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Lok Sabha Election 2019: राम का नाम लेकर टहल रहे ये बुजुर्ग

Lok Sabha Election 2019. सत्ता का गलियारा हो या विपक्षी खेमा हर जगह गुणा-भाग का खेल चल रहा है। नेता-कार्यकर्ता को बूथ मैनेजमेंट की पढ़ाई के सारे पहाड़े कंठस्‍थ कराए जा रहे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 12:35 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 08:34 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: राम का नाम लेकर टहल रहे ये बुजुर्ग
Lok Sabha Election 2019: राम का नाम लेकर टहल रहे ये बुजुर्ग

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। Lok Sabha Election 2019 - लोकसभा चुनाव की तपिश पूरे रौ में है। जिसको देखो वही किसी न किसी पार्टी का सुर अलाप रहा है। सत्ता का गलियारा हो या विपक्षी खेमा, हर जगह गुणा-भाग का खेल चल रहा है। नेता-कार्यकर्ता को बूथ मैनेजमेंट की पढ़ाई के सारे पहाड़े कंठस्‍थ कराए जा रहे हैं। लोकतंत्र की इस परीक्षा में उम्‍मीदवार सारे पेपर लिखने के लिए उतावले नजर आ रहे हैं। आइए जानते हैं भाजपा-आजसू के एनडीए और कांग्रेस-जेएमएम-जेवीएम के महागठबंधन खेमे में आखिर चल क्‍या रहा है...

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ठंडा पड़ रहा रामजी का जोश

कमल दल के उम्र के पैमाने पर खरे नहीं उतरे तो ठोंक बैठे निर्दलीय ताल। साथी नेताओं को चैलेंज भी दे डाला दम है तो दौड़ लगा कर देख लें। उनके साथ कोई दौड़ लगाने को राजी नहीं हुआ लेकिन इस चैलेंज ने जरूर वयोवृद्ध सांसद को गांव-गांव की दौड़ लगवा दी। राम का नाम लेकर टहल रहे हैं। खूब पसीना भी बहाया। लेकिन छह तारीख करीब आते-आते थकते दिखाई दे रहे हैं, जोश भी अब ठंडा पड़ता दिखाई दे रहा है। उनके साथ चलने का दम सभी भरते हैं लेकिन पीछे मुड़कर देखते हैं तो भीड़ को गायब पाते हैं। हार-जीत का फैसला अब ऊपर वाले पर छोड़ दिया है।

मैडम को दिल्ली पहुंचाने में ही भलाई

बच्चों की कॉपी-किताब की जिम्मेदारी संभालने वाली मैडम के समक्ष गजब की चुनौती है। कभी मुकाबले में रहनेवाली दूसरी मैडम को अब दिल्ली पहुंचाने के लिए जोर लगा रही हैं। पहले कॉपी-किताब वाली मैडम स्वयं दिल्ली जाने के लिए दावेदार थीं, लेकिन ऐन वक्त पर मामला पलट गया। अब तो दूसरी मैडम को दिल्ली पहुंचने में ही उनकी भलाई है। नहीं तो नवंबर-दिसंबर में होनेवाली दूसरी सियासी प्रतियोगिता में उनके लिए मुश्किल हो सकती है। डर है कि उस समय भी कहीं पत्ता न कट जाए। अब देखना है कि दूसरी मैडम दिल्ली पहुंच पाती हैं या नहीं।

भाई और भाजपाई के चक्रव्यूह में नेताजी

नीले कंठ वाले गांव-गिरांव के नेताजी अजीब उलझन में हैं। चुनाव-ए-जंग में एक ओर भाई है तो दूसरी ओर भाजपाई। एक को खुश रखो तो दूसरे की नाराजगी तय है। धर्मसंकट ऐसा कि चुनाव प्रचार में भाई से नजर तक नहीं मिला पा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने 'गुरु-गोविंद दोऊ खड़े' वाले मंत्र को आत्मसात किया है। बगलगीर कहते हैं, गुरु ने ही तो उन्हें यहां तक पहुंचाया है। भाई को तो मना लेंगे, लेकिन गुरु नाराज हो गए तो करियर ही खराब हो जाएगा। बेचारे नेताजी द्वंद्व में हैं।

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