Lok Sabha Election 2019 : किंग बनने की राह पर चले किंगमेकर आस्तिक
Lok Sabha Election 2019. बाबू दा के नाम से लोकप्रिय आस्तिक की पहचान अब तक किंगमेकर की रही है लेकिन पहली बार उन्हें ऐसा मौका मिला है जो उन्हें किंग बना सकती है।
जमशेदपुर,वीरेंद्र ओझा। Lok Sabha Election 2019 जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से इस बार विपक्षी महागठबंधन से झामुमो के प्रत्याशी आस्तिक महतो होंगे। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इनका नाम करीब दो माह पहले ही तय हो गया था। बहरहाल आस्तिक के मैदान में उतरने से जमशेदपुर सीट का मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा, यह तय है।
'बाबू दा' के नाम से लोकप्रिय आस्तिक की पहचान अब तक किंगमेकर की रही है, लेकिन पहली बार उन्हें ऐसा मौका मिला है जो उन्हें किंग बना सकती है। आस्तिक इससे पहले 2011 के लोकसभा उपचुनाव में आजसू से जमशेदपुर के प्रत्याशी थे, लेकिन दमदार उपस्थिति दर्ज नहीं करा सके थे। इस बार उन्हें महागठबंधन के घटक दलों का व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है।
निर्मल महताे के सानिध्य में की राजनीति की शुरुआत
आस्तिक ने राजनीति की शुरुआत झामुमो के संस्थापक शहीद निर्मल महतो के सानिध्य में शुरू की थी। निर्मल दा आस्तिक की जीप से ही घूमते थे। दरअसल, इन्होंने निर्मल दा के सानिध्य में ही राजनीति का ककहरा भी सीखा था। उनकी हत्या के बाद जमशेदपुर में झामुमो की कमान शैलेंद्र महतो ने संभाली, तो आस्तिक उनके साथ सक्रिय हो गए। शैलेंद्र महतो जमशेदपुर से 1989 व 1991 में दो बार झामुमो से सांसद बने। इन चुनावों में आस्तिक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तो उनके बाद सांसद सुनील महतो व सुमन महतो की जीत में भी आस्तिक कुड़मी मतदाताओं को एकजुट करने में सफल रहे।
विद्युत को बहरागोड़ा में की थी मदद
यहां तक कि मौजूदा सांसद विद्युत वरण महतो जब बहरागोड़ा में विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे, तब भी आस्तिक उनके साथ चुनाव प्रचार में हमेशा साथ रहे। हालांकि बाद में आस्तिक आजसू में शामिल हो गए, तो विद्युत वरण महतो भाजपा में चले गए। काफी दिनों तक आस्तिक आजसू से अलग थे, लेकिन उन्हें हाल ही में झामुमो में शामिल किया गया था। तभी से यह कयास लगाया जाने लगा था कि आस्तिक जमशेदपुर से झामुमो के लोकसभा प्रत्याशी होंगे। यह आकलन सच होने जा रहा है।
दो दोस्तों का होगा मुकाबला
इस बार जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा और विपक्षी महागठबंधन का ही मुकाबला देखने को नहीं मिलेगा, दो दोस्तों का मुकाबला भी होगा। कुड़मी समाज में लगभग समान रूप से सक्रिय विद्युत वरण महतो व आस्तिक अच्छे दोस्त भी हैं। शांत स्वभाव के विद्युत व आस्तिक किस तरह आमने-सामने लड़ेंगे, यह देखने लायक होगा। दोनों ही शांत स्वभाव के हैं और कुड़मी समाज में दोनों को एक तरह की प्रतिष्ठा हासिल है।
व्यवसायी की रही पहचान
आस्तिक महतो की पहचान व्यवसायी के रूप में ज्यादा है, राजनीतिज्ञ की कम। पेशे से ट्रांसपोर्टर व बिल्डर आस्तिक का आवास सोनारी में है, जहां वे पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो व आभा महतो के पड़ोसी हैं। 53 वर्षीय आस्तिक के पिता स्व. ज्योतिंद्रनाथ महतो की भी पहचान समाजसेवी के रूप में थी। लिहाजा आस्तिक को समाजसेवा विरासत में मिली है।