Move to Jagran APP

jharkhand : यहां एकबार वोट मांगने आते हैं, फिर दिखते ही नहीं नेताजी

LOk Sabha Polls 2019. सिंहभूम संसदीय क्षेत्र के तहत आनेवाले नोवामुंडी प्रखंड की दुधबिला पंचायत के मधुवा साई गांव में चुनाव के दौरान नेता वोट मांगने आते हैं। उसके बाद कोई नहीं आता।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 07:19 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 07:19 PM (IST)
jharkhand : यहां एकबार वोट मांगने आते हैं, फिर दिखते ही नहीं नेताजी
jharkhand : यहां एकबार वोट मांगने आते हैं, फिर दिखते ही नहीं नेताजी

नोवामुंडी [परमानंद गोप ] । पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड की दुधबिला पंचायत का मधुवा साई गांव नक्सल प्रभावित है। यहां के लोग वोट डालने पांच किलोमीटर दूर बेतेरकिया गांव जाते हैं। इस गांव में एक भी आदमी सरकारी या गैर सरकारी नौकरी में नहीं है।प्रखंड मुख्यालय लगभग 30 किलोमीटर दूर इस गांव में पांच साल में एकबार वोट मांगने के लिए प्रत्याशी आते हैं। जीतने या हारने के बाद नहीं आते हैं।

loksabha election banner

मूलभूत सुविधाओं का टोटा

दो साल पहले दुधबिला से कुलाय साई गांव तक सड़क निर्माण कराया गया। इससे लोग खुश हैं। इस गांव में 65 परिवार रहते हैं। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पेयजल की स्थिति बेहद खराब है। रोजगार का कोई प्रबंध नहीं है। गांव में सिर्फ एक व्यक्ति चन्द्र मोहन केड़ाई स्नातक तक पढ़े हैं। वहीं तीन ग्रामीण 8वीं से 10वीं तक पढ़े हैं। गांव से दो किलोमीटर दूर कुलाय साई में पांचवीं तक का एक स्कूल है। ग्रामीण खेती, सब्जी उगाने, लकड़ी, दातुन व पत्ते बेचकर जीविका चलाते हैं। रोजगार की तलाश में पलायन जारी रहता है।

किसी परिवार को नहीं मिला उज्ज्वला योजना का लाभ

बीमारी के समय इलाज के लिए नोवामुंडी जाते हैं। गांव में बिजली नहीं पहुंची है। शाम होते ही ढिबरी जल उठती है। किसी भी परिवार को उज्ज्वला का लाभ नहीं मिला है। पेयजल के नाम पर एक चापाकल है। महिलाएं दो किमी दूरी तयकर सरदोर नदी तट स्थित चुआं से पानी भरकर लाती हैं। महिलाएं काम पर चली जाती हैं तो बच्चे साइकिल से ढोते मिल जाएंगे। आंगनबाड़ी केंद्र यहां नहीं है। पांच किलोमीटर दूर बेतेरकिया गांव में आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का नाम दर्ज है। परंतु बीच रास्ते में नदी पडऩे के कारण बच्चे जाते ही नहीं हैं।

 ये कहते हैं ग्रामीण

पेयजल संकट दूर करने के लिए पंचायत की मुखिया रानी तिरिया व बीडीओ को कई बार आवेदन दिया गया। कोई पहल नहीं हुई। चापाकल में रबर बांधकर काम चलाया जा रहा है।

-गुरा केराई 

पिछली बार इस गांव में चापाकल खराब हुआ तो विभागीय कर्मचारियों को बुलाकर मरम्मत कराया गया। यही नहीं बदले में हर से पांच सौ रुपये चंदा कर उसे दिया भी गया। नए चापाकल की दरकार है।

-तिलु पुरती

पांच साल पहले चुनाव के समय यहां प्रत्याशियों ने आकर बिजली और पेयजल सुविधा दिलाने की बात कही थी। चुनाव खत्म होने के बाद दोबारा लौट कर कोई नहीं आया। भरोसा उठ गया है।

-दामू केराई

पिछली बार बिजली सुविधा दिलाने की मांग को लेकर अनुमंडल कार्यालय में गांव के लोगों ने धरना दिया था। ज्ञापन सौंपा था। आश्वासन मिला, लेकिन आज तक कोई पहल नहीं हुई।

-सोनाराम केराई


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.