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लोकसभा चुनाव 2019 : चढ़ते सूरज में बढ़ाइए कदम, आइए वोट करें हम

यह वैशाख लोकतांत्रिक वसंत लाएगा या निर्वाचन आयोग का 75 फीसद मतदान का लक्ष्य चिलचिलाती धूप में पसीने की तरह बह जाएगा...मौसम का यह मुकाबला इस बार चुनौतीपूर्ण और रोचक होगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 12:53 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 01:20 PM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019 : चढ़ते सूरज में बढ़ाइए कदम, आइए वोट करें हम
लोकसभा चुनाव 2019 : चढ़ते सूरज में बढ़ाइए कदम, आइए वोट करें हम

लखनऊ [अजय जायसवाल]। Loksabha Election 2019 लोकसभा चुनाव 2019 में मतदान की आदर्श तस्वीर समझने के लिए सहारनपुर फिर बानगी की तौर पर सामने आएगा या मतदाता किसी अन्य क्षेत्र में मतदान का नया रिकॉर्ड बनाएंगे। 75 फीसद मतदान के लक्ष्य की सफलता मौसम नहीं, आपके संकल्प पर निर्भर है। आपके मत से ही हम और देश भी लोकतांत्रिक है।

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यह वैशाख लोकतांत्रिक वसंत लाएगा या निर्वाचन आयोग का 75 फीसद मतदान का लक्ष्य चिलचिलाती धूप में पसीने की तरह बह जाएगा...मौसम का यह मुकाबला इस बार चुनौतीपूर्ण और रोचक होगा। दरअसल, आजादी से अब तक सांसदी के लिए 16 मर्तबा हो चुके आम चुनाव में पिछली बार रिकॉर्ड 58 फीसद से अधिक वोटिंग हुई थी। उससे पहले जब कभी गर्मियों में मतदान हुआ तब 50 फीसद से भी कम वोटर मतदान केंद्र तक पहुंचे। वहीं सहारनपुर संसदीय क्षेत्र के वोटरों ने नया रिकॉर्ड बनाया था। यहां सर्वाधिक 74.23 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के लिए अबकी अप्रैल से मई के बीच कई चरणों में मतदान होना है। मौसम के बदलते मिजाज से साफ है कि अप्रैल से मई तक राज्य में तपते सूरज से पारा चढ़ा रहेगा। वर्ष 2014 से पहले के आम चुनाव के आंकड़ों से साफ है कि जब कभी अप्रैल-मई-जून में मतदान हुए तब तमाम कोशिशों के बावजूद 50 फीसदी से कम ही मतदान हुआ। सन् 1991 से पिछले चुनाव के पहले तक गर्मी के मौसम में चाहे लोकसभा की सीटों के लिए चुनाव रहा हो या फिर राज्य की विधानसभा के लिए, सभी में वोट डालने के लिए अपेक्षाकृत कम वोटर ही घर से बाहर निकले।

दूसरी तरफ सितंबर से नवंबर या फिर फरवरी-मार्च के महीनों में हुए चुनाव के लिए कहीं ज्यादा वोटर मतदान में भाग लेने के लिए निकले। यद्यपि मतदाता सूची में गड़बड़ी सहित अन्य तमाम कारणों से तब भी 60 फीसदी से अधिक मतदान नहीं रहा है। अप्रैल से जून के बजाय अन्य महीनों में हुए चुनाव में 10 से 15 फीसदी तक अधिक मतदान से यह कहना कतई गलत नहीं कहा जा सकता कि मौसम और मतदान में सीधा संबंध रहा है। अप्रैल-मई में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में आयोग की तमाम कोशिशों पर पहली बार रिकॉर्ड 58.35 फीसद मतदान हुआ था।

संवैधानिक मजबूरियों के चलते निर्वाचन आयोग ने एक बार फिर अप्रैल-मई में ही चुनाव कराए जाने का कार्यक्रम रखा है लेकिन, उसकी पूरी कोशिश है कि अबकी सूबे में पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 75 फीसदी से भी अधिक मतदान हो। इसके लिए उसने न केवल मतदाता सूची में 18 वर्ष से ऊपर के सभी के नाम शामिल करने का व्यापक अभियान चलाया बल्कि मतदान के लिए सभी को प्रेरित करने को बड़े पैमाने पर विभिन्न माध्यमों से जागरुकता फैलाने का भी काम किया है। ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए आयोग की कोशिश है कि अधिकतर मतदाता दिन चढऩे के साथ गर्मी बढऩे से पहले सुबह ही मतदान कर लें।

2014 में सहारनपुर सीट पर हुआ था सर्वाधिक मतदान

16वीं लोकसभा के लिए वर्ष 2014 में हुए चुनाव में प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर जहां औसतन 58.35 फीसद मतदान हुआ था, वहीं सहारनपुर संसदीय क्षेत्र के वोटरों ने नया रिकॉर्ड बनाया था। सहारनपुर सीट के लिए सर्वाधिक 74.23 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। जिन संसदीय क्षेत्रों में 60 फीसद से अधिक मतदान रहा उनमें कैराना (73.07 फीसद), अमरोहा (70.96), मुजफ्फरनगर (69.72), झांसी (68.36), धौरहरा (68.05), बिजनौर (67.88), फिरोजाबाद (67.49), बागपत (66.72), सीतापुर (66.25), खीरी (64.18), मुरादाबाद (63.65), मेरठ (63.10), नगीना (63.09), पीलीभीत (62.86), संभल (62.42), बाराबंकी (62.06), कन्नौज (61.61), फतेहपुर सीकरी (61.24), बरेली (61.17), मोहनलालगंज (60.74), महाराजगंज (60.59), मैनपुरी (60.45), गौतमबुद्धनगर (60.38), आंवला (60.21), अंबेडकरनगर (60.18) और फर्रूखाबाद (60.15) सीट है।

वोटिंग के मामले में गोरखपुर की बांसगांव लोकसभा सीट फिसड्डी रही थी। इस क्षेत्र के 50 फीसद वोटर भी वोटिंग के लिए मतदान केंद्र तक नहीं पहुंचे। क्षेत्र के 49.88 फीसद मतदाताओं ने ही अपना सांसद चुनने में दिलचस्पी दिखाई। वोटिंग के आंकड़ों से यह भी साफ दिखाई देता है कि गर्मी में शहरी मतदाता जहां वोट देने के लिए कम निकले वहीं गांव में रहने वालों ने जोश दिखाते हुए कहीं अधिक मतदान किया। बड़े शहरों के मुकाबले छोटे नगरों में रहने वालों ने कहीं अधिक वोटिंग की। 


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