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Lok Sabha Election Result 2019: ऐसे रचा गया ऐतिहासिक जीत का चक्रव्यूह

बालाकोट के बाद भाजपा ने बदली रणनीति। मोदी केंद्रित किया प्रचार अभियान अमित शाह ने प्रचार सामग्री से अपनी तस्वीर खुद हटवाई।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 08:32 PM (IST)
Lok Sabha Election Result 2019: ऐसे रचा गया ऐतिहासिक जीत का चक्रव्यूह
Lok Sabha Election Result 2019: ऐसे रचा गया ऐतिहासिक जीत का चक्रव्यूह

नीलू रंजन, नई दिल्ली। तीन राज्यों में हार के छह महीने के भीतर राष्ट्रवाद और विकास की लहर पर मोदी की सुनामी खड़ा करने में बालाकोट में एयर स्ट्राइक अहम साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से भाजपा की चुनावी रणनीति के केंद्र में थे, बालाकोट के बाद बढ़ी उनकी लोकप्रियता ने इसे नया मुकाम दे दिया। सोची समझी रणनीति के तहत एक तरफ वित्तमंत्री अरुण जेटली ने ताबड़तोड़ ब्लॉग लिखकर मोदी विरोधी तर्को को ध्वस्त किया, तो दूसरी तरफ 'मैं भी चौकीदार' जैसे कार्यक्रम ने आम जनता को सीधे मोदी से जोड़ने का काम किया। मोदी केंद्रित अभियान को धार देने के लिए खुद अमित शाह ने प्रचार सामग्री से अपनी तस्वीर तक हटवा दी थी।

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बालाकोट के बाद बदली रणनीति

2014 के बाद एक-के-बाद एक लगातार कई चुनाव में जिताने वाले मोदी के चेहरे के साथ ही भाजपा चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में थी। इसके लिए भाजपा मोदी सरकार की उपलब्धियों के सहारे जनता तक जाने की रणनीति पर काम भी शुरू कर दिया था। भाजपा का मानना था कि 22 करोड़ लाभार्थी आसानी से उसकी चुनावी नैया पार लगा सकते हैं। यही कारण है कि फरवरी में भाजपा ने लाभार्थियों के घरों के बाहर कमल ज्योति जलाकर मोदी सरकार के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। यही नहीं, सभी विधानसभा क्षेत्रों में बाइक रैली निकालकर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास भी किया।

लेकिन बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद भाजपा ने अपनी पूरी रणनीति में बदलाव किया। कई स्तरों पर फीडबैक लेने और जनता के मूड को भांपने के बाद पार्टी ने पूरे चुनाव प्रचार को मोदी पर और ज्यादा केंद्रीत करने का फैसला किया। चुनाव की तत्काल घोषणा के बाद 'मोदी है तो मुमकिन है' के नारे के सहारे मोदी सरकार की उपलब्धियों तक जन-जन तक पहुंचाने का काम शुरू हुआ। जो बाद में 'मैं भी चौकीदार' अभियान के रूप में सामने आया। 'मैं भी चौकीदार' अभियान से आम जनता को जोड़कर भाजपा ने राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' के नारे की धार कुंद कर दी।

विकास और राष्ट्रवाद की लहर

अरुण जेटली और पियूष गोयल के नेतृत्व में प्रचार समिति ने विकास और राष्ट्रवाद को एक साथ पिरोकर आम जनता के साथ पेश किया। खुद प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों और साक्षात्कारों में साफ किया कि विकास और राष्ट्रवाद एक-दूसरे के विरोधी नहीं पूरक है। प्रचार समिति ने निचले स्तर पर जन-जन तक मोदी सरकार के दौरान हुए विकास कार्यो और इससे उनके जीवन हुए बदलावों के बारे में बताने में सफल रही। यही नहीं, मोदी के जीतने की स्थिति में विकास की रफ्तार बढ़ाए रखने का भरोसा भी दिया। इसी को केंद्रीत कर 'काम रूके ना, देश झुके ना' का नारा दिया गया। इसी कारण लोगों को 'फिर एक बार मोदी सरकार' के नारे साथ जोड़ने में सफलता मिली।

मोदी और सिर्फ मोदी

भाजपा भले ही खुद को 'गलैक्सी आफ लीडर्स' यानी नेताओं की लंबी कतार वाली पार्टी होने का दावा करती हो, लेकिन उसने पूरी रणनीति के तहत प्रचार अभियान को मोदी पर केंद्रीत कर दिया। सभी चुनाव प्रचार सामग्रियों को मोदी के इर्द-गिर्द तैयार किया गया और सिर्फ मोदी के नाम पर जनता को वोट देने की अपील की। खुद प्रधानमंत्री का ऑडियो और वीडियो का जोर-जोर शोर प्रसारित किया गया, जिनमें वे वोट सीधे अपने खाते में आने की बात करते हैं। स्थानीय स्तर पर प्रचार सामग्री में भी उम्मीदवार के बजाय मोदी और कमल को प्रमुखता दी गई। पार्टी मुख्यालय में पूरे देश में चुनाव प्रचार की देखरेख कर रहे महासचिव अनिल जैन और ऋतुराज सिन्हा ने विभिन्न चरणों में मतदान के ठीक पहले धुआंधार प्रचार सुनिश्चित किया ताकि जनता के सामने मोदी के बराबर कोई नेता नजर ही नही आए।

मतदान केंद्रों तक पहुंचाने की चुनौती

राष्ट्रवाद, विकास और मोदी की तिकड़ी के बावजूद भाजपा के सामने मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने की बड़ी चुनौती थी। खतरा यह था कि यदि समर्थक घर के बाहर नहीं निकले तो हालात 2004 की तरह हो सकता है। इसके लिए कई स्तरों पर तैयारी की गई। मतदाताओं को उनके एक वोट की कीमत समझाने के लिए 'आपका एक वोट दुश्मन को घर में घुसकर मारने की शक्ति देता है' जैसे बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया। साथ ही बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं घर-घर जाकर लोगों को लाने के काम में लगाया गया। भाजपा का यह प्रयास पूरी तरह सफल रहा और 2014 की तुलना में मतदान प्रतिशत को कम नहीं होने दिया। बल्कि कई जगहों पर यह ज्यादा ही रहा। मतदान के इसी बढ़े प्रतिशत ने राष्ट्रवाद और विकास की लहर को मोदी की सुनामी में बदलने का काम किया।

रैलियों का रेला

पिछली बार की तुलना में कम सीटें मिलने की अटकलों को ध्वस्त करने के लिए अमित शाह ने पूरे देश में रैलियों का रेला लगा दिया। प्रधानमंत्री ने कुल 142 जनसभाओं को संबोधित किया। वहीं अमित शाह ने कुल 161 जनसभाओं को संबोधित किया। इस दौरान मोदी ने चार और शाह ने आठ रोडशो किये। चुनाव प्रचार के लिए मोदी ने एक लाख पांच हजार किलोमीटर की हवाईयात्रा की तो अमित शाह ने एक लाख 58 हजार किलोमीटर की हवाईयात्रा की। यही नहीं, भाजपा के दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने भी पूरी ताकत झोंकी। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 135, राजनाथ सिंह ने 129, नितिन गडकरी ने 56 और शिवराज सिंह चौहान ने 160 जनसभाएं की। वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं ने कुल मिलाकर पूरे देश में 1500 से अधिक जनसभाएं की।

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