लोकसभा चुनाव: सहयोगी दलों के लिए बंगाल में चार सीटें छोड़ेगी माकपा
लोकसभा चुनाव में अब गिने-चुने दिन ही शेष बचे हैं। बात बंगाल की सियासत की करें तो अब तक कांग्रेस का रूख स्पष्ट नहीं है कि वे माकपा के साथ आम चुनाव में गठबंधन करेगी कि नहीं।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव में अब गिने-चुने दिन ही शेष बचे हैं। बात बंगाल की सियासत की करें तो अब तक कांग्रेस का रूख स्पष्ट नहीं है कि वे माकपा के साथ आम चुनाव में गठबंधन करेगी कि नहीं। हालांकि तृणमूल को नकारते हुए पार्टी ने माकपा के साथ गठबंधन की राह को खुला रखा है।
इस बीच सूत्रों से आ रही खबर के मुताबिक माकपा पश्चिम बंगाल की चार लोकसभा सीटें अपनी सहयोगी दलों के लिए छोड़ने पर विचार कर रही है। इस पर अंतिम फैसला चालू महीने के आखिर तक आने की बात कही जा रही है।
दरअसल माकपा लोकसभा चुनावों में सामान्य तौर पर 32 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। लेकिन सूत्रों की माने तो पार्टी का इस बार इरादा 32 के बजाय 28 सीटों पर चुनाव लडऩे का है। माकपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी वाममोर्चा के सहयोगी दलों के लिए चार सीटों को छोडऩे पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है, ये सीटें उन दलों के लिए छोड़े जाएंगे जो कांग्रेस के साथ गठबंधन की खिलाफत कर रहे हैं और वामो से दूरी बना रहे हैं। जानकारों की राय में इस कदम का उद्देश्य लोकसभा चुनाव से पहले वाम दलों में एकजुटता का संदेश देना है।
पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से माकपा आमतौर पर 32 सीटों पर चुनाव लड़ती है, जबकि बाकी 10 सीटें वामो के सहयोगी घटक दलों को दी जाती है। यहां बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव में वामदलों के समक्ष चुनौती दोहरी है। एक तरफ तृणमूल है तो दूसरी ओर राज्य में पैठ बढ़ाती भाजपा है। नाम नहीं छापने के शर्त पर माकपा राज्य कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि हम इस बार चार सीटें वामो के अन्य सहयोगी दलों के लिए छोडऩे पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम चुनाव में 17 वामो के घटक दल एकजुटता का परिचय देंगे इसलिए यह आवश्यक है कि माकपा सीपीआइ (एमएल) लिबरेशन जैसे दलों के लिए अपनी सीट छोड़ दें।
ताकि सहयोगी दलों की दूर हो शिकायतें
यहां बता दें कि कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और फॉरवर्ड ब्लॉक जैसे वामो के घटक दल पहले ही ऐतराज जता चुके हैं। माकपा नेता ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस बार हमारे सहयोगी दल खुद को असुरक्षित महसूस न करें और उनकी शिकायतों को दूर किया जाए। माकपा के सूत्रों ने खुलासा किया कि पार्टी नेतृत्व इस महीने के अंत तक इस मामले पर अंतिम फैसला करेगा।