Move to Jagran APP

पूर्णिया में NDA व महागठबंधन में सीधा मुकाबला, किला बचाने को जोर लगाएंगे भाजपा-जदयू

लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दल चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। पूर्णिया सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा। यहां भाजपा औऱ जदयू अपना किला बचाने में जोर लगाएंगे।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 03:06 PM (IST)
पूर्णिया में NDA व महागठबंधन में सीधा मुकाबला, किला बचाने को जोर लगाएंगे भाजपा-जदयू
पूर्णिया में NDA व महागठबंधन में सीधा मुकाबला, किला बचाने को जोर लगाएंगे भाजपा-जदयू

पटना [सुनील राज]। बिहार की 40 संसदीय सीटों में पूर्णिया ऐसी सीट है जहां इस बार जदयू-भाजपा के लिए लड़ाई नाक की लड़ाई बन गई है। जदयू -भाजपा यहां अपना किला बचाने के लिए मैदान में उतरेंगे। पिछला चुनाव यहां जदयू ने जीता था। तब जदयू-भाजपा एक गठबंधन का हिस्सा नहीं थे।

prime article banner

भाजपा ने उस चुनाव यहां से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था। उदय सिंह एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं, लेकिन इस बार भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस के टिकट पर। पिछले चुनाव में जिस उदय सिंह को भाजपा जिताना चाहती थी वह प्रयास करेगी कि अब उन्हें यहां से किसी भी हाल में पराजित किया जा सके।  

उदय सिंह के लिए मजबूरी थी दल बदलना

बिहार में भाजपा-जदयू का दोबारा गठबंधन होने के साथ ही यह लगभग साफ हो गया था कि पूर्णिया संसदीय सीट पर मामला फंसेगा। नतीजा चुनाव की घोषणा के कुछ महीने पहले ही उदय सिंह अपनी राजनीतिक जमीन की तलाश में जुट गए थे। कांग्रेस ऐसे समय में उनकी मददगार बनी।  

करीब दो महीने पूर्व ही यह तय हो गया था कि उदय सिंह भाजपा को छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे, और फिर मौका देख उन्होंने पूरे लाव लश्कर के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण भी कर ली। 

दो गठबंधन के बीच आए पप्पू यादव

पूर्णिया सीट की चक्कर में कांग्रेस ने औरंगाबाद सीट तक की तिलांजलि दी, लेकिन इसी बीच मधेपुरा सांसद पप्पू यादव ने महागठबंधन की परेशानी बढ़ाते हुए एलान कर दिया कि वे इस बार दो लोकसभा क्षेत्र से जोर आजमाइश करेंगे। मधेपुरा के साथ ही पूर्णिया से उनके चुनाव लडऩे की घोषणा ने एनडीए की बांछे खिला दी।

एक बारगी को लगा उदय सिंह के लिए यहां मुश्किलें बढ़ेंगी, लेकिन बताया जाता है कि उदय सिंह ने इलाके पर अपने प्रभुत्व का हवाला देकर पप्पू यादव को पूर्णिया से विदा कर दिया। बाद में पप्पू यादव ने भी एलान किया कि वे पूर्णिया नहीं सिर्फ मधेपुरा से चुनाव लड़ेंगे। 

अब होगी दोनों में सीधी टक्कर

पूर्णिया में पप्पू यादव के बाहर जाते ही साफ हो गया है कि यहां दो गठबंधनों के बीच सीधी टक्कर होगी। एक ओर एनडीए के उम्मीदवार संतोष संतोष कुशवाहा होंगे तो दूसरी ओर महागठबंधन के उदय सिंह।

हालांकि उदय सिंह के लिए यहां की राह अब भी आसान नहीं है। क्योंकि पिछला चुनाव यहां जदयू उम्मीदवार संतोष कुमार कुशवाहा ने जीता था। जिन्हें 2014 के चुनाव में 418826 वोट और उदय सिंह को तब 302157 वोट मिले थे। यानी जीत का मार्जिन 1.16 लाख वोट का था। 

इलाके की राजनीतिक पृष्ठभूमि

पूर्णिया सीट की विशेषता है की यहां मतदाता सब पे भरोसा करते हैं। यहां के मतदाता मुस्लिम उम्मीदवार पर भी भरोसा करते हैं और यादव पर भी। इस सीट पर 1957 में कांग्रेस का कब्जा हुआ। तब यहां से फनी गोपाल सेना गुप्ता चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद कांग्रेस के ही टिकट पर मो. ताहिर, माधुरी सिंह ने जीत दर्ज कराई।

बिहार की राजनीति में राजद के प्रवेश के बाद 1989 में यहां से तस्लीमुद्दीन ने चुनाव जीता। पप्पू यादव, जयकृष्ण मंडल भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं। 

वोटरों की संख्या

 

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की कुल तादाद है 1,305,396 है। इनमें  से 688,182 पुरुष मतदाता जबकि 617,214 महिला मतदाता हैं।  

विधानसभा की स्थिति

पूर्णिया लोकसभा में विधानसभा की छह सीटें आती हैं। बनमंखी, रुपौली, धमदाहा, पूर्णिया, कस्बा और कोढ़ा। पिछले विधानसभा चुनाव यहां से कांग्रेस, भाजपा और जदयू ने दो-दो सीटों पर जीत दर्ज कराई थी।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.