजपा से कहीं कांग्रेस लड़ रही है, कहीं गठबंधन। बाकी छह क्लियर हैं। चौथे चरण की 13, पांचवें की 14 सीटों में भी कोई समस्या नहीं है।

सवाल : आप 74 प्लस कहते हैं। पार्टी के अंदर ही लोग कई सीटों को लेकर दुविधा बताते हैं। किसान अगर आपके साथ है तो फिर दुविधा क्यों?

कहीं कोई दुविधा नहीं है। बागपत में तो आजादी के बाद जितना काम सत्यपाल सिंह के समय में हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ। चौधरी चरण सिंह की जन्मभूमि की रमाला चीनी मिल के एक्सटेंशन की मांग 30 वर्ष से हो रही थी। हमने एक झटके में 150 करोड़ रुपये दिए। मोदी शुगर मिल, मलकपुर शुगर मिल के भुगतान की समस्या थी। दो साल का बकाया रहता था। उन्हें समझा दिया गया और अब पहली बार है कि कोई बकाया नहीं है। इसलिए मैं कहता हूं, बागपत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, सहारनपुर, कैराना में भी भाजपा जीतेगी।

सवाल : अब इसमें कोई दो राय नहीं कि चुनाव मोदी के नाम पर है। ऐसे में उप्र के विकास कार्य की बातें क्यों पीछे चली गईं?

बेहतर कानून-व्यवस्था, किसानों को सुविधाएं व योजनाएं, कुंभ की चर्चा भी तो उप्र में ही होगी न। हमने काम किया है और चुनाव में उनका भी असर है। मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं। पार्टी ने मुझे जिम्मेदारी दी है, प्रधानमंत्री ने भेजा है। हमने अपेक्षा अनुरूप काम करके रिजल्ट दिया है। अगर आप किसी की अपेक्षा पर खरे नहीं उतरेंगे तो वह आपका कभी नाम नहीं लेगा।

सवाल: इस बार नारों में बार-बार सुनाई पड़ा, मोदी-मोदी, योगी-योगी। तो क्या हम मानकर चलें कि मोदी के बाद योगी?

उप्र देश का सबसे बड़ा राज्य है। दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है। उप्र अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। सबकी नजरें भी इसी प्रदेश पर हैं। गठबंधन की हवा निकलते, उनकी हताशा-निराशा सब देखी है।

सवाल : आप अपना निकटतम प्रतिद्वंद्वी किसे मान रहे हैं? गठबंधन या कांग्रेस?

भाजपा के सामने मुकाबले में कांग्रेस की अपेक्षा गठबंधन ज्यादा वोट पाएगा मगर, कांग्रेस भी कुछ जगहों पर अच्छा करेगी। हां, यह बात तय है कि भाजपा उन दोनों से कहीं आगे है। मोदी के लिए जाति की दीवारें टूटी हैं। मत और मजहब की दीवारें टूटी हैं।

सवाल: आप विकास के दावे करते हैं, लेकिन जनसभाओं में वोटों की खातिर ध्रुवीकरण का कार्ड भी खेला जा रहा। मुजफ्फरनगर दंगे से लेकर, अली-बजरंग बली का विवाद हो या फिर हरा वायरस की खोज। ऐसा क्यों?

आपने मेरे बयान में क्या गलत पाया? उपमा-अलंकार इसलिए ही है न कि व्यक्ति जैसा काम करेगा, उसे वैसी उपमा दी जाएगी। अब एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष चार पीढिय़ों की सीट को छोड़कर एक ऐसी जगह जा रहे हैं, जहां चांद-सितारे का झंडा फहराया जा रहा है। मुझे बताइए, मायावती ने सहारनपुर में जो भाषण दिया था, क्या वह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं था? मेरे भाषण में कहीं भी जाति, मत-मजहब, संप्रदाय के आधार पर वोट नहीं मांगा गया। मैंने तो साफ कहा था, मेरी आस्था बजरंग बली में है।

सवाल : आपने कहा था कि 20 उधर चले जाओ, 80 इधर आ जाओ। क्या यह ध्रुवीकरण नहीं हुआ?

