Lok Sabha Election Result 2019 : ...और रंग लाती रही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत
मुख्यमंत्री चुनाव के पहले और चुनाव प्रचार के दौरान अपनी हर सभाओं इन योजनाओं और इनकी प्रगति का जिक्र प्रमुखता से करते रहे।
लखनऊ, जेएनएन। आम चुनाव के नतीजों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में गजब का यकीन रहा। हालांकि 2014 की तुलना में अबकी हालात बिल्कुल अलग थे। करीब ढाई दशक बाद सपा-बसपा के साथ आने और दो दशकों की मांग के बाद सक्रिय राजनीति में प्रियंका वाड्रा गांधी की इंट्री इसकी वजह थी।
कागजों पर अपराजेय दिखने वाले गठबंधन के मद्देनजर भाजपा के 74 प्लस के दावे किसी को पचते नहीं थे।अंदरखाने भाजपा का शीर्ष नेतृत्व और संगठन भी इससे इत्तफाक नहीं रखता था, पर 60 के इर्द-गिर्द सीटें जीतने का मुकम्मल भरोसा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को था। इसकी वजहें भी थीं। केंद्र के फ्लैगशिप में जारी लाभार्थी परक योजनाओं का प्रदेश में रिकॉर्ड क्रियान्वयन। प्रधानमंत्री आवास, शौचालय, उज्ज्वला, सौभाग्य, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना और चुनाव घोषित होने के ठीक पहले घोषणा के साथ ही क्रियान्वित की गयी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजनाओं में सरकार का प्रदर्शन अन्य राज्यों की तुलना में बेहतरीन रहा।
सरकार और संगठन द्वारा लगातार चलाए गए अभियानों के दौरान लाभार्थियों से संपर्क भाजपा के एजेंडे में रहा। मुख्यमंत्री चुनाव के पहले और चुनाव प्रचार के दौरान अपनी हर सभाओं इन योजनाओं और इनकी प्रगति का जिक्र प्रमुखता से करते रहे। योगी ने पूरे देश में 163 चुनावी सभाएं कीं। इनमें से 126 सभाओं के जरिये उन्होंने पूरे प्रदेश को मथ डाला।
गोरखपुर में अप्रत्याशित हार के बाद शानदार जीत की ओर अग्रसर
गोरखपुर योगी का गृह जिला है। पिछले उपचुनाव को अपवाद मान लें तो गोरखपुर संसदीय सीट योगी जिस पीठ (गोरक्ष) के पीठाधीश्वर हैं उसके ही पाले में रही। ऐसे में उपचुनावों में मिली हार वहां के हर किसी के लिए अप्रत्याशित थी। इस अप्रत्याशित हार को शानदार जीत में बदलने के लिए अंतिम चरण के चुनावों के अंतिम कुछ दिनों के दौरान उन्होंने गोरखपुर को ही केंद्र बना लिया। दिन में पूर्वांचल की सीटों पर प्रचार और रात में गोरखपुर सीट के लिए रणनीति उनका रूटीन हो गया। आखिर कार उनकी मेहनत रंग लायी। नतीजों के रुझान इसके प्रमाण हैं।
चर्चित सीट कैराना पर भाजपा पीछे
पिछले चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीवीकरण की प्रयोगशाला रहे कैराना में भाजपा पीछे है। इस बार भी देवबंद में गठबंधन की बैठक के बाद शाकुंभरी देवी का दर्शन कर योगी ने वहां सभा की थी, पर इस बार वहां सांप्रदायिक धु्रवीकरण नहीं हो सका। सुर्खियों में रही रामपुर सीट पर भी सपा के आजम खान भाजपा की जया प्रदा पर
बढ़त बनाये हैं।
बजरंगबली के नाते प्रतिबंध लगा
इस दौरान बजरंग बली और अली के बयान के कारण चुनाव आयोग ने उन पर 72 घंटे का प्रतिबंध भी लगाया। इसका भी योगी ने बेहतरीन उपयोग किया। इस दौरान लखनऊ में बड़े हनुमान जी का दर्शन करने के बाद वह हनुमानगढ़ी अयोध्या, संकट मोचन वाराणसी भी हो आये। यही नहीं आयोग को दिये जवाब में भी योगी ने बजरंगबली के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा जाहिर कर अपने एजेंडे के अनुसार लोगों को संदेश देन में सफल रहे। सोशल मीडिया के जरिये भी वह लगातार मतदाताओं को संदेश देने के साथ विपक्ष पर हमलावर रहे।
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