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Loksabha Election 2019 : शाहजहांपुर में भाजपा और गठबंधन में सीधी टक्कर, कांग्रेस भी भर रही दम

सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना के लिए यह सीट साख का सवाल है तो गठबंधन के लिए बड़े संघर्ष का। दोनों की सीधी लड़ाई में कांग्रेस भी अपनी मौजूदगी दर्शा रही।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 28 Apr 2019 05:09 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 07:11 AM (IST)
Loksabha Election 2019  : शाहजहांपुर में भाजपा और गठबंधन में सीधी टक्कर, कांग्रेस भी भर रही दम
Loksabha Election 2019 : शाहजहांपुर में भाजपा और गठबंधन में सीधी टक्कर, कांग्रेस भी भर रही दम

शाहजहांपुर, जेएनएन। बरेली मंडल की इस एक मात्र सीट पर कल चौथे चरण में मतदान होगा। भाजपा ने मौजूदा सांसद कृष्णराज का टिकट काटकर अरुण सागर को मैदान में उतारा है। गठबंधन व कांग्रेस ने भी यहां से नए चेहरों को मैदान में उतार दिया। अब यहां का चुनाव साख और संघर्ष का है।

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सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना के लिए यह सीट साख का सवाल है तो गठबंधन के लिए बड़े संघर्ष का। दोनों की सीधी लड़ाई में कांग्रेस भी अपनी मौजूदगी दर्शा रही। मतदाता किसपर भरोसा करेंगे, ये मतदान में ही साफ़ हो सकेगा। आजादी के बाद से लेकर नब्बे के दशक तक कांग्रेस को सींचने वाले शाहजहांपुर ने सियासत ने कई पड़ाव भी देखे। सूबे में सपा और भाजपा का वर्चस्व बढ़ा तो हवा कांग्रेसी खेमे से हटकर उस ओर चलने लगी। 1998 में इस सीट पर भाजपा ने खाता खोला और सत्यपाल सिंह ने जीत दर्ज की। 2001 के उपचुनाव में सपा के राममूर्ति सिंह जीते। 2004 में जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद इस सीट ने जीत दर्ज कर दोबारा कांग्रेस को जिंदा करने की कोशिश की। हालांकि कवायद बाद में थम गई। 2009 के चुनाव में इस आरक्षित सीट से सपा और 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की।

इस बार का चुनाव इसलिए भी दिलचस्प माना जा रहा है क्योंकि भाजपा ने मौजूदा सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णाराज का टिकट काटकर अरुण सागर को मैदान में उतारा है। जाहिर है परिस्थितियां उतनी अनुकूल नहीं हैं। कृष्णाराज किसी मंच या क्षेत्र में नहीं दिख रहीं, लेकिन इन सबसे पार पाने के लिए खुद सूबे के मंत्री सुरेश खन्ना लगे हुए हैं। गठबंधन ने इस सीट पर बसपा के अमर चंद्र जौहर को टिकट दिया है। अपने पहले चुनाव में वह सपा-बसपा के यादव-मुस्लिम-अनुसूचित जाति के वोट बैंक की बुनियाद पर बैठकर भाजपा को सीधी टक्कर दे रहे हैं। निगाह उस पासी वोट बैंक पर भी है जिसने पिछली बार कृष्णाराज को एकमुश्त वोट किया था। इस बार कृष्णाराज का टिकट कटा है, ऐसे में क्षेत्र के करीब 80 से 90 हजार पासी वोटरों का रुख भी बहुत कुछ तय करेगा। हालांकि भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुटी है। कांग्रेस से ब्रहृमस्वरूप सागर मैदान में हैं। शाहजहांपुर में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है, मगर सीट सुरक्षित होने और जितिन प्रसाद के यहां से धौरहरा जाने के बाद वह वोट बैंक पार्टी से कितना बंधा रहा, यह देखना होगा।

