महाभारत की धरा में घमासान, दिलचस्प होगा लोकसभा चुनाव 2019
इस बार कुरुक्षेत्र लोकसभा चुनाव 2019 काफी दिलचस्प होगा। सीटिंग सांसद सैनी भाजपा के लिए चुनौती साबित होंगे। अब तक 10 लोकसभा चुनावों में पांच पार्टियों के सांसद रहे हैं।
पानीपत/कुरुक्षेत्र [पंकज आत्रेय]। लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बज चुका है। एक बार फिर महाभारत की धरा इतिहास रचने को तैयार है। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र पर मुकाबला काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है। इस लोकसभा सीट के हालात को देखते हुए अभी तक कोई पार्टी तत्काल उम्मीदवार घोषित करने की स्थिति में नहीं है।
सत्ताधारी दल भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी अलग पार्टी बना चुके हैं। ऐसे में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होना तय हैं। वहीं, कांग्रेस पूर्व सांसद नवीन जिंदल पर दांव खेल सकती है। जेजेपी भी इनेलो के बागी नेता डीडी शर्मा को टिकट दे सकती है।
इनेलो और भाजपा के लिए बड़ा संघर्ष
सत्ताधारी सांसद राजकुमार सैनी इस बार भाजपा के ही खिलाफ चुनावी एजेंडा लेकर 2019 के रण में उतरेंगे। उनकी बयानबाजी ने हरियाणा की राजनीति को जातिगत नया मुद्दा दे दिया है। इनेलो या तो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा को मैदान उतार सकती है या फिर महिला खाप पंचायत की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.संतोष दहिया को। भाजपा में कई नाम सामने हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल डॉ.देवव्रत, राज्यमंत्री नायब सैनी, कैथल विधानसभा से तीन बार इनेलो से चुनाव हार चुके कैलाश भगत शामिल हैं।
बदलते रहे समीकरण
वर्ष 1977 में अस्तित्व में आई कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर 10 चुनावों में पांच पार्टियों के सांसद चुने गए। कोई भी इसे अपने लिए पक्की सीट का दावा नहीं कर सका। हालांकि सबसे ज्यादा सांसद कांग्रेस के रहे। नवीन जिंदल और कैलाशो सैनी दो-दो बार यहां से सांसद बने।
तीसरी बार हार गए जिंदल
वर्ष 2014 में कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार नवीन जिंदल को मैदान में उतारा था लेकिन वह उस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे। पांच साल बाद उन्होंने फिर से अपनी सक्रियता कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में बढ़ा दी है। यहां से लगातार चौथी बार वह कांग्रेस के चेहरे हो सकते हैं। उनके अलावा कैथल के विधायक और कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी नाम लिया जा रहा था लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
1977 में बदला हेडक्वार्टर
वर्ष 1977 तक इस लोकसभा सीट का हेड क्वार्टर कैथल रहा। तत्कालीन सांसद पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने इसे कैथल से बदलकर कुरुक्षेत्र करवाया और तब से यह कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट कही जाने लगी। इससे पहले दूसरी लोकसभा से लेकर पांचवीं तक के चार चुनाव कैथल लोकसभा सीट पर ही हुए और चारों कांग्रेस पार्टी ने जीते। हेड क्वार्टर बदलते ही कांग्रेस का यहां से वर्चस्व टूटा और उसके बाद यह पार्टी आठवीं लोकसभा में 1984 में लौटी।
2014 की स्थिति यह थी
उम्मीदवार पार्टी वोट मिले
- राजकुमार सैनी भाजपा 418112
- बलबीर सैनी इनेलो 288376
- नवीन जिंदल कांग्रेस 287722
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट एक नजर पर
लोकसभा वर्ष सांसद बने पार्टी
- दूसरी (कैथल) 1957-62 मूलचंद जैन कांग्रेस
- तीसरी (कैथल) 1962-67 देवी दत्त पुरी कांग्रेस
- चौथी (कैथल) 1967-71 गुलजारी लाल कांग्रेस
- पांचवीं (कैथल) 1971-77 गुलजारी लाल कांग्रेस
- छठी (कुरुक्षेत्र) 1977-80 रघबीर विर्क जनता पार्टी
- सातवीं 1980-84 मनोहर लाल जनता पार्टी
- आठवीं 1984-89 हरपाल कांग्रेस
- नौवीं 1989-91 गुरदयाल जनता दल
- 10वीं 1991-96 सरदार तारा कांग्रेस
- 11वीं 1996-98 ओमप्रकाश विकास पार्टी
- 12वीं 1998-99 कैलाशो सैनी इनेलो
- 13वीं 1999-04 कैलोशो सैनी इनेलो
- 14वीं 2004-09 नवीन जिंदल कांग्रेस
- 15वीं 2009-14 नवीन जिंदल कांग्रेस
- 16वीं 2014-19 राजकुमार सैनी भाजपा