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Loksabha Election 2019 : अयोध्या : ‘किसका’ रामजी करेंगे बेड़ा पार

फैजाबाद लोकसभा सीट पर सियासत की नई सिलवटें नजर आ रही हैं। चुनावी पारा चढ़ने के साथ ही मुद्दों की परख तेज हो गई है। राम मंदिर मुद्दे पर खामोशी बहुत कुछ कहती है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 03:55 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 03:59 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : अयोध्या : ‘किसका’ रामजी करेंगे बेड़ा पार
Loksabha Election 2019 : अयोध्या : ‘किसका’ रामजी करेंगे बेड़ा पार

अयोध्या [संतोष शुक्ल]। अयोध्या तीन दशक से देश की सियासत की धुरी बना हुआ है। कई लोकसभा चुनावों में मुद्दों का चक्रवात यहीं से उठा। किंतु इस बार रामनगरी में नई चुनावी बयार चली है। राम मंदिर का तीर चुनावी प्रत्यंचा से उतारकर खूंटी पर टांग दिया गया है। धर्म नगरी में विकास की परछाई लंबी हो रही है। सरयू की लहरों में रौनक है। संवरती अयोध्या अब अतीत में झांकने से गुरेज करती है। फिर भी धर्मनगरी की चुनावी तपिश में राजनीतिक गुलेलबाजी चरम पर है। 

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अवध की पुरानी राजधानी यानी फैजाबाद लोकसभा सीट पर सियासत की नई सिलवटें नजर आ रही हैं। चुनावी पारा चढ़ने के साथ ही मुद्दों की परख तेज हो गई है। राम मंदिर मुद्दे पर खामोशी बहुत कुछ कहती है। घंटाघर निवासी शादाब कहते हैं कि अभी तक हवा का रुख पता नहीं चल पाया है। यहीं दुकानदार अजीत आर्या कहते हैं कि अयोध्या की हवा बदली है। वोट तो मोदी को मिलेगा, किंतु राम मंदिर के लिए नहीं, बल्कि विकास के नाम पर। अमानीगंज में अयोध्या मार्ट सुपर मार्केट में एसके गुप्ता कहते हैं कि बड़ा घोटाला तो नहीं हुआ, लेकिन रोजगार भी नहीं मिला। यहां राजनीति की लैब में कई प्रकार के चुनावी रसायनों पर मंथन चल रहा है।

2014 के चुनावी गणित पर नजर डालें तो सपा-बसपा को भाजपा से ज्यादा वोट मिले थे, जो भगवा खेमे की नींद उड़ा सकता है। संगीतकार सत्यप्रकाश मिश्र कहते हैं कि धर्म के साथ सियासत आंख मिचौली करती चल रही है। हालांकि जीत भाजपा की होगी। एक खेमा कह रहा है कि मुस्लिम मतदाता की खामोशी चौंका सकती है। सीट पर दलितों के बाद सबसे बड़ी संख्या ब्राहमणों की है। 

मंदिर का राग अब बेसुरा

1990 में राम मंदिर आंदोलन के गर्भ से नई भाजपा का जन्म हुआ, और 1991 के चुनावों में बजरंग दल की पृष्ठभूमि वाले हिन्दूवादी नेता विनय कटियार की जोरदार जीत हुई। मंदिर बनाने का एलान चुनावी साबित हुआ। मतदाताओं में कड़ी प्रतिक्रिया हुई। राम लहर पर सवार भाजपा प्रत्याशी कटियार 1996 में तो जीत गए, लेकिन 1998 में सपा के मित्रसेन यादव ने शिकस्त देकर भाजपा को भारी झटका दिया। 1999 में एक बार विनय कटियार को जीत मिली, लेकिन वो तरंग को बरकरार नहीं रख पाए। भाजपा मंदिर बनाने के वादों से कोसों दूर खड़ी थी, जबकि विकास की भी कोई बड़ी पहल नहीं हुई। इधर, जातिवाद और ध्रुवीकरण के खांचों में बंटे वोटरों ने फिर फैसला बदला।

तरंग को बरकरार नहीं रख पाए कटियार  

2004 में बसपा के मित्रसेन यादव ने तीन बार के सांसद विनय कटियार को हरा दिया। मंदिर का आलाप इस बार चुनावी तान नहीं बना। इसका असर 2009 के लोकसभा चुनावों में भी नजर आया, जब कांग्रेस के निर्मल खत्री ने जीत दर्ज कर भाजपा को हाशिए पर धकेल दिया। गत दिनों प्रियंका गांधी ने अयोध्या में रोड शो करते हुए हनुमान गढ़ी का दर्शन किया था। कांग्रेस नेता निर्मल खत्री 1984 और 2009 में सांसद रह चुके हैं, जिनकी छवि भी बेहतर है।

...योगी की योगमाया

भाजपा मंदिर पर भले ही आक्रामक नहीं हो पा रही है, लेकिन सीएम योगी के ताबड़तोड़ दौरों का अपना असर है। सरयू नदी के तट पर भगवान राम के आगमन को लेकर दीपोत्सव का आयोजन हो या फिर धार्मिक स्थलों का कायाकल्प। सीएम योगी ने अयोध्या को नगर निगम बनाया। 200 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू कर चुके हैं।घाटों पर बदलाव भी नजर आया है। भाजपा प्रत्याशी व पांच बार अयोध्या से विधायक रहे लल्लू सिंह भी जानते हैं कि भले ही राम मंदिर नहीं बन पा रहा है, लेकिन भाजपा अपने मतदाताओं को बताने में सफल हो रही है कि धार्मिक स्थलों के कायाकल्प की दिशा मंदिर निर्माण की ही तरफ जाती है। उधर, सपा- बसपा गठबंधन ने पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के पुत्र आनंद सेन यादव को मैदान में उतारा है। वो गंभीर आरोपों को लेकर विवादों में रहे हैं किंतु सपा-बसपा का ठोस वोटबैंक डगमगाना आसान नहीं है। उनके पिता मित्रसेन की सियासी परछाई बड़ी है।

...भाजपा ने काटा दस साल का वनवास

2004 में बसपा के मित्रसेन व 2009 में कांग्रेस के निर्मल खत्री के हाथों फैजाबाद की सीट गंवाने के बाद भाजपा दस साल तक हाशिये पर रही। तीन बार के सांसद विनय कटियार भी जनाधार संभाल नहीं सके। उन्हें 2009 में अंबेडकर नगर सीट पर जाना पड़ा, जहां वो तीसरे स्थान पर रहे। इधर, अयोध्या के विधायक रहे लल्लू सिंह को कटियार पर वरीयता देते हुए 2014 चुनावों में टिकट दिया गया। मोदी लहर में वो बड़े अंतर से जीत गए। 2019 में एक बार फिर लल्लू सिंह मैदान में हैं। हालांकि संतों का एक खेमा उनसे नाराज मिला, लेकिन उन्हें जनता के बीच अपनी उपस्थिति पर भरोसा है। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में मिल्कीपुर, रुदौली, दरियाबाद, बीकापुर व अयोध्या पांच विस सीटें हैं।


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