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Lok Sabha Election 2019: ये 65 फीसद आबादी तय करेगी, अबकी बार किसकी सरकार

पिछले कई चुनावों में किसान और ग्रामीण आबादी राजनीतिक पार्टियों का मुख्य मुद्दा रहे हैं। ये चुनावी परीक्षा बताएगी कि ग्रामीण आबादी किस पार्टी को कितने नंबर देती है।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 12:50 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 02:02 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: ये 65 फीसद आबादी तय करेगी, अबकी बार किसकी सरकार
Lok Sabha Election 2019: ये 65 फीसद आबादी तय करेगी, अबकी बार किसकी सरकार

नई दिल्ली [अतुल पटैरिया]। देश की 65 फीसद आबादी गांवों में बसती है। छह लाख से अधिक गांव हैं। इन्हीं में अधिसंख्य किसान बसते हैं। बड़ी संख्या भूमिहीन कृषि मजदूरों की है। इनमें अनुसूचित जाति-जनजातियों का हिस्सा अधिक है। मेहनत-मजदूरी और रोजीरोजगार की खातिर शहरों को आती-जाती आबादी का बड़ा हिस्सा भी गांवों से जुड़ा है। यह ग्रामीण आबादी देश की सत्ता का स्वरूप तय करने में निश्चित ही बड़ी भूमिका निभाती आई है। जातिगत विरोधाभास हालांकि विकास के असल मुद्दों पर हावी रहे हैं, लेकिन अब इसमें शिथिलता देखी जा सकती है।

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विकास को लेकर ग्रामीण भारत में जबर्दस्त रुझान विकसित हुआ है। स्वतंत्र भारत के विकासक्रम में सरकार की अधिकतम योजनाएं ग्रामीण विकास को लक्षित रहती आई हैं, लेकिन लक्ष्य को हासिल करने में जिस ईमानदार प्रयास की कमी बनी रही, वह भी अब दूर होती दिखाई देती है। एक उम्मीद जरूर जाग उठी है। जमीन पर होते विकास, विकास के बड़े रोडमैप और इस दिशा में जगती बड़ी उम्मीद को साफ देखा जा सकता है। पिछले महासमर में टीम मोदी ने नारा दिया था- अच्छे दिन आएंगे..., विपक्षी इसे जुमलेबाजी ही कहते रहे, लेकिन यह नारा केवल नारेबाजी तक सीमित नहीं रहा।


बीते पांच साल में
गांव में बसने वाले किसानों, कृषि मजदूरों, पिछड़ों को मोदी ने क्या दिया? बीते पांच साल में केंद्र सरकार की कई बड़ी योजनाएं विशेष रूप से इन वर्गों की बेहतरी को तत्पर दिखीं। ग्रामीण जनता को डिजिटल इंडिया प्लेटफार्म से जोड़ना ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। इससे न केवल सुशासन गांवों तक तेजी से पहुंच रहा है, बल्कि शासन की कार्यशैली में पारदर्शिता आने से जनता में सरकारी प्रयासों के प्रति विश्वास भी जागा है। गांवों में बिजली, सड़क, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की सुलभता तेजी से बढ़ी है। बड़ी शुरुआत हुई है और यह बदलाव सहज ही देखा जा सकता है।

इसके फलस्वरूप गांवों में सकारात्मक सोच का विस्तार भी उतनी ही तेजी से होते दिख रहा है। जनधन योजना, आयुष्मान भारत योजना, ग्रामीण आवास योजना, स्वच्छ भारत योजना (ग्रामीण), उज्जवला योजना, ग्राम ज्योति योजना, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, आजीविका एक्सप्रेस जैसे जनकल्याणकारी कार्यक्रमों ने ग्रामीण जीवन को उच्चतम आयाम देने का काम किया है। ग्रामीण योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में पंचायत स्तर से लेकर ऊपर तक व्याप्त संस्थागत भ्रष्टाचार सबसे बड़ी बाधा था, लेकिन इसके खिलाफ भी माहौल बना और जनता के जागरूक हो उठने के कारण इस पर भी अंकुश लगते दिख रहा है।


सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना कर दिखाया जाएगा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, किसान विकास पत्र, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना, श्रमेव जयते योजना, कौशल विकास योजना आदि किसानों, मजदूरों और ग्रामीण युवाओं की बेहतरी का हरसंभव समाधान प्रस्तुत करती दिखती हैं।

छोटे किसानों के लिए
छोटी जोत के किसानों की संख्या देश में सर्वाधिक है। मौसम और अन्य व्यवधानों की मार भी इन्हीं पर अधिक पड़ती है। सरकार ने ऐसे लघु किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का लक्ष्य प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के रूप में साधा है। छोटे, आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को सरकार 6000 रुपये सीधे उनके बैंक खाते में तीन किश्तों में दे रही है।


साल की तीन फसलों के लिए बीज-खाद आदि की व्यवस्था में यह छोटी सहायता राशि निश्चित ही बड़ा सहयोग कर सकती है। समग्र ग्रामीण विकास की दिशा में श्यामाप्रसाद मुखर्जी रर्बन मिशन जैसी योजना भी है, जो उत्साहित करने वाला उदाहरण है। देशभर के 300 ग्रामीण इलाकों को शहरों की भांति आर्थिक रूप से मजबूत कर, इनमें स्थानीय रोजगार मुहैया करा ग्रामीण परिवारों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास है। पूर्ववर्ती सरकार की खाद्य सुरक्षा और मनरेगा योजना को भी आगे बढ़ाया गया है।

जनता तय करेगी
कुलमिलाकर, इस सरकार की अधिकांश केंद्रीय योजनाएं समग्र ग्रामीण विकास पर ही केंद्रित रही हैं। ऐसा नहीं है कि पिछली सरकारों के दौरान ग्रामीण विकास पर योजनाएं नहीं आईं, थीं, लेकिन उनके क्रियान्वयन और हासिल पर नजर दौड़ाएं तो एक बड़ा अंतर दिखता है। यह अंतर न केवल क्रियान्वयन को लेकर ईमानदार प्रयास में बल्कि भविष्य के एक बेहतर रोडमैप के रूप में भी दिखाई देता है।


विपक्षी दल, भारतीय जनता पार्टी को गरीब और किसान विरोधी कहते रह गए, लेकिन मोदी सरकार ने गांव, गरीब और किसानों को न केवल ‘अच्छे दिनों’ का भरोसा दिलाया बल्कि, इस ओर कारगर और ईमानदार प्रयास भी कर दिखाया। हालांकि जमीनी स्तर पर राज्य पोषित पंचायती राज व्यवस्था को और अधिक ईमानदार और जवाबदेह बनाया जाना बाकी है। फिर भी, बीते पांच साल में समग्र ग्रामीण विकास का जो सपना ग्रामीणों ने खुली आंखों से देखा, वह टीम मोदी के पक्ष में जा सकता है। जो काम हुआ है, और जिस ओर गांव बढ़ चला है, उसके आधार पर गांव की जनता खुद तय करेगी कि मोदी सरकार को वह कितने नंबर दे।

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