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Lok Sabha Election 2019: ऑनलाइन क्राउड फंडिंग से लग रही कई उम्मीदवारों की नैया पार

ऑनलाइन क्राउड फंडिंग वह तरीका से जिससे ऑनलाइन के माध्यम से लोगों से पैसा जुटाया जाता है और संबंधित उम्मीदवार को दे दिया जाता है।

By Rajat SinghEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 10:38 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 11:29 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: ऑनलाइन क्राउड फंडिंग से लग रही कई उम्मीदवारों की नैया पार
Lok Sabha Election 2019: ऑनलाइन क्राउड फंडिंग से लग रही कई उम्मीदवारों की नैया पार

कोलकाता, पीटीआइ। आगामी Lok Sabha Election 2019 के लिए कई उम्मीदवार ऑनलाइन क्राउड फंडिंग का सहारा लेकर अपना चुनाव लड़ रहे हैं। ये उम्मीदवार किसी एक पार्टी नहीं बल्कि अलग-अलग पार्टियों के हैं। इसके साथ ही ये चुनावों में पैसे को लेकर पारदर्शिता की वकालत भी कर रहे हैं। दरअसल, ऑनलाइन क्राउड फंडिंग वह तरीका से जिससे ऑनलाइन के माध्यम से लोगों से पैसा जुटाया जाता है और संबंधित उम्मीदवार को दे दिया जाता है। काउंड फंडिंग का काम कई वेबसाइट्स कर रही हैं।

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क्राउडफंडिंग में सबसे अधिक चर्चित नाम कन्हैया कुमार का है जो कि सीपीआई के टिकट पर बेगुसराय से ताल ठोक रहे हैं। इनके अलावा नागपुर से कांग्रेस के उम्मीद नाना पटोले, दिल्ली से आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार राघव चढ्ढा और पश्चिम बंगाल की रायगंज सीट से सीपीआई (एम) के मोहम्मद सलीम क्राउड फंडिंग के सहारे अपने चुनावी अभियान को धार दे रहे है। इन उम्मीदवारों का तर्क है कि पारदर्शी तरीके से जनता से चंदा जुटाकर हम जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं, ताकि चुनाव में किसी भी तरीके के भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

चुनावों से पहले यूरोप में ऑनलाइन तरीके से पैसे जुटाने की परंपरा बहुत पहले से प्रचलित है लेकिन भारत में यह पहली बार 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव के दौरान देखी गई। आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली इरोम शर्मिला ने पहली बार इस तरीके से पैसा इकट्ठा किया। उनकी पार्टी ने साढ़े चार लाख रुपये एकत्र किए थे। इसके बाद से इंटरनेट के माध्यम से लोगों से पैसे जुटाने के सिस्टम को कई राजनेताओं ने अपनाया है।

हालांकि हमारे देश में पहले लोकसभा चुनाव के बाद से यह पहली बार होगा कि बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने अपने चुनाव अभियानों के खर्चों को पूरा करने के लिए ऑनलाइन का सहारा लिया और इसके साथ ही उन्होंने अपनी जवाबदेही का भी संदेश दिया है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने अब तक 5500 से अधिक लोगों से 70 लाख रुपये जुटाए हैं। उनके बाद आप की आतिशी मार्लेना हैं, जिन्होंने पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए 50 लाख रुपये लिए हैं। इसके अलावा पेड़ापुड़ी विजय कुमार आंध्र प्रदेश के पर्चुर निर्वाचन क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वे अब तक 1 लाख नब्बे हजार रुपयेजुटाकर सूची में तीसरे स्थान पर हैं। सीपीआई-एम के दिग्गज लीडर मोहम्मद सलीम भी पीछे नहीं हैं। ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के मुताबिक उन्होंने 1 लाख चालीस हजार रुपये जुटाए हैं।

कन्हैया कुमार के चुनाव अभियान के प्रमुख रेजा हैदर ने कहा कि हमने अपनी गतिविधियों में पूरी पारदर्शिता चाहते हुए क्राउड फंडिंग के लिए जाने का फैसला किया। ये प्रथा हमारे यहां आम है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्राउड फंडिंग चीजों को आसान बनाती है क्योंकि आप कम समय में ज्यादा पैसा जुटा सकते हैं। सलीम से इस मामले पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब मैंने देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले कई शुभचिंतकों और दोस्तों के रूप में ऑनलाइन क्राउड फंडिंग का सहारा लिया।

OurDemocracy.in लोकप्रिय ऑनलाइन क्राउडफंडिंग वेबसाइटों में से एक है, जिसने 40 उम्मीदवारों को चंदा दिलाने का काम किया है। इस दौरान 17000 लोगों से 1.4 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।

OurDemocracy.in के सह-संस्थापक आनंद मंगनेल ने बताया कि हम नागरिकों के रिस्पॉंस से अभिभूत हैं और साथ ही उनकी राजनीतिक दलों को पैसा देने की इच्छा से भी। लेन-देन में पारदर्शिता बनाए रखने की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 100 रुपये से पांच हजार के बीच में डोनेशन लिया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि पैसे डोनेट करने से पहले कुछ प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है। भले ही आप 100 रुपये दे रहे हो लेकिन आपको अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी रजिस्टर करना होगा। हम उचित सत्यापन के बाद ही डोनेशन को स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि डोनेशन में से हम पांच फीसदी काट लेते हैं।

हालाँकि ऑनलाइन क्राउड फंडिंग का विचार नया है लेकिन चुनाव के दौरान उम्मीदवार लंबे समय से आम लोगों से मदद चाहते हैं। आजादी के बाद से वाम दलों सहित कई दलों ने अपने खर्चों को पूरा करने के लिए वित्तीय और सामग्री दोनों की मदद लेने के लिए लोगों के पैसों की अपील करते हैं। देश में कॉर्पोरेट फंडिंग के आने के बाद हालांकि यह सिस्टम बंद हो गया। ऐसा देखा जाता है कि इस कारण से चुनाव में कालाधन भी बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने लगा है। ऑनलाइन क्राउड फंडिंग से पारदर्शी तरीके से नेता पैसा ले सकते हैं। इसके साथ ही यह पता होता है कि कौन चंदा दे रहा है।  


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