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ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री ने थपथपाई पर्दे के पीछे जुटी टीम की पीठ

Lok Sabha Election Results 2019 भाजपा की ऐतिहासिक जीत के प्रणेता पीएम मोदी और अध्यक्ष अमित शाह का मानना है कि इस जीत में पर्दे के पीछे जुटी प्रबंधन का भी बड़ा हाथ है।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:43 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 10:43 PM (IST)
ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री ने थपथपाई पर्दे के पीछे जुटी टीम की पीठ
ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री ने थपथपाई पर्दे के पीछे जुटी टीम की पीठ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Lok Sabha Election Results 2019, भाजपा की ऐतिहासिक जीत का रहस्य जहां चर्चा का विषय है, लोग यह समझने में जुटे हैं कि जातीय गठबंधन के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए भाजपा ने आखिर किस ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। वहीं इस जीत के प्रणेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का मानना है कि इस जीत में पर्दे के पीछे जुटी प्रबंधन टीम का भी बड़ा हाथ है। प्रधानमंत्री ने इस टीम को सुझाव दिया है कि वह अपने अनुभवों को न सिर्फ लिखें बल्कि उसे दूसरों के साथ साझा भी करें। पार्टी के लिए इसे संभाल कर भी रखें।

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दरअसल चुनाव अभियान में दूसरे दलों को मीलों पीछे छोड़ चुकी भाजपा की एक बड़ी टीम प्रबंधन में जुटी थी। इसमें केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली जहां शीर्ष पर थे और अभियान की जिम्मेदारी देख रहे थे, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, महासचिव भूपेंद्र यादव, अरुण सिंह, अनिल जैन, ऋतुराज, मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी, संजय मयूख समेत लगभग डेढ़ सौ लोग भी शामिल थे।

नकवी के पास प्रवास, कार्यक्रम, समन्वय और चुनाव आयोग की जिम्मेदारी थी। वह रैली, रोड शो, टाउन हाल जैसे कार्यक्रम भी शामिल थे। भूपेंद्र यादव कई मोर्चो पर जिम्मेदारी देख रहे थे। अरुण सिंह केंद्रीय कार्यालय के प्रभारी के साथ-साथ क्षेत्रीय प्रचार सामग्री देख रहे थे। एक तरफ जहां जेटली लगभग रोज इस टीम के साथ बैठकर आकलन करते थे वहीं अमित शाह भी हर तीसरे चौथे दिन पूरा फीडबैक लेते थे। चुनाव अभियान खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री ने भी आखिरी बैठक इस टीम के साथ ही की थी।

सामान्यतया पर्दे के पीछे बैठी इस टीम का महत्व आंका जाना मुश्किल है। लेकिन चुनाव अभियान के मास्टर रहे प्रधानमंत्री ने मीडिया को भी जाहिर कर दिया था कि यह रीढ़ की हड्डी होती है। उन्होंने मीडिया को भी सुझाव दिया था कि इतने बड़े संगठन के साथ चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर शोध किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया था कि किस तरह 2019 में मेरठ की पहली चुनावी रैली और मध्य प्रदेश की आखिरी रैली संदर्भ और संदेश में एक दूसरे से जुड़ी थी।

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