Lok Sabha Election 2019: मुंबई उत्तर से उर्मिला मातोड़कर क्या 'जोर लगा के' कांग्रेस को जिता पाएंगी?
मुंबई की छह सीटों में से सबसे ज्यादा चर्चा में मुंबई नार्थ (उत्तर) लोकसभा सीट। इस सीट कांग्रेस ने बॉलीवुड से आई उर्मिला मातोड़कर पर दांव खेला है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Lok Sabha Election 2019: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की छह सीट पर चौथे चरण में वोट डाले जा रहे हैं। इन छह सीटों में से सबसे ज्यादा चर्चा में मुंबई नार्थ (उत्तर) लोकसभा सीट। इस सीट पर कांग्रेस ने बॉलीवुड से आई उर्मिला मातोड़कर पर दांव खेला है। वहीं, भाजपा ने इस सीट पर अपने वर्तमान सांसद गोपाल शेट्टी पर दांव खेला है। भाजपा गढ़ कहे जाने वाली इस सीट पर उर्मिला मातोड़कर क्या 'जोर लगा के' कांग्रेस को जीत दिला पाएंगी?
बॉलीवुड का पुराना नाता
मुंबई उत्तर की सीट से बॉलीवुड का पुराना नाता रह चुका है। इससे पहले कांग्रेस की टिकट पर अभिनेता गोविंदा भी संसद जा चुके हैं। गोविंदा ने इस सीट से भाजपा के कद्दावर नेता और वर्तमान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक को हराया था। राम नाईक इस सीट से पांच बार सांसद बन रहे। अब जब भाजपा यहां से मजबूत नजर आ रही है, तब फिर कांग्रेस ने एक बार फिर बॉलीवुड का कार्ड खेला है।
गुजराती बनाम मराठी मानुष
उत्तर मुंबई की सीट पर गुजराती वोटर काफी हैं, जो परंपरागत रूप से भाजपा को वोट देते आए हैं। ऐसे में कांग्रेस को हमेशा यहां मुश्किल का सामना करना पड़ा है। इस बार कांग्रेस ने मराठी मानुष का दांव चला है। उर्मिला न सिर्फ अभिनेत्री हैं, बल्कि वह मराठी भी है। वह इसका जमकर फायदा भी उठा रही हैं। उर्मिला ठेठ मराठी में अपना भाषण देती हैं, तो सामने शिवसेना शाखा में बैठी शिवसैनिक महिलाएं भी ताली बजाती दिख जाती हैं। उर्मिला के जनसंपर्क के दौरान उनके साथ भीड़ भी जुट रही है। ऐसे में इस बार कांग्रेस इस सीट से भाजपा को टक्कर देती हुई नजर आ रही है।
ऐसे मिला उर्मिला को मौका
मुंबई नार्थ (उत्तर) लोकसभा सीट से उर्मिला मातोड़कर को कांग्रेस उम्मीदवार बनाए जाने की पीछे सबसे बड़ी वजह है पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम का चुनाव लड़ने से मना करना। 2014 को लोकसभा चुनाव में संजय, भाजपा के गोपाल शेट्टी के सामने 4.46 लाख वोट के अंतर से हार गए थे। ऐसे इस सीट से कोई भी चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखा रहा था। कांग्रेस ने फिर इस सीट से उर्मिला को मैदान में उतारा।
आसान नहीं होगी राह
उर्मिला के यह चुनाव बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाला। गोपाल शेट्टी जमीनी नेता हैं और उनकी पकड़ काफी मजबूत है। ‘विकास-विकास-विकास, गोपाल शेट्टी मांझे विकास’ के नारे के साथ उनका अभियान भी काफी जोरों पर रहा। वहीं, उर्मिला के बॉलीवुड से आना ही सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। इससे पहले राम नाईक को हटा कर गोविंदा को चुनने वाली जनता अभी तक उस चुनाव को भूल नहीं पाई है। चुनाव के बाद जिस तरीके से गोविंदा जमीन से गायब हुए, उसका खामियाजा कांग्रेस अभी तक भुगत रही है।
क्षेत्र का संगठनात्मक गणित भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं दिखता। इस क्षेत्र की छह में से पांच विधानसभाओं पर फिलहाल शिवसेना-भाजपा का कब्जा है। इसके अलावा विधान परिषद के तीन सदस्य भी इसी क्षेत्र से जाते हैं। मुंबई महानगरपालिका के 43 में से 38 सभासद भाजपा-शिवसेना के हैं। 2009 में राम नाईक को पुन: हराने वाले संजय निरुपम के काम से भी लोग खुश नहीं रहे।