Lok Sabha Election 2019 : कौशांबी से चायल के सफर में बदलते रहे 'हमसफर'
कौशांबी कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। हालांकि पिछले तीन दशक से सूखा पड़ा है। जब जिले का बंटवारा नहीं हुआ था तो कौशांबी चायल संसदीय क्षेत्र कहलाती थी।
प्रयागराज : जैन व बौद्ध मतावलंबियों के लिए आस्था के केंद्र कौशांबी संसदीय क्षेत्र ने सियासत के कई दौर देखे हैं। इसके सफर में सियासी हमसफर बदलते रहे। कभी यह कांग्र्रेस का गढ़ था, लेकिन इसमें दरारें लगीं। लहरों की, दलों की। गंगा-यमुना के बीच आबाद मौजूदा कौशांबी संसदीय पूर्व में चायल संसदीय क्षेत्र कहलाती थी। यहां भी आम चुनावों का सफरनामा कम रोचक नहीं है। परिसीमन से इसकी सीमाएं भी बदलीं और रहनुमा भी। आठ बार कांग्रेस जीती है तो दो बार भगवा ब्रिगेड। सपा को तीन बार कामयाबी मिली है।
आजादी के बाद पहला चुनाव इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था
अंग्रेजी हुकूमत से आजादी के बाद वर्ष 1951-52 में पहली बार चुनाव हुआ तो जनपद का पूरा हिस्सा संसदीय क्षेत्र इलाहाबाद का हिस्सा था। कांग्रेस से प्रत्याशी थे मसुरियादीन, वही जीते। वर्ष 1957 में संसदीय सीट चायल का गठन हुआ। पांच विधानसभा क्षेत्र इस सीट में शामिल किए गए। यह थे शहर पश्चिमी, चायल, मंझनपुर, सिराथू व खागा शामिल हैं। शहर पश्चिमी अब फूलपुर का हिस्सा है और प्रतापगढ़ की कुंडा व बाबागंज विधानसभा क्षेत्र कौशांबी संसदीय क्षेत्र का। खैर, जनता के बीच पकड़ होने की वजह से मसुरियादीन फिर जीते। 1962 और 1967 में भी वही सांसद बने। मसुरिया दीन संविधान सभा के सदस्य भी थे। वर्ष 1971 में कांग्रेस ने छोटेलाल को प्रत्याशी बनाया। जनता ने उन्हें भी जिताया।
1976 तक कांग्रेस का कब्जा रहा
वर्ष 1976 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। वर्ष 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। भारतीय किसान दल (बीकेडी) प्रत्याशी रामनिहोर राकेश सांसद बने। वर्ष 1980 में वह कांग्रेस से मैदान में थे और अपने सौम्य और शालीनता आचरण के कारण फिर सांसद चुने गए। वर्ष 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी डा. बिहारीलाल शैलेश को सफलता मिली। वर्ष 1989 में कांग्रेस ने एक बार फिर रामनिहोर राकेश पर दांव लगाया जो सफल रहा।
1991 के मध्यावधि चुनाव में जनता दल के शशि प्रकाश सांसद बने
वर्ष 1991 के मध्यावधि चुनाव में जनता दल के शशि प्रकाश सांसद बने। वर्ष 1996 में भारतीय जनता पार्टी के लिए डॉ. अमृतलाल भारती ने कमल खिलाया। वर्ष 1998 में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार को जनता ने अपना सांसद चुना। वर्ष 1999 में हुए चुनाव में बीएसपी के सुरेश पासी सांसद बने। वर्ष 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार को जनता ने पुन: मौका दिया। इस तरह वह शैलेंद्र कुमार तीन बार सांसद बने। वर्ष 2014 में हुए चुनाव में यह सीट भाजपा ने कब्जा ली। विनोद सोनकर सांसद चुने गए। वर्ष 1989 के बाद कांग्रेस की लोकप्रियता कम होती गई। इस बार पार्टी को उम्मीद तो है, लेकिन होगा क्या, इसका पता 23 मई को ही चलेगा।
दो बार खिला कमल, तीन बार दौड़ी साइकिल
संसदीय क्षेत्र चायल (अब कौशांबी) में तीन बार सपा व दो बार भारतीय जनता पार्टी को सफलता मिली। वर्ष 1996 में डॉक्टर अमृतलाल भारतीय भाजपा के प्रत्याशी थे और जीते। वर्ष 1998 में सपा प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार सांसद बने।
1951 से 2014 तक के सांसद
चुनाव वर्ष प्रतिनिधि राजनीतिक दल
1951 मसूरिया दीन कांग्रेस
1957 मसूरिया दीन कांग्रेस
1962 मसूरिया दीन कांग्रेस
1967 मसूरिया दीन कांग्रेस
1971 छोटेलाल कांग्रेस
1977 राम निहोर राकेश बीकेडी
1980 राम निहोर राकेश कांग्रेस
1984 बिहारी लाल शैलेश कांग्रेस
1989 रामनिहोर राकेश कांग्रेस
1991 शशि प्रकाश जनता
1996 डॉ. अमृतलाल भारती भाजपा
1998 शैलेंद्र कुमार सपा
1999 सुरेश पासी बसपा
2004 शैलेंद्र कुमार सपा
2009 शैलेंद्र कुमार सपा
2014 विनोद सोनकर भाजपा