मायावती और अखिलेश यह कहते हैं कि हमें मुसलमानों पर विश्वास है। उनका वही विश्वास है और उन्हें केवल वोट चाहिए। तब मैंने कहा कि जब उन्हें केवल वही वोट चाहिए तो शेष वोट के लिए भाजपा है, आप आइए हमारे साथ।

सवाल : आप जाति आधारित राजनीति को कब तक देखते हैैं?

किसी भी दल को चुनाव उपलब्धियों और भावी योजनाओं के बल पर लडऩा चाहिए। भाजपा ने यही किया। मौजूदा समय में कोई राजनीतिक दल ऐसा नहीं जो देश-प्रदेश की सत्ता में न रहा हो। उन्हें भी उपलब्धियों व योजनाओं के बल पर चुनाव लडऩा चाहिए मगर वे ऐसा नहीं करते। वे बार-बार राफेल की चर्चा करेंगे फिर बाद में कोर्ट में माफी मांगेंगे। फिर बाहर आकर कुछ कहेंगे और बाद में एक एफिडेविट लगा देंगे। यह सब दर्शाता है कि विपक्ष ने पराजय स्वीकार कर ली है।

सवाल : गठबंधन में सपा को किस नजरिए से देखते हैैं?

यह सपा का उत्थान है या पतन, आप ही पर छोड़ता हूं। 1993 में भी सपा-बसपा साथ लड़ी थी। दो तिहाई पर सपा, एक तिहाई पर बसपा समझौते के तहत साथ लड़े थे। तब मुलायम सिंह के समय में इसी प्रदेश में सपा को 37 सीटें मिली थी। आज 37 पर चुनाव लड़ रही है। अब अनुमान लगा लीजिए कि वे कहां जा रहे हैं।

सवाल : पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई सीटों पर भाजपा कमजोर दिख रही है? आखिर कैसे हवा अपने पक्ष में करेंगे? फार्मूला क्या होगा?

ऐसा कहीं नहीं है। जौनपुर, बलिया, घोसी...हर सीट भाजपा जीत रही है। कहीं कोई नहीं ठहर रहा। जनता गठबंधन और कांग्रेस को समझ चुकी है। मोदी नाम की सुनामी के सामने सारी सीटें भाजपा की झोली में गिरेंगी। अमेठी और रायबरेली में तो जमीन सरकती देख प्रियंका गाली-गलौज पर उतारू हैं।

सवाल : प्रियंका वाड्रा की सक्रिय राजनीति में एंट्री को भाजपा कितनी गंभीरता से ले रही है?

- प्रियंका वाड्रा का आपके लिए महत्व हो सकता है। देखिए गणित का एक नियम है, शून्य को किसी भी अंक से गुणा करें, परिणाम शून्य ही आएगा। उन्होंने दो लड़कों की जोड़ी यूपी में बनाई थी, जो फेल हो चुकी है। यूपी कृषि प्रधान क्षेत्र है, यहां लड़कों की जोड़ी नहीं बनती, बैलों की जोड़ी बनती है। अब तो प्रियंका भारतीय नारी की गरिमा को भी धूल-धूसरित कर रही हैं। बच्चों को गाली सिखा रही हैं। अब यही संस्कार रह गया है। उनसे विनम्र अपील करूंगा कि ये संस्कार इटली को दे दीजिए। भारतीय नारी की गरिमा को भारत में बने रहने दीजिए।

सवाल : महिला नेतृत्व को बीजेपी कितना प्रभावशाली मानती है?

इससे बेहतर और नेतृत्व क्या हो सकता है कि लोकसभा अध्यक्ष, रक्षा मंत्री महिला, विदेश मंत्री महिला, गंगा स्वच्छता की मंत्री महिला... हर एक क्षेत्र में जितना बेहतर प्रदर्शन इन महिलाओं ने किया है, वह सबके सामने हैं।

सवाल : ऐसे कौन से काम है सरकार के, जिसे आप देश में बड़े बदलाव के रूप में देख रहे हैं?

