Lok Sabha Election 2019: महज एक फीसद वोट से बदल जाएगी दो दर्जन सीटों की सूरत
पिछले आम चुनाव में एक प्रतिशत से कम मार्जिन वाली 23 सीटों में से 17 सीटों पर मतदान का प्रतिशत 70 से अधिक था। 24 सीटें ऐसी हैं जहां हार-जीत एक से दो प्रतिशत मतों से हुई है ।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। सत्रहवीं लोक सभा के चुनाव में एक प्रतिशत वोट इधर से उधर होने पर करीब दो दर्जन सीटों की सूरत बदल सकती है। ये सीटें उत्तर प्रदेश और बिहार सहित दर्जनभर राज्यों में हैं और पिछले लोक सभा चुनावों में इन पर एक प्रतिशत मतों के अंतर से हार-जीत हुई थी। खास बात यह है कि 2014 में इन सीटों में से छह-छह सीटें भाजपा और कांग्रेस ने जीतीं, जबकि तीन सीट माकपा, दो सीट बीजू जनता दल और एक-एक सीट राजद, लोजपा, जेडीएस, शिवसेना, टीडीपी व टीआरएस की झोली में गई थी।
लोक सभा चुनाव 2014 के परिणामों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि देशभर में कुल 23 सीटें ऐसी थीं, जिन पर हार-जीत का फैसला मात्र एक प्रतिशत से कम मतों से हुआ। इसमें सबसे ज्यादा चार सीटें कर्नाटक में, तीन केरल में और दो-दो सीटें आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में जबकि एक-एक सीट जम्मू कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में है। इन 23 सीटों जीत हार का अंतर 36 से लेकर 11,178 रहा है।
पिछले लोक सभा में देश में लोक सभा क्षेत्र में पंजीकृत मतदाताओं की औसत संख्या लगभग 15 लाख थी। ऐसे में पंद्रह लाख पंजीकृत मतदाताओं के आकार वाली सीट पर दस-ग्यारह हजार वोट का मार्जिन कुछ खास अहमियत नहीं रखेगा, खासतौर पर तब जबकि मुद्दे तीखे होंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि एक प्रतिशत से कम मार्जिन वाली इन 23 सीटों में से 17 सीटों पर मतदान का प्रतिशत 70 प्रतिशत से अधिक था। इसलिए इन सीटों पर मतदान प्रतिशत बढ़ने की गुंजाइश ज्यादा नहीं है। ऐसे में अगर इन सीटों पर एक प्रतिशत वोट स्विंग होते हैं तो इन सीटों के परिणाम बिल्कुल अलग हो सकते हैं। इस स्थिति में फिलहाल जिन दलों के पास ये सीटें हैं, उन्हें अगले चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
इसी तरह 24 सीटें ऐसी हैं जहां हार-जीत एक से दो प्रतिशत मतों से हुई है, जबकि 15 सीटों पर हार-जीत केवल दो से तीन प्रतिशत मतों से हुई है। पिछले लोक सभा चुनाव में एक प्रतिशत मतों के अंतर से जीतने वाले प्रमुख नेताओं में कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली, शिवसेना के अनंत गीते और माकपा के मोहम्मद सलीम के नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि 2014 में हार-जीत का सबसे कम अंतर जम्मू कश्मीर की लद्दाख सीट पर रहा था। भाजपा ने लद्दाख सीट मात्र 36 मतों के अंतर से जीती थी।
इसी तरह छत्तीसगढ़ की महासमुंद सीट पर भी भाजपा की जीत का अंतर महज 1217 मत रहा था। इस तरह पूरे देश में ये दो सीटें थीं जहां जीत का अंतर सबसे कम रहा था। दूसरी ओर हार-जीत का सबसे बड़ा अंतर गुजरात की बड़ोदरा सीट पर रहा था जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5,70,128 मतों से जीत हासिल की थी। इसके बाद जीत-हार का दूसरा सबसे बड़ा अंतर गाजियाबाद में रहा था। कुल मिलाकर देशभर में 6 सीटें ऐसीं थीं, जिन पर हार-जीत का अंतर पांच लाख वोट से अधिक रहा था।
लोक सभा चुनाव 2014 में जीत का अंतर
जीत का अंतर प्रतिशत में सीटों की संख्या
10 से कम 190
10 से अधिक लेकिन 20 से कम 190
20 से अधिक लेकिन 30 से कम 111
30 से अधिक लेकिन 40 से कम 39
40 से अधिक लेकिन 50 से कम 11
50 से अधिक 2