Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019 : ग्राउंड रिपोर्ट सलेमपुर संसदीय क्षेत्र : यहां जातियों का चक्रव्यूह

देवरिया के दो और बलिया के तीन विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बने सलेमपुर संसदीय क्षेत्र में लोगों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा इस बार पिछली बार वाला कमाल कर पाएगी?

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 08:29 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 12:06 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : ग्राउंड रिपोर्ट सलेमपुर संसदीय क्षेत्र : यहां जातियों का चक्रव्यूह
Lok Sabha Election 2019 : ग्राउंड रिपोर्ट सलेमपुर संसदीय क्षेत्र : यहां जातियों का चक्रव्यूह

सलेमपुर [हरिशंकर मिश्र]। सलेमपुर संसदीय क्षेत्र में पिछले चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी जातियों की जंजीरें तोड़ने में कामयाब रही थी, लेकिन इस बार इनकी जकड़न अधिक है। एक तो वर्तमान सांसद से नाराजगी और दूसरे सपा-बसपा की घटती दूरियों ने भाजपा की तगड़ी घेराबंदी की है। हालांकि इनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा मोदी का चेहरा है। नाराजगी के बावजूद लोग मोदी के नाम पर भाजपा को वोट देने की बातें करते हैैं।

loksabha election banner

देवरिया के दो और बलिया के तीन विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बने सलेमपुर संसदीय क्षेत्र में लोगों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा इस बार पिछली बार वाला कमाल कर पाएगी? इसका कारण भी है। भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवार को ही आजमाया है। बेल्थरा रोड में मिले मन्नन पांडेय कहते हैैं-'अगर पार्टी ने प्रत्याशी बदला होता तो सब कुछ बहुत आसान था। लेकिन, अगर मोदी को जिताना है, तो बाकी चीजें भूलनी पड़ेंगी।' ऐसा ही जवाब कई अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिलता है। 

सलेमपुर में जातियों को केंद्र में रखकर ही अब तक राजनीति होती आई है। यही वजह है कि गठबंधन का हौसला भी मजबूत है। बलिया जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र बेल्थरा रोड, बांसडीह और सिकंदरपुर इस क्षेत्र में आते हैैं जहां मोदी के नाम पर राष्ट्रवाद की लहर देखने को मिलती है तो सपा-बसपा के वोटों की जमीनी स्तर पर गठजोड़ भी। इसके अलावा देवरिया के भाटपार रानी और सलेमपुर इस संसदीय क्षेत्र में शामिल हैैं और वहां भी ऐसी ही स्थिति है। भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है, जबकि सलेमपुर, सिकंदरपुर और बेल्थरा रोड पर भाजपा के विधायक हैैं। बांसडीह में 2017 में सपा जीती है।

मुकाबला इसलिए भी रोचक है क्योंकि जहां भाजपा ने कुशवाहा बिरादरी के रवींद्र कुशवाहा को मैदान में उतार रखा है, वहीं बसपा ने भी इसी बिरादरी के आरएस कुशवाहा को टिकट दिया है। आरएस की उम्मीदवारी से यह क्षेत्र बसपा की नाक का सवाल भी हो गया है क्योंकि वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैैं। कांग्रेस ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। कांग्रेस ने वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्र को मैदान में उतारा है। कांग्रेसियों को उम्मीद है कि जातियों के विभाजन में उनके लिए संभावनाएं बन सकती हैैं।

सलेमपुर के इतिहास को देखा जाए तो यहां का चुनाव परिणाम जातियां ही तय करती रही हैैं। आजादी के बाद यहां कांग्रेस का वर्चस्व था, लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यहां जीत हासिल करने के बाद से ही उसके लिए सूखा है। सबसे अधिक चार बार यहां हरिकेवल प्रसाद सांसद रहे हैैं। वरिष्ठ समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र भी यहां जातियों के घेरे में फंसकर मात खा चुके हैैं। लेकिन, इतिहास पर इस बार वर्तमान भारी है। सलेमपुर इंडस्ट्रियल एस्टेट के समीप इंटर में पढ़ने वाले और पहली बार वोट देने जा रहे राजेश कहते हैैं कि मोदी का असर सभी जातियों पर है। जातियों का वर्चस्व इस बार भी टूटेगा। खास तौर पर युवा मोदी के साथ हैैं।

बिहार सीमा से सटे इस क्षेत्र में लोग चुनाव के दौरान मौन नहीं नजर आते। खुलकर राजनीतिक दलों के साथ नजर आते हैैं। फरसाटार गांव में सभी जातियों से लोग रहते हैैं लेकिन साफ कहते हैैं कि कौन-कौन किसे वोट देने जा रहा है। सड़क किनारे मिले श्रीकृष्ण कहते हैैं कि वोट तो पहले से ही तय है। इसमें अब परिवर्तन नहीं आने वाला। देवरिया के दो विधानसभा क्षेत्र आने के कारण यहां ब्राह्मणों के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र मिश्र का प्रभाव भी है, हालांकि ब्राह्मण यह भी कहते हैैं कि उन्हें विकल्प न होने की वजह से भाजपा प्रत्याशी के साथ आना पड़ा है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.