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत वृहद अभियान चले हैं। लोक कल्याणकारी योजनाओं ने भी देश में बड़ा बदलाव किया है। देश के बाहर भी हमारा सम्मान बढ़ा है। बनारस में हमने 15वें प्रवासी दिवस का आयोजन किया। प्रवासियों ने बताया कि जब पहले भारत के नेता विदेश जाते थे तो प्रवासी अपने नेताओं से मिल नहीं पाते थे। आज वहां मोदी जी जाते हैं तो प्रवासियों का विशेष कार्यक्रम होता है। कहते हैं हमें नई पहचान मिली है। भारतवंशी होने का गौरव मिला है। चुनाव के पहले और कुंभ के समय आयोजक बनने की चुनौती को हमने भी अवसर बनाया और अब तक का सफलतम आयोजन किया।

सवाल : मसूद अजहर के अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने का लाभ भी तो इस चुनाव में आप लेंगे ही?

पहले किसी भी मुद्दे पर जब भारत-पाकिस्तान की बात होती थी, भारत के साथ केवल रूस खड़ा होता था, बाकी पाकिस्तान के साथ। आज पाक के साथ केवल चीन खड़ा होता है, बाकी पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी होती है। मसूद अजहर के मामले में तो चीन भी पीछे चला गया। अजहर का मसला चुनावी नफा-नुकसान का नहीं है। हमारे देश के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मिली सफलता यह प्रदर्शित करती है कि मोदी जी के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई बहुत सार्थक दिशा में जा रही है। हमारा संस्कार है नेशन फस्र्ट। सुरक्षा-संप्रभुता सर्वोपरि है। कोई समझौता मंजूर नहीं। उसके बाद दल और फिर स्वयं के बारे में सोचेंगे।

सवाल : किसी नेता के नाम की लहर या सुनामी पार्टी के लिए कितनी अच्छी होती है?

मोदी जी हमारे नेता हैं और नेता के लिए एक सकारात्मक लहर पार्टी को ही ऊपर ले जाती है। पार्टी हमेशा नेतृत्व से चलती है और हमारी पार्टी वंशवादी, जातिवादी नहीं है। यहां का आम कार्यकर्ता शीर्ष पद पर जा सकता है। यह शुभ संकेत है कि हमने चुनाव से पहले अपना नेतृत्व घोषित कर दिया ताकि जनता नेता देखकर निर्णय कर सके।

सवाल : चौंकाने वाले परिणाम कहां से आते दिख रहे हैं?

पूरे देश से। यूपी भी चौंकाने वाले परिणाम देगा। बंगाल, उड़ीसा, पूर्वोत्तर के साथ केरल भी देगा।

सवाल : विकास की दिशा में, सरकार चलाने में क्या बाधा, क्या चुनौती लगती है?

हमने चुनौती मानकर कभी पलायन नहीं किया। इसे अवसर माना है। अगर यूपी का आकलन करना है तो प्रयाग कुंभ का आकलन कर लीजिए। स्वच्छ-सुरक्षित कुंभ एक मिसाल बना है। यूपी में सही मायने में लाभ भी मिला है।

सवाल : बेहमई में पुल केवल दो खंभों के लिए रुका हुआ है?

मुझे वहां की समस्या की जानकारी है। उसकी खातिर आवश्यक धनराशि उपलब्ध भी करा दी है। इसी तरह का एक मसला अमर शहीद रोशन सिंह के गांव का था। वहां के विधायक गांव में पांटून पुल बनवाना चाहते थे। मैंने उनका मांग पत्र लौटाया और पक्का पुल मांगने को कहा। डिग्री कॉलेज भी मंजूर किया। गववालों को जब यह सब-कुछ होता दिखा तो उन्होंने मुफ्त में 30 बीघा जमीन देने की पेशकश की। यह आंखों में आंसू लाने वाला लम्हा था। इसी तरह हरेक विधायक से उनके क्षेत्र के काम मांगे ताकि वहां की जनता के लिए काम किया जा सके।

सवाल: दूसरे प्रांतों में भी आप गए हैं, क्या तस्वीर नजर आ रही है?