शाहजहांपुर नगर में भाजपा व गठबंधन का मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस भी सेंध मार रही है, पर ग्रामीण इलाकों में ऐसा नहीं है। अब तक कांग्रेस को चुनाव लड़ाने वाले शाहबाजनगर गांव निवासी फकीरेलाल भोजवाल कहते हैं कि सिर्फ मोदी ही हैं जो आतंकवाद पर खुलकर बोलते हैं। ददरौल विधानसभा क्षेत्र क्षत्रिय, लोध व अनुसूचित जाति बाहुल्य है। यहां ब्राह्मण व मुस्लिम निर्णायक हैं। एक वर्ग पर तो भाजपा की पकड़ ठीक दिखती है मगर लोध वोटरों की बड़ी तादात सपा नेता राममूर्ति वर्मा से जुड़ी दिखती है। हालांकि उनकी काट के लिए भाजपा ने यहां से विधायक रहे बसपा के पूर्व मंत्री अवधेश वर्मा को शामिल कर लिया है। बहलोलपुर गांव के किसान ब्रजपाल कहते हैं कि देश की सुरक्षा के लिए मोदी जरूरी हैं। तो कांट में किराना व्यापारी जमील अहमद कांग्रेस की नीतियों को जनहित में बताते हैं। ब्राह्मण बाहुल्य पुवायां में भाजपा अपने परंपरागत वोट बैंक के करीब दिखती है।

पूर्व सांसद मिथिलेश कुमार को भी पार्टी ने शामिल कर लिया है। हालांकि यहां करीब 40 से 42 हजार पासी वोटर भी हैंं। कृष्णराज का टिकट कटने की नाराजगी इनकी बातचीत में जाहिर होती है। गठबंधन इसका पूरा फायदा उठाना चाहता है। कांग्रेस भी इस नाराजगी को कैश करने की कोशिश में है। अगौना गांव के किसान विष्णुदयाल भी भाजपा से नाराज हैं, लेकिन भटियूरा गांव के नीरज कहते हैं कि मोदी को एक मौका और मिलना चाहिए। तिलहर में बहुलता वाले वैश्य वोटर तो भाजपा और मोदी से बंधे दिखते हैं। मुस्लिमों की बड़ी संख्या गठबंधन की पक्षधर दिखती है। लोध वोट को लेकर यहां भी खींचतान है। हालांकि कांग्रेस से सालों से जुड़े ब्राह्मण व मुस्लिम वोटर भाजपा व गठबंधन के लिए परेशानी भी पैदा कर सकते हैं।कटरा यादव व क्षत्रिय बाहुल्य है, राजनाथ सिंह यहां जनसभा भी कर गए। मगर क्षत्रिय वोट इस बार बिखराव की ओर है। यादव एकमुश्त गठबंधन पर भरोसा करता दिखता है।

अनुसूचित जाति के वोटरों पर निगाह

सीट सुरक्षित है। तीनों प्रत्याशी एक ही कैडर के हैं। बसपा में काम कर चुके हैं। क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख से अधिक अनुसूचित जाति के वोटर हैं। जिनमें से करीब 40 फीसद एक ही बिरादरी से हैं। वे किसी एक के पक्ष में जाते हुए नहीं दिख रहे। गठबंधन से बसपा प्रत्याशी अमर चंद जौहर इस वोट बैंक के सबसे ज्यादा करीब हैं। भाजपा के अरुण सागर सजातीय बताते हुए इस वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी ब्रह्मस्वरूप सागर लंबे समय से तक बसपा में काम कर चुके हैं, इसलिए उन्हें भी इसमें कुछ सफलता मिल सकती है।

कुल आबादी- 3502217।

कुल वोटर - 2112860।

महिला -955852

पुरुष - 1156851

अन्य - 157।

2014 के परिणाम

कृष्णाराज : भाजपा- 525132

उम्मेद सिंह कश्यप: बसपा - 289603।

मिथिलेश कुमार -सपा - 242913।

चेतराम - कांग्रेस - 27011

बसपा प्रत्याशी पर पांच मुकदमे, भाजपा के अरुण शस्त्रों के शौकीन

शिक्षक से नेता बने बसपा प्रत्याशी अमर चंद्र जौहर बेसिक के टीचर थे। शिक्षक नेता रहते हुए उन पर हंगामा आदि करने के पांच मुकदमे हुए। पिछले साल नौकरी से त्यागपत्र देकर वो राजनीति में उतर आए। सवा करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं। भाजपा के प्रत्याशी अरुण सागर भी पहले बसपा की राजनीति में थे। इस पर भाजपा से मैदान में हैं। रिवाल्वर और राइफल का लाइसेंस है। दो करोड़ की संपत्ति है और 11 लाख का लोन है। कांग्रेस प्रत्याशी ब्रम्हस्वरूप सागर भी पहले बसपा के नेता रह चुके। बरेली के रहने वाले हैं और कुछ समय पहले कांग्रेस ज्वाइन की है। कोई मुकदमा नहीं है। कोचिंग संचालक हैं। करीब तीन करोड़ की संपत्ति है। 


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