रामटेक सीट से दस बार लगातार जीतती रही कांग्रेस, दिलचस्प है इसकी चुनावी कहानी
महाराष्ट्र की रामटेक लोकसभा सीट पर शिवसेना ने वर्तमान सांसद और दिग्गज नेता कृपाल तुमाने को मैदान में दोबारा उतारा है। वहीं कांग्रेस ने किशोर उत्तर राव को टिकट देकर दांव खेला है।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। महाराष्ट्र की रामटेक लोकसभा सीट पर शिवसेना ने वर्तमान सांसद और दिग्गज नेता कृपाल तुमाने को मैदान में दोबारा उतारा है। वहीं कांग्रेस ने किशोर उत्तर राव को टिकट देकर दांव खेला है। इन दोनों दलों की तरह इस सीट पर बड़ा जनाधार रखने वाली बहुजन समाज पार्टी ने दलित नेता सुभाष धर्म दास को टिकट देकर मुकाबला रोमांचक कर दिया है। जानकारों के मुताबिक इस सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में शिवसेना ने कांग्रेस को हराकर उसके दंभ को खुली चुनौती दी है। वर्तमान में इस सीट पर शिवसेना काबिज है। एक ओर जहां कांग्रेस इस सीट पर फिर से काबिज होने की जुगत में है, वहीं बसपा ने भी ताल ठोककर शिवसेना की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में इस बार का चुनाव बेहद संघर्षपूर्ण हो सकता है।
कभी मध्य प्रदेश के अमरावती का हिस्सा था रामटेक क्षेत्र
1952 में देश की पहली लोकसभा गठित करने के लिए हुए चुनाव के दौरान रामटेक संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में नहीं था। तब यहां के लोग मध्य प्रदेश का हिस्सा रही अमरावती पश्चिम लोकसभा के लिए मतदान करते थे। उस दौरान कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे कृष्णाराव गुलाबराव देशमुख अमरावती पश्चिम से सांसद चुने गए। 1957 के चुनाव से पहले स्वतंंत्र रामटेक लोकसभा सीट का गठन किया गया। तब यह बॉम्बे राज्य का हिस्सा बनी। कांग्रेस ने इस सीट से कृष्ण राव गुलाबराव देशमुख को चुनाव लड़ाया। निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने वाले यवलकर कृष्णराव गुलाबराव ने कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी चुनौती दी, लेकिन वह 102450 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस प्रत्याशी को 166123 वोट पाकर विजेता बने।
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दस बार लगातार जीतती रही कांग्रेस
1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने रामटेक सीट सांसद रहे गुलाब राव देशमुख की जगह माधवराव भगंवतराव पाटिल को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस को चुनौती देने उतरी पीजेंट वर्कर पार्टी ने अपने दिग्गज कर्मचारी नेता बाबूराव तात्याजी भोंसले को चुनाव लड़ाया। दोनों नेताओं के बीच कड़े चुनावी संघर्ष के बाद कांग्रेस के भगवंतराव पाटिल ने 146706 वोटों के साथ जीत हासिल कर ली। पीजेंट वर्कर पार्टी के प्रत्याशी को 105404 वोटों से संतोष करना पड़ा। रामटेक सीट पर कांग्रेस ने 1962 से लेकर 1998 तक लगातार 10 बार चुनाव जीतकर विरोधियों के रास्ते बंद कर दिए। इससे पहले के चुनावों में भी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा।
शिवसेना ने कांग्रेस का विजय अभियान रोका
रामटेक सीट पर 1999 के लोकसभा चुनाव बेहद उलटफेर भरे रहे। चुनावी पंडितों के समीकरण यहां पर उलटे साबित हो गए। कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा। इस बार जनता ने कांग्रेस पर भरोसा नहीं जताया। नतीजतन कांग्रेस का गढ़ बन चुकी यह सीट सत्तारूढ़ पार्टी के हाथ से खिसक गई। यहां पर लंबे समय से अपना वजूद स्थापित करने में जुटी शिवसेना को सफलता हासिल हुई। शिवसेना के सुबोध मोहिते ने 242454 वोट हासिल कर जीते और कांग्रेस के विजय रथ को थाम दिया। कांग्रेस प्रत्याशी पुरोहित बनवारी लाल 230765 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता पांडुरंग जयरामजी हजारे तीसरे स्थान पर रहे। 2004 के चुनाव में भी शिवसेना ने इस सीट पर कब्जा किया। उसके प्रत्याशी सुबोध मोहिते ने 276720 वोट पाकर विजेता बने। कांग्रेस उम्मीकदवार डॉ़ श्रीकांत जिचकर 262618 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।
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कांग्रेस ने रणनीति बदली और चुनाव जीता
लगातार दो चुनावों से हार का सामना कर रही कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए 2009 के चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी। इसके एवज में उसे लंबे समय बाद जीत का स्वाद चखने को मिला। शिवसेना ने दो बार से लगातार जीत रहे अपने नेता सुबोध मोहिते को टिकट न देकर कृपाल तुमाने बालाजी को चुनाव में उतारा। शिवसेना के इस बदलाव का कांग्रेस को फायदा पहुंचा और उसके उम्मीदवार मुकुल वासनिक बालकृष्ण सर्वाधिक 311614 वोट पाकर कांग्रेस को इस सीट पर वापस लाने में कामयाब हुए। शिवसेना के प्रत्याशी को 294913 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 2014 के चुनावों में कांग्रेस अपनी यह सीट बचा नहीं पाई। उसे शिवसेना ने पटखनी देकर सीट छीन ली। यहां से शिवसेना ने पिछली बार हारने वाले अपने नेता कृपाल तुमाने बालाजी को टिकट दिया और तुमाने 519892 वोटों के साथ विजेता बने। कांग्रेस के प्रत्यााशी और तत्कालीन सांसद मुकुल वासनिक 344101 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।