अभूतपूर्व समर्थन भाजपा को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल में तमाम प्रशासनिक रोक-टोक, खुले मैदान में प्रचंड धूप में 10-10 किमी चलकर लोग रैलियों में आ रहे हैं। वर्धमान की मेरी सभा में लोग न आएं इसकी खातिर ट्रांसपोर्टर्स को गाड़ी न देने के लिए धमका दिया गया था। फिर भी 50 हजार से ज्यादा लोग आए थे। अगर बंगाल में विधानसभा का चुनाव होता तो दो-तिहाई से भाजपा की सरकार बनती इस बार। यही आंकड़ा इस बार लोकसभा में भी होगा।

सवाल: आपका हेलीकॉप्टर ममता बनर्जी ने नहीं उतरने दिया था। क्या इस तरह की घटनाएं दो मुख्यमंत्रियों या प्रदेशों के संबंधों पर भी फर्क डालती हैं?

झारखंड में उतरकर 35 किमी सड़क मार्ग से मैं बगैर सुरक्षा बंगाल में सभा करने गया था। देखिए ममताजी को जो करना था, उन्होंने किया। वो यूपी में आएंगी, हम उनका विरोध नहीं करेंगे।

सवाल : क्या कुर्ता और रसगुल्ला आपके लिए भी बंगाल से आता है?

मैं इन सब चीजों में विश्वास नहीं करता हूं। वो भेजतीं हैं, अच्छी बात है। राजनीतिक विरोध के बावजूद हम संबंधों को बनाए चलते हैं, यह अच्छे संस्कार और अच्छी राजनीतिक परिपाटी है। अच्छी परंपरा है।

सवाल : राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी?

बंगाल में टीएमसी हमसे लड़ रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश में कांग्रेस भाजपा से लड़ रही है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दल भाजपा से लड़ रहे हैं। भाजपा तो पूरे देश में है लेकिन, भाजपा के विपक्ष में कोई एक दल नहीं है।

गौर कीजिए

- जब योगी को गुस्सा आया

राजन तिवारी को पार्टी में जगह मिलने के सवाल पर कहते हैं (अंगुली उठाकर माथा सिकोड़ते हुए) कि अपराधी चाहें कोई भी हो, वह सिर्फ अपराधी ही है और ऐसे लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कार्रवाई थमी नहीं है। जिसने राजन तिवारी को ज्वाइन कराया होगा, वही शख्स बताएगा कि ऐसा क्यों हुआ। न हमने राजन तिवारी को पार्टी में ज्वाइन कराया है, न हम इसके पक्षधर हैं।

- बोले, धन्यवाद आयोग

नेताओं के बिगड़े बोल के मामले में योगी आदित्यनाथ चुनाव आयोग को धन्यवाद देते हैं। मुस्कराकर कहते हैं कि मुझ पर पाबंदी लगाई गई तो मैंने कहा- चौराहे पर जाकर भी हनुमान चालीसा का पाठ करूंगा। मैं लखनऊ, काशी, अयोध्या में मंदिर-मंदिर गया। मैं तो आयोग को धन्यवाद दूंगा कि मुझे 72 घंटे का रेस्ट दिया और मुझे इतने भगवानों के दर्शन का अवसर मिला।

- फिर मैंने अफसरों को बुलाया

किसी सवाल के संदर्भ में सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि चार महीने पहले की बात है। रात को 10:30 बजे कार्यालय से मैं घर आया। एक चैनल में इलेक्शन के पहले सर्वे में जनता का मूड दिखाया जा रहा था। रिपोर्टर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक गांव में था। महिला से पूछा, किसको वोट देंगी...जवाब आया मोदी को। दूसरी महिला से भी यही सवाल पूछा, जवाब वही मोदी। कुछ दूरी पर पांच-छह महिलाएं कार्य कर रही थीं, उनसे भी यही पूछा तो उन्होंने कहा मोदी और योगी को। रिपोर्टर परेशान... उसने और भी लोगों से पूछा... कुछ देर बाद एक महिला ने कहा कि वोट तो मोदी को देंगे लेकिन, सीएम योगी आदित्यनाथ से कहना चाहते हैं कि ये जो बेसहारा पशु हैं, इनका कोई इंतजाम कर दें। उसी समय मैंने चीफ सेक्रेटरी को फोन कर संबंधित विभाग से जुड़े अफसरों को बुलवाया। वे भी चौंक गए थे। मैंने उनसे कहा प्रदेशभर में गोवंश को लेकर वीसी करनी है। एक साल पहले जो आदेश दिया था, उसकी प्रोग्रेस और आगे क्या होना है उसकी रिपोर्ट दें। आपने देखा होगा कि अगली ही कैबिनेट में मैंने विदेशी शराब पर सेस लगाकर अलग से 150 करोड़ की व्यवस्था की। मंडी समिति से 100 करोड़ लिया और इस तरह पूरे प्रदेश में गोवंश के लिए व्यवस्था करा दी गई।

अब आगे क्या?

-चुनाव बाद फिर शुरू होगा प्रेजेंटेशन का दौर

-आगे की तैयारियों पर मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैं फिर से प्रत्येक विभाग के प्रेजेंटेशन को चेक करने वाला हूं। दो साल के कामकाज का हिसाब लूंगा। चुनाव के बहाने यूपी के कामकाज को लेकर कहां सकारात्मकता है और कहां समस्याएं है, इसे भी आंकने का अवसर मिला है। प्रदेश की 23 करोड़ जनता की जो तड़पन है, उन्हें दूर करने के लिए 23 मई के बाद तेजी से काम में जुटेंगे।

- सबसे बड़ी ऊर्जा यानी युवाओं पर रहेगा फोकस

चुनाव के बाद किस दिशा में काम करने की जरूरत के सवाल पर जोर देकर मुख्यमंत्री कहते हैं कि उप्र देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां देश का सबसे ज्यादा युवा है। यह हमारी सबसे बड़ी ऊर्जा है और इसका उपयोग उप्र के निर्माण में हो, इसे हमने फोकस किया है और चुनाव के बाद इसी पर केंद्रित रहेंगे। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, स्टैंड अप, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप योजना और निवेश की नीति को परिणाम तक पहुंचाने का काम किया है। निवेश पर हमने 21 नीतियां बनाईं जिसका परिणाम यह हुआ कि पांच लाख करोड़ ये ज्यादा का निवेश यहां आया।

युवा का अब तक शोषण होता था नौकरी के नाम पर, इंटरव्यू के नाम पर उसे खत्म किया। चतुर्थ, तृतीय और द्वितीय श्रेणी के नॉन गजटेड पद पर भर्ती के लिए इंटरव्यू को समाप्त किया। अब टेस्ट दीजिए और मेरिट के आधार पर युवा को नौकरी मिल जाएगी। 2.25 हजार से अधिक युवाओं को हमने सरकारी नौकरी दी है और पांच लाख से अधिक युवाओं का अलग-अलग जगह प्लेसमेंट किया है। इसके अलावा चार लाख से ज्यादा नौजवानों को रोजगार मिला है। यह सब तभी संभव हुआ जब हमने सुरक्षा, कानून-व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ की। यह आज देश के अंदर एक नजीर है। कुंभ की जैसी हमने व्यवस्था की थी, वैसी ही व्यवस्था हम प्रदेश की करने को प्रतिबद्ध हैं। 

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