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Lok Sabha Election 2019: क्या फिर इन राज्यों में क्लिन स्विप करेगी भाजपा

Lok Sabha Election 2019 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने छह राज्यों में अन्य पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया था। क्या पार्टी वही इतिहास फिर से दोहरा पाएगी।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 06:55 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 06:56 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: क्या फिर इन राज्यों में क्लिन स्विप करेगी भाजपा
Lok Sabha Election 2019: क्या फिर इन राज्यों में क्लिन स्विप करेगी भाजपा

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। तीन माह पहले पांच राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में हुए चुनावों में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाबी पायी थी। आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस पूरे देश में ऐसा ही प्रदर्शन करने का प्रयास करेगी। वहीं भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में छह राज्यों में अन्य पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया था।

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भाजपा का प्रयास है कि इस बार वह कुछ और राज्यों में इसी तरह का प्रदर्शन करते हुए पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सके। ऐसे में उन छह राज्यों की मौजूदा स्थिति जानना दिलचस्प होगा, जहां भाजपा ने 2014 में अन्य पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया था। इन राज्यों में पिछले पांच वर्षों में स्थिति में काफी परिवर्तन आया है। कई बड़े उलट-फेर भी हुए हैं। इससे 2014 के मुकाबले 2019 में चुनावी समीकरण काफी बदल गए हैं।

गुजरात : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह जनपद होने के कारण गुजरात में भाजपा के अलावा कांग्रेस का भी खासा ध्यान रहता है। 2014 में भाजपा ने यहां की सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी और कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने यहां 15 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से 77 पर कांग्रेस, 99 पर भाजपा और 06 पर अन्य ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से 15 सीट दूर रही थी।

लोसकभा चुनाव 2019 के लिये गुजरात की सभी 26 सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होगा। इस बार कांग्रेस का प्रयास होगा कि वह न केवल यहां खाता खोले, बल्कि ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर केंद्र में अपनी पकड़ मजबूत करे। हालांकि लोकसभा चुनावों की घोषणा होने से दो दिन पहले (08 मार्च 2019) को ही कांग्रेस विधायक जवाहर चावड़ा ने भाजपा का दाम थाम पार्टी को झटका दिया है। जवाहर चावड़ा की अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है और वह लगातार पिछले पांच विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। इससे पहले जुवाई 2018 में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कुंवरजी बावलिया ने भी विधायकी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। फरवरी 2019 में उन्झा, मेहसाणा सीट से पहली बार विधायक बनीं आशा पटेल ने भी विधायकी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।

हिमाचल : भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी चार सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2009 में भी भाजपा ने हिमाचल की चार लोकसभा सीटों में से तीन पर परचम लहराया था। इस बार कांग्रेस भाजपा से चारों सीटें छीनने का प्रयास कर रही है। यहां कांग्रेस के चार दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह, कर्नल धनीराम शांडिल, मुकेश अग्निहोत्री व सुधीर शर्मा भाजपा को लोकसभा चुनाव में कड़ी चुनौती पेश करने की स्थिति में हैं। वीरभद्र सिंह यहां छह बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि, चारों कांग्रेसी नेता चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। बतौर कैबिनेट मंत्री अपनी सीट गंवाने वाले कौल सिंह ठाकुर भी पहले ही चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में 19 मई को यहां होने वाले मतदान में भाजपा इस मौके का फायदा उठाकर 2014 के इतिहास को फिर दोहराने का प्रयास करेगी।

दिल्ली : 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी लहर दिल्ली को भी साथ उड़ा ले गई थी। भाजपा ने 2014 में सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 2009 में पार्टी यहां खाता भी नहीं खोल पाई थी। खास बात ये है कि 2014 के ही विधानसभा चुनाव में आप ने यहां पर धमाकेदार जीत दर्ज की थी। दोनों चुनावों में कांग्रेस की स्थिति काफी खराब रही थी। लिहाजा कुछ दिन पहले तक आप और कांग्रेस दिल्ली में गठबंधन का प्रयास कर रही थीं, जिसे झटका लग चुका है। देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण जगह है। हालांकि, दिल्ली का अपना एक मिजाज है जो तेजी से बदला रहता है। ऐसे में यहां का मुकाबला हमेशा दिलचस्प रहता है। दिल्ली में 12 मई को मतदान होगा और यहां त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद है।

राजस्थान : भाजपा ने 2014 की मोदी लहर में राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2009 में भाजपा को यहां मात्र चार सीटें मिली थीं। 0दो माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की 99 सीटों पर कब्जा जमा 15 साल बाद भाजपा को सत्ता से बाहर किया था। भाजपा को मात्र 73 सीटों से संतोष करना पड़ा था। अलवर में करीब एक साल पहले हुए लोकसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। वहीं भाजपा, अपने गढ़ में वापसी करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। प्रयास है कि 2014 की तरह ही 2019 में पार्टी फिर क्लीन स्विप करे। हालांकि, तीसरा फ्रंट यहां भाजपा और कांग्रेस की राह मुश्किल करेगा। ऐसे में 29 अप्रैल और छह मई को राज्य में होने वाले चुनाव में कम से कम पांच लोकसभा सीट पर तीसरे मोर्चे का असर देखने को मिल सकता है।

उत्तराखंड : उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटें हैं। 2014 में भाजपा ने यहां सभी सीटें जीतकर अन्य पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया था। इससे पहले 2009 के चुनाव में भाजपा यहां खाता भी नहीं खोल सकी थी। यहां 11 अप्रैल को मतदान होगा। दो माह पूर्व हुए पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद ही उत्तराखंड भाजपा ने लोकसभा की तैयारियां तेज कर दी थीं। पार्टी ने 2017 में दो तिहाई बहुमत से यहां सरकार बनाई थी। बताया जा रहा है कि तब से अब तक माहौल काफी बदल चुका है। निकाय चुनावों में भी भाजपा को अनुमान से कम सीटें मिलीं थीं। कांग्रेस यहां काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। लिहाजा आगामी चुनावों में यहां कड़ी टक्कर होने वाली है।

गोवा : पश्चिम में स्थित गोवा राज्य, दुनिया के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां लोकसभा की केवल दो सीटें, उत्तर गोवा और दक्षिण गोवा है। वर्तमान में दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। उत्तर गोवा सीट से भाजपा के श्रीपाद येसो नाईक लगातार चार बार से सांसद हैं। वह केंद्र में आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी हैं। इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP), महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MAG), यूनाइटेड गोवा डेमोक्रेटिक पार्टी (UGDP), यूनाइटेड गोवा पार्टी (UGP) और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) का प्रभाव माना जाता है। इस सीट पर 13 बार हुए लोकसभा चुनावों में से चार बार भाजपा, पांच बार कांग्रेस और चार बार महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने जीत दर्ज की है।

वर्तमान में 40 विधानसभा सीटों वाली गोवा सरकार में भाजपा नेतृत्व की गठबंधन सरकार है। पिछले विधासभा चुनाव में यहां किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। इसके बाद 13 सीटें जीतने वाली बीजीपी ने मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के 3 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। 23 अप्रैल को होने वाले चुनाव में कांग्रेस, गोवा में न केवल वापसी करने को बेताब है, बल्कि इस बार भाजपा की जगह वह क्लीन स्विप करना चाहती है।


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