अतीत के आईने से 2004: इंडिया शाइनिंग नहीं आया काम, मनमोहन सिंह बने प्रधानमंत्री
आर्थिक सुधार करने के बावजूद 2004 के आम चुनावों मे भाजपा का इंडिया शाइनिंग और फील गुड फैक्टर का नारा काम नहीं आया।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। 2003 में पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करने और आर्थिक सुधार करने के बावजूद भाजपा का इंडिया शाइनिंग और फील गुड फैक्टर का नारा काम नहीं किया। भाजपा 14वीं लोकसभा का चुनाव हार गई। यूपीए गठबंधन के साथ कांग्रेस सत्ता में वापस आई। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव की सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने।
एक नजर में पूरा चुनाव
- कुल मतदाता - 67 करोड़
- कुल सीटें - 543
- कुल मत पड़े - 58 फीसद
- बहुमत का आंकड़ा - 272 सीट
चुनाव की तारीख
20 और 26 अप्रैल एवं 5 और 10 मई 2004
किसको कितनी सीटें | ||
पार्टी | सीटें | मत % |
कांग्रेस | 145 | 26.53 |
भाजपा | 138 | 22.16 |
बसपा | 19 | 5.33 |
सपा | 36 | 4.32 |
सीपीआइ (एम) | 43 | 5.66 |
सीपीआइ | 10 | 1.41 |
टीएमसी | 2 | 2.07 |
अन्य | 150 | 32.52 |
अभियान
उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था बेहतर थी। विदेशी मुद्रा भंडार 100 अरब डॉलर से ज्यादा था। बेशुमार नौकरियों का सृजन हो रहा था। इन्हीं सब आधारों से उपजे फील गुड माहौल को भाजपा भुनाकर चुनावी वैतरणी पार करना चाहती थी। इसीलिए इंडिया शाइनिंग का पार्टी ने नारा दिया।
इंडिया शाइनिंग
भाजपा सरकार ने इस नारे के प्रचार पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च किए। पार्टी की हार के बाद दबे स्वरों में पार्टी ने भी इसकी विफलता को स्वीकार करते हुए कहा कि इससे विरोधियों को दूसरे कम विकसित पक्षों को उभारने का मौका मिल गया।
चुनौती
राजग चुनावों में 181 सीटों पर सिमट गया। संप्रग को 218 सीटें मिलीं। सपा, बसपा और वाम मोर्चे ने बाहर से समर्थन दिया। इसके चलते संप्रग सरकार की ताकत 335 सदस्यों तक पहुंच गई। संप्रग के पक्ष में 7.1 प्रतिशत वोटों में बढ़ोतरी हुई इसके चलते उसको पिछले चुनावों की तुलना में 83 सीटों का फायदा हुआ। यह पिछले कई वर्षों में ऐसा पहला चुनाव था जिसमें तीसरे मोर्चे की कोई खास भूमिका नहीं थी।
सोनिया का इन्कार
अंतिम क्षणों में सोनिया ने पीएम बनने से इन्कार कर दिया। यद्यपि इससे उनके खिलाफ लंबे समय से चल रहे विदेशी मूल के मुद्दे का पटाक्षेप हो गया।
मनमोहन सिंह की ताजपोशी
सोनिया ने अपने बजाय आर्थिक सुधारों के मसीहा माने जाने वाले मनमोहन सिंह को पीएम पद के लिए पेश किया। ईमानदार छवि के चलते कांग्रेस के सहयोगियों ने उनको स्वीकार कर लिया।