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Lok Sabha Election 2019: यूपी के बाहर भी दूसरे दलों का खेल बिगाड़ेगा सपा-बसपा गठबंधन

विपक्षी दल चुनाव से पहले ही एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं। महागठबंधन को पलीता लगाने में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठजोड़ सबसे आगे है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 10:20 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 10:26 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: यूपी के बाहर भी दूसरे दलों का खेल बिगाड़ेगा सपा-बसपा गठबंधन
Lok Sabha Election 2019: यूपी के बाहर भी दूसरे दलों का खेल बिगाड़ेगा सपा-बसपा गठबंधन

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव 2019 में सत्तारूढ़ राजग को टक्कर देने के लिए गठित महागठबंधन की राह में उसके घटक दल ही रोड़ा अटकाने से बाज नहीं आ रहे हैं। चुनाव से पहले ही एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं। महागठबंधन को पलीता लगाने में सपा और बसपा का गठजोड़ सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अछूत मानकर दूरी बना रही सपा और बसपा अब सूबे से बाहर भी दूसरे दलों का खेल बिगाड़ने की तैयारी में है। उधर, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने किसी क्षेत्रीय दल से चुनावी गठबंधन से इनकार कर दिया है।

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सपा और बसपा के बीच के गठबंधन ने तो कांग्रेस को पहले ही उत्तर प्रदेश में ठेंगा दिखाकर झटका दे दिया है। उसके साथ चुनाव लड़ना तो दूर उसके साथ दिखना भी पसंद नहीं करने की घोषणा की है। सपा व बसपा को संदेह है कि कांग्रेस के रुख से उसके मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा हो सकता है। उसके बाद उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गठबंधन ने अपने प्रत्याशी उतारकर कांग्रेस को जबर्दस्त झटका दिया है। क्षेत्रीय दलों के इस गठबंधन ने अब अपना दायरा बढ़ाकर महाराष्ट्र को इसमें शामिल कर लिया है। सपा-बसपा ने महाराष्ट्र की सभी 48 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है।

छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बसपा ने अजित जोगी की पार्टी से समझौता किया था, लेकिन उस गठबंधन को कुछ खास हासिल नहीं हुआ। बसपा ने जोगी को विश्वास में लिए बगैर वहां की 11 सीटों में से छह पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी जगहों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर होती रही है। यह गठबंधन इन राज्यों में कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।

तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी कांग्रेस से चुनावी समझौता करने से हाथ पीछे खींच लिया है। उसे स्पष्ट कर दिया कि उसका विधानसभा चुनाव के दौरान ही तेलंगाना से गठजोड़ था, जो अब कहीं नहीं है। ऐसे में सबकी अपनी डफली और अपना राग है। सारे घटक दल अपनी क्षेत्रीय ताकत बढ़ाने की जुगत हैं, ताकि चुनाव के बाद होने वाली सियासी मोलतोल में उनका पलड़ा भारी रहे।

मध्य प्रदेश में बिना संगठन ही चुनाव लड़ेगी सपा

वहीं, मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी बिना संगठन के ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। विधानसभा चुनाव में पार्टी का परफॉर्मेंस देख सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रदेश कार्यकारिणी पहले ही भंग कर चुके हैं। सपा नेताओं को उम्मीद थी कि नई कार्यकारिणी में काबिज होने का मौका मिलेगा, लेकिन पार्टी हाईकमान ने साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव के बाद ही कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। पार्टी ने बसपा से गठबंधन के बाद प्रदेश की तीन सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी है। प्रत्याशियों की घोषणा भी होने लगी हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी के पास फिलहाल अपना कोई संगठन अस्तित्व में नहीं है। मध्यप्रदेश सपा के प्रभारी जगदेव यादव ने फोन पर हुई विशेष चर्चा में बताया कि बसपा से अभी बातचीत का सिलसिला चल रहा है। गठबंधन की सीटों पर पुनर्विचार की संभावनाएं मौजूद हैं।


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