Lok Sabha Election2019: जानिए क्यों नहीं सुर्ख हुआ यहां गुलाब और न खनक पाए घुंघरू
माननीय हर अगले चुनाव भूलते रहे पिछली बार का वायदा। पांच साल में लखनऊ तक ही पहुंच पाई घुंघरू की झंकार।
आगरा, अनिल गुप्ता। जलेसर के खेतों में खिलते गुलाब के फूल इत्र की नगरी कन्नौज की जान है। गुलाब के फूलों की रूह से बनाए जाने वाले परफ्यूम देश- दुनिया को महका रहे हैं। यहां के घुंघरू की खनक बरबस ही अपनी ओर सबका ध्यान खींच लेती है। गुलाब की खुशबू और फैले, घुुंघरुओं की खनक और तेज हो, इसके लिए जनप्रतिनिधियों ने वादे किए, सरकारों ने दिए आश्वासन। मगर सब हवा-हवाई ही साबित रहे। चुनावी बयार एक बार फिर बहने लगी है। मगर, अभी तक न गुलाब आया और न हीं घुंघरू की झंकार फिलहाल सुनाई दे रही। बीते पांच साल में घुंघरू जरूर तरक्की करके किसी तरह लखनऊ तक पहुंच गया, लेकिन गुलाब तो वहीं के वहीं खड़ा है। इत्र की भट्ठियों से धुआं उठ रहा है, लेकिन तपिश चुनावी माहौल से दूर है।
हम बात कर रहे हैं आगरा सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा एटा जिले में जलेसर की। यहां की पहचान गुलाब और घुंघरू ही हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में वायदा किया गया था कि घुंघरू उद्योग की हर छोटी से छोटी इकाई को बढ़ावा मिलेगा। गुलाब की खेती को उन्नतशील बनाने के लिए किसानों को सुविधाएं दी जाएंगी। निवेश के अवसर खोले जाएंगे। इनमें से सिर्फ घुंघरू का वायदा थोड़ा पूरा होते दिखाई दिया एक जिला, एक उत्पाद के अंतर्गत जलेसर के घुंघरू घंटी उद्योग का चयन कर लिया गया, लेकिन छोटी इकाइयों के मालिकों से बात करें तो वे साफ कहते हैं कि अभी तक उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला। जलेसर के घुंघरू दूर-दूर तक विख्यात हैं। एक जिला, एक उत्पाद के तहत निर्देश हैं कि छोटी इकाइयों को आसानी से ऋण मिले, लेकिन नहीं मिला। कुछ ऐसी ही समस्या गुलाब के कारोबार को लेकर है। बाहर के उद्योग मालिक यहां अपने कारखाने संचालित किए हैं, स्थानीय व्यक्ति अगर कोई आगे बढऩा चाहता है तो उसके लिए कोई राहत नहीं है। पिछले चुनावों में प्रत्याशियों ने इन उद्योगों को बढ़ावा देने के काफी वायदे किए थे, लेकिन वे धरातल पर नहीं दिखाई दे रहे।
कन्नौज के इत्र व्यापारियों का केंद्र
कन्नौज शहर की गलियों से उठती सुगंध यहां लगे इत्र कारखानों के कारण ही है। कन्नौज के तमाम व्यापारी यहां आकर अपनी भट्ठियां लगा चुके हैं। जिनमें गुलाब से रूह खींची जाती है। इसी रूह से तरह-तरह के ब्रांडेड परफ्यूम तैयार किए जाते हैं जो महंगे दामों पर बाजार में बिकते हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर गुलाब जल भी तैयार कराया जाता है। व्यापारी गुलाब की फसल से पहले ही किसानों को हायर कर लेते हैं तब यह कारोबार चलता है।
प्रकृति की मार भी झेलते हैं किसान
गुलाब की खेती के लिए अधिक तापमान सबसे बड़ी समस्या है। 40 डिग्री और इससे ऊपर के तापमान में गुलाब की फसल अक्सर सूख जाती है और किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि जो कृषक व्यापारियों से एडवांस ले लेते हैं वह घाटे के कारण वापस करना पड़ता है। इसमें व्यापारियों का भी नुकसान होता है। किसानों का दर्द यह है कि अगर फसल सूखकर नष्ट हो जाती है तो क्षतिपूर्ति के लिए सरकार कोई सुविधा नहीं देती।
ईडेन गार्डन में मौजूद जलेसर का घंटा
पश्चिम बंगाल के कोलकाता के ईडेन गार्डन स्टेडियम में जलेसर का बना हुआ पीतल का घंटा आज भी मौजूद है। स्टेडियम में वह जलेसर की शान का प्रतीक है, इसके अलावा अयोध्या के राम मंदिर के लिए भी एक घंटा जलेसर में ही बनाया गया है।
गुलाब फैक्ट
- एक हेक्टेयर खेती पर एक लाख रुपये की लागत
- किसानों को खुद खरीदना पड़ता है बीज
- उद्यान विभाग में पंजीकरण की सुविधा
- एक हेक्टेयर पर अनुसूचित जाति को 90 फीसद अनुदान
- एक हेक्टेयर पर सामान्य जाति को 70 फीसद अनुदान
- 100 से 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है गुलाब
घुंघरू उद्योग की समस्याएं
- बैंकों से ऋण की अनुपलब्धता
- पीतल व कोयला डिपो की स्थापना नहीं
- घाटे के कारण एक्सपोर्ट में कमी
- हानि की वजह से मजदूरों का पलायन
घुंघरू उद्योग पर एक नजर
छोटी इकाइयां 1500
काम करने वाले श्रमिक 10000
वार्षिक टर्नओवर 300 करोड़
एक्सपोर्ट इकाइयां 2
गुलाब उद्योग की स्थिति
गुलाब की खेती का कुल रकबा 250 हेक्टेयर
गुलाब से इत्र बनाने वाली भट्टियों की संख्या 50
गुलाब पैदावारी का प्रमुख क्षेत्र निधौली कलां विकास खंड
घुंघरू उद्योग को आवश्यकता
- फीरोजाबाद की तरह भट्टियों के लिए गैस पाइप लाइन
- पलायन रोकने को श्रमिकों के उत्थान की व्यवस्था
- कच्चे माल की आपूर्ति में करों में छूट
- उत्पादों को विश्व पटल पर प्रमोट करने की व्यवस्था
उद्योग मालिक बोले
तमाम चुनाव देख लिए, हर चुनाव में प्रत्याशी वायदा तो कर देते हैं, लेकिन निभाते नहीं। इस बार तो अभी तक कोई नहीं आया।
- नितिन गोयल
जलेसर के घुंघरूओं की खनक सिर्फ लखनऊ तक पहुंचने से काम नहीं चलने वाला। यह झंकार दिल्ली तक भी पहुंचनी चाहिए और यह काम हमारे माननीय नहीं करते।
- धीरज शर्मा
गैस की पाइप लाइन बिछ जाए तो काफी हद तक प्रदूषण की समस्या समाप्त हो जाएगी, लेकिन इस ओर भी कोई जनप्रतिनिधि संजीदा नहीं।
- कृष्णगोपाल गुप्ता
हमारे सांसदों को जिस तरह उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए उस तरह से आज तक नहीं दिया। सिर्फ कोरे वायदे और आश्वासन देते रहे।
- आदित्य मित